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कक्षा 12 व्यष्टि अर्थशास्त्र NCERT Solutions: परिचय अध्याय | School Economics

कक्षा 12 व्यष्टि अर्थशास्त्र NCERT Solutions: परिचय अध्याय में 99% Score कैसे लाएँ?

इकाई – 1: व्यष्टि अर्थशास्त्र का परिचय | School Economics

प्र.1 व्यष्टि अर्थशास्त्र किसे कहते हैं?

उत्तर: व्यष्टि अर्थशास्त्र अर्थशास्त्र की वह शाखा जो अर्थव्यवस्था के छोटे भागों एवं व्यक्तिगत आर्थिक इकाइयों जैसे एक उपभोक्ता, एक उत्पादक, एक परिवार, एक फर्म, एक उद्योग आदि का आर्थिक अध्ययन करती है, व्यष्टि अर्थशास्त्र कहलाती है।

प्र.2 आर्थिक समस्या क्या है?

उत्तर: प्रत्येक मनुष्य या राष्ट्र के पास साधन सीमित होते हैं, किंतु आवश्यकताएं असीमित हैं। और इन सीमित साधनों से ही अपनी आवश्यकताओं को पूरा करना होता है। जिससे आर्थिक समस्या उत्पन्न होती है कि इन सीमित साधनों से कौनसी आवश्यकता को कितनी प्राथमिकता दी जाए और उसे पूरा किया जाए। जिसे आर्थिक समस्या कहते हैं।

प्र.3 आर्थिक समस्या क्यों उत्पन्न होती है? आर्थिक समस्या उत्पन्न होने के कारण बताइए।

उत्तर: विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सीमित साधनों के प्रयोग से उत्पन्न चयन की समस्या को ही आर्थिक समस्या कहते हैं।

आर्थिक समस्या उत्पन्न होने के कारण:

  • 1. असीमित आवश्यकता है।
  • 2. आवश्यकताओं की तीव्रता में अंतर।
  • 3. आवश्यकता की पूर्ति के साधन सीमित हैं।
  • 4. साधनों का वैकल्पिक प्रयोग।
  • 5. चयन के चुनाव की समस्या।

प्र.4 अवसर लागत क्या है?

उत्तर: परिभाषा - प्रोफेसर कॉल के अनुसार: "एक कार्य के चयन द्वारा विकल्प अवसर के त्याग का मूल्य कार्य विशेष की विकल्प को लागत या अवसर लागत है।"

अवसर लागत का अर्थ: किसी साधन की अवसर लागत से अभिप्राय उसके दूसरे सर्वश्रेष्ठ विकल्प मूल्य के त्याग से है।

प्र.5 अर्थव्यवस्था किसे कहते हैं? अर्थव्यवस्था कितने प्रकार की होती है?

उत्तर: अर्थव्यवस्था का अर्थ - अर्थव्यवस्था किसी भी देश की आर्थिक प्रणाली है जो उस देश के आर्थिक क्रियाओं के संचालन को बताती है। प्रत्येक अर्थव्यवस्था किसी न किसी आर्थिक प्रणाली पर आधारित होती है। किसी देश में समस्त आर्थिक क्रियाओं का परिपथ अर्थव्यवस्था कहलाता है।

अर्थव्यवस्था के प्रकार:

  • 1. बाजार अर्थव्यवस्था (पूंजीवादी)
  • 2. केन्द्रीयकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था (समाजवादी)
  • 3. मिश्रित अर्थव्यवस्था

प्र.6 आदर्श आर्थिक विश्लेषण से आपका क्या अभिप्राय है?

उत्तर: आदर्श आर्थिक विश्लेषण पहलुओं पर "क्या होना चाहिए" (what ought to be) पर आधारित है। आदर्श आर्थिक विश्लेषण में तथ्यों के विश्लेषण में वांछनीय, अवांछनीय नियम को ध्यान में रखकर आदर्श विश्लेषण को अपनाने पर जोर दिया जाता है।

प्र.7 सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण से आपका क्या अभिप्राय है?

उत्तर: सकारात्मक या वास्तविक आर्थिक विश्लेषण - आर्थिक समस्याओं का "कारण" और "परिणाम" के संबंध में विश्लेषण करता है। वह आर्थिक विश्लेषण में "क्या है" (What is) को बताता है, "क्या होना चाहिए" (what ought to be) की बात नहीं करता।

प्र.8 सीमांत उत्पादन संभावना क्या है? या उत्पादन संभावना वक्र क्या है?

उत्तर: सीमांत उत्पादन संभावना एक साधन की अवसर लागत पर निर्भर करती है। एक उत्पादन संभावना वक्र दो वस्तुओं के उन सभी संयोगों को बताता है जिनका अधिकतम उत्पादन एक अर्थव्यवस्था के लिए संभव है, जब कि संसाधनों की मात्रा स्थिर है एवं उनका पूर्ण प्रयोग हो रहा है तथा उत्पादन की तकनीक की स्थिति दी हुई है।

सेम्युलसन: "एक उत्पादन संम्भावना वक्र चुनावों की सूची को बताता है।"

प्र.10 बाजार अर्थव्यवस्था को समझाइये

उत्तर: बाजार अर्थव्यवस्था वह प्रणाली है जिसमें वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन, मूल्य निर्धारण व वितरण माँग-आपूर्ति पर आधारित होता है। उत्पादन के साधनों पर व्यक्तिगत अधिकार होता है, इसलिए इसे पूंजीवाद या स्वतंत्र अर्थव्यवस्था कहा जाता है, जहाँ राज्य का हस्तक्षेप न्यूनतम रहता है।

प्र.11 केन्द्रीयकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था को समझाइये

उत्तर: केन्द्रीयकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था वह प्रणाली है जिसमें उत्पादन के साधनों पर समाज का स्वामित्व व नियंत्रण होता है। उत्पादन, उपभोग, मूल्य व साधनों से संबंधित सभी निर्णय सरकार लेती है। इसका उद्देश्य समाज का अधिकतम लाभ और समान विकास है।

प्र.12 व्यष्टि अर्थशास्त्र का महत्व लिखिये

उत्तर: व्यष्टि अर्थशास्त्र के महत्व को निम्न बिंदुओं के आधार पर समझा जा सकता है:

  1. अर्थव्यवस्था को समझने में सहायक: व्यष्टि अर्थशास्त्र में व्यक्तिगत इकाइयों का अध्ययन किया जाता है। संपूर्ण अर्थव्यवस्था को समझने के लिए आवश्यक है।
  2. व्यक्तिगत निर्णय लेने में सहायक: व्यष्टि अर्थशास्त्र व्यक्तिगत उपभोक्ताओं तथा उत्पादकों को अपने-अपने क्षेत्र में निर्णय लेने में सहायक होता है।
  3. कीमत सिद्धांत के विश्लेषण में सहायक: व्यष्टि विश्लेषण वस्तु विशेष की कीमत या साधन विशेष के पुरस्कार निर्धारण में सर्वाधिक सहायक होता है।
  4. आर्थिक नियमों के निर्माण में सहायक: व्यष्टि अर्थशास्त्र की सहायता से उपभोक्ता ह्रास नियम, सम सीमांत उपयोगिता नियम तथा उपभोक्ता की बचत जैसे नियमों का निर्माण किया जा सकता है।

प्र.13 व्यष्टि अर्थशास्त्र की सीमाएं / दोष / परिसीमाएं लिखिए

उत्तर: व्यष्टि अर्थशास्त्र की प्रमुख सीमाएं या दोष निम्नलिखित हैं:

  1. संपूर्ण अर्थव्यवस्था का ज्ञान नहीं: व्यष्टि अर्थशास्त्र के अध्ययन से संपूर्ण अर्थव्यवस्था का ज्ञान नहीं हो पाता।
  2. समग्र पर लागू नहीं: व्यष्टि अर्थशास्त्र में व्यक्तिगत इकाइयों का अध्ययन किया जाता है जो समग्र पर लागू नहीं होता।
  3. अपर्याप्त विश्लेषण: व्यष्टि अर्थशास्त्र आर्थिक विश्लेषण का अपर्याप्त विश्लेषण ही कर पाता है।
  4. अवास्तविक मान्यताएं: व्यष्टि अर्थशास्त्र आर्थिक विश्लेषण पूर्ण रोजगार जैसी काल्पनिक मान्यताओं पर आधारित है। पूर्ण रोजगार का विचार वास्तविक जगत में नहीं दिखाई देता।

प्र.14 क्या अर्थशास्त्र विज्ञान है? यदि अर्थशास्त्र विज्ञान है तो वास्तविक विज्ञान है अथवा आदर्श विज्ञान? क्या अर्थशास्त्र कला है? अर्थशास्त्र विज्ञान एवं कला दोनों है?

उत्तर:

(A) अर्थशास्त्र विज्ञान के रूप में (Economics is a Science):

विज्ञान का अर्थ - विज्ञान ज्ञान का वह क्रमबद्ध और सम्पूर्ण अध्ययन है जो कारण और प्रभाव के सम्बन्ध की व्याख्या करता है। विज्ञान किसी भी घटना का वस्तुगत विश्लेषण करता है, उसका क्रमबद्ध अध्ययन करता है और इस विश्लेषण तथा अध्ययन के आधार पर किसी भी तथ्य का पूर्वानुमान कर भविष्यवाणी करता है।

(B) अर्थशास्त्र कला के रूप में (Economics is an Art):

कला का अर्थ - सामान्य अर्थ में किसी लक्ष्य की पूर्ति को कार्य कुशलता के साथ करना ही कला है। कला हमें व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करती है। यह समस्या का केवल विश्लेषण ही नहीं करती अपितु समाधान भी करती है। प्रो. कीन्स के अनुसार कला ज्ञान की वह शाखा है जो निश्चित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए एक सर्वश्रेष्ठ तरीका बताती है।

अर्थशास्त्रियों का एक वर्ग जिसमें एडम स्मिथ, रिकार्डो, मिल, मार्शल, पीगू आदि आते हैं, अर्थशास्त्र को कला मानते हैं।

अर्थशास्त्र की वास्तविक प्रकृति: अर्थशास्त्र विज्ञान और कला दोनों है। विज्ञान के रूप में यह सिद्धांतों व नियमों का अध्ययन करता है, जबकि कला के रूप में इनका व्यवहारिक प्रयोग कराता है। सैद्धान्तिक पक्ष वैज्ञानिक स्वरूप है तथा व्यावहारिक पक्ष कला है। विज्ञान और कला दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।

प्र.15 मिश्रित अर्थव्यवस्था किसे कहते हैं। मिश्रित अर्थव्यवस्था की विशेषताएं / गुण / लक्षण लिखिए।

उत्तर: मिश्रित अर्थव्यवस्था वह आर्थिक प्रणाली है जिसमें पूंजीवाद और समाजवाद का सम्मिश्रण संयोजन पाया जाता है, अर्थात जिसमें पूंजीवादी अर्थव्यवस्था और समाजवादी अर्थव्यवस्था के गुणों का सम्मिश्रण होता है।

मिश्रित अर्थव्यवस्था में पूंजीवादी क्षेत्र अर्थात निजी क्षेत्र और समाजवादी क्षेत्र अर्थात सरकारी क्षेत्र उपस्थित होता है। भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका आदि देशों में इस आर्थिक प्रणाली को अपनाया गया।

मिश्रित अर्थव्यवस्था की विशेषताएं / गुण / लक्षण:

  1. निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र का अस्तित्व: मिश्रित अर्थव्यवस्था में निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों का अस्तित्व पाया जाता है, अर्थात निजी तंत्र और सार्वजनिक तंत्र दोनों काम करते हैं।
  2. आर्थिक स्वतंत्रता: मिश्रित अर्थव्यवस्था में पर्याप्त सरकारी हस्तक्षेप पाया जाता है, फिर भी व्यक्तिगत आर्थिक संस्थानों की उपस्थिति इस अर्थव्यवस्था में पाई जाती है, अर्थात इस अर्थव्यवस्था में दोनों क्षेत्रों का संतुलन देखने को मिलता है।
  3. कीमत प्रणाली: मिश्रित अर्थव्यवस्था में कीमत प्रणाली समाजवाद से बेहतर और पूंजीवाद से निम्नतम होती है, अर्थात कुछ निमंत्रणों और स्वतंत्रताओं के साथ मांग और पूर्ति का संतुलन रहता है।
  4. सीमित प्रतियोगिता: मिश्रित अर्थव्यवस्था में निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों का अस्तित्व होता है, प्रतियोगिता पाई जाती है, समाजवाद से अधिक और पूंजीवाद से कम।

प्र.16 समाजवादी अर्थव्यवस्था (केंद्रीयकृत नियंत्रित अर्थव्यवस्था) का अर्थ और विशेषताएं / लक्षण / गुण लिखिए।

उत्तर: समाजवादी अर्थव्यवस्था आर्थिक प्रणाली है जिसमें उत्पत्ति के साधनों पर सरकार या समाज का अधिपत्य होता है और इस अर्थव्यवस्था में जनकल्याण की भावना से कार्य किया जाता है।

समाजवादी अर्थव्यवस्था या केंद्रीयकृत अर्थव्यवस्था रूस, चीन जैसे देशों में इस प्रणाली को अपनाया गया है।

समाजवादी अर्थव्यवस्था की विशेषताएं:

  1. सामाजिक स्वामित्व: समाजवादी अर्थव्यवस्था में उत्पत्ति के साधनों पर समाज या सरकार का अधिपत्य होता है। इन साधनों का प्रयोग सामाजिक हितों को ध्यान में रखकर किया जाता है।
  2. आर्थिक स्वतंत्रता का अभाव: समाजवादी अर्थव्यवस्था में आर्थिक स्वतंत्रता का अभाव पाया जाता है। क्योंकि उत्पत्ति संबंधी निर्णय सरकार या समाज द्वारा लिया जाता है।
  3. कीमत तंत्र का नगण्य प्रभाव: समाजवादी अर्थव्यवस्था में मांग और पूर्ति की शक्तियां स्वतंत्र रूप से कार्य नहीं करतीं, क्योंकि सरकार द्वारा निर्णयों से आर्थिक क्रियाएं प्रभावित होती हैं।
  4. पूर्ण प्रतियोगिता की अनुपस्थिति: समाजवादी अर्थव्यवस्था में पूर्ण प्रतियोगिता का अभाव पाया जाता है।

प्र.17 अर्थशास्त्र की विषय वस्तु की विवेचना कीजिए।

उत्तर: अर्थशास्त्र की विषय वस्तु को दो भागों में बांटा जा सकता है: व्यष्टि अर्थशास्त्र और समष्टि अर्थशास्त्र।

व्यष्टि अर्थशास्त्र: व्यष्टि अर्थशास्त्र में अर्थव्यवस्था के छोटे भागों का अध्ययन किया जाता है जैसे: विशिष्ट फर्मों, विशिष्ट परिवारों, व्यक्तिगत कीमत, व्यक्तिगत मजदूरी, व्यक्तिगत आय, व्यक्तिगत उद्योगों और विशिष्ट वस्तुओं का।

समष्टि अर्थशास्त्र: समष्टि अर्थशास्त्र में अर्थव्यवस्था के बड़े भागों अर्थात कुल राष्ट्रीय उत्पादन, कुल विनियोग, कुल रोजगार, कुल उपभोग आदि का अध्ययन किया जाता है।

प्र.18 व्यष्टि अर्थशास्त्र की विशेषताएं लिखिए।

उत्तर: व्यष्टि अर्थशास्त्र की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

  1. व्यक्तिगत इकाइयों का अध्ययन: व्यष्टि अर्थशास्त्र की सहायता से व्यक्तिगत आय, व्यक्तिगत उत्पादन और उपभोग, व्यक्तिगत लागत आदि घटकों की व्याख्या की जाती है।
  2. अति सूक्ष्म चरों का अध्ययन: व्यष्टि आर्थिक विश्लेषण में अर्थव्यवस्था के छोटे-छोटे चरों का अध्ययन किया जाता है जैसे कि एक फर्म, एक उद्योग, एक उपभोक्ता, एक उत्पादन आदि। संपूर्ण अर्थव्यवस्था पर इन सूक्ष्म चरों का बहुत कम प्रभाव पड़ता है।
  3. कीमत सिद्धांत: व्यष्टि अर्थशास्त्र का मुख्य सिद्धांत कीमत सिद्धांत है। मुख्य रूप से कीमत निर्धारण में व्यष्टि अर्थशास्त्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  4. व्यक्तिगत कीमत निर्धारण का अध्ययन: व्यष्टि अर्थशास्त्र में बाजार की शक्तियों, मांग और पूर्ति के संतुलन के आधार पर व्यक्तिगत इकाइयों की कीमतों का निर्धारण किया जाता है।
  5. पूर्ण रोजगार की स्थिति को मान्यता: व्यष्टि अर्थशास्त्र के अंतर्गत आर्थिक विश्लेषण करते समय पूर्ण रोजगार की मान्यता को लेकर चला जाता है।

प्र.19 केंद्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था और बाजार अर्थव्यवस्था के भेद को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:

बाजार (पूंजीवाद) अर्थव्यवस्था केंद्रीकृत योजनाबद्ध (सामाजवाद) अर्थव्यवस्था
1. उत्पत्ति के साधनों पर निजी स्वामित्व होता है। 1. उत्पत्ति के साधनों पर समाज का अधिकार होता है।
2. आर्थिक क्रियाओं का उद्देश्य व्यक्तिगत लाभ कमाना होता है। 2. आर्थिक क्रियाओं का उद्देश्य सामाजिक कल्याण और समाज की आवश्यकताओं को पूरा करना होता है।
3. वस्तु का मूल्य मांग और पूर्ति की शक्तियों द्वारा निर्धारित होता है। 3. वस्तु का मूल्य सामाजिक कल्याण को ध्यान में रखकर किया जाता है।
4. केंद्रीय नियोजन का अभाव पाया जाता है। 4. केंद्रीय नियोजन पर बल दिया जाता है।
5. वर्ग संघर्ष का अभाव। 5. संघर्ष की स्थिति।

प्र.20 अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याओं की विवेचना कीजिए।

उत्तर: एक व्यक्ति की भांति एक राष्ट्र के पास भी उत्पादन के सीमित साधन होते हैं। इन सीमित साधनों से आय, रोजगार, उत्पादन की संभावनाओं को हल करना होता है।

अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्याएं निम्नलिखित हैं:

  1. किन वस्तुओं का उत्पादन किया जाए: केंद्रीयकृत (समाजवादी) या बाजार अर्थव्यवस्था (पूंजीवादी) को यह निश्चित करना होता है कि किन वस्तुओं का उत्पादन किया जाए। पूंजीवाद में कीमत प्रणाली और समाजवाद में समाज या सरकार के आदेश अनुसार वस्तुओं का उत्पादन होता है।
  2. उत्पादन का ढंग (तरीका) क्या हो: वस्तुओं का उत्पादन किस ढंग (तरीके) या तकनीक के आधार पर हो, पूंजीगहन तकनीक या श्रम गहन तकनीक का प्रयोग किया जाए।
  3. उत्पादन किनके (लोगों) लिए किया जाए: वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन किन लोगों या वर्ग के लिए किया जाए। पूंजीवाद में कीमत अदा करने वाले के लिए और समाजवाद में कमजोर वर्ग और आवश्यकता वाले वर्ग के लिए उत्पादन किया जाता है।
  4. साधनों का प्रयोग और उत्पादन कुशलता कैसे प्राप्त की जाए: अर्थव्यवस्था की एक समस्या यह भी है कि साधनों का संपूर्ण प्रयोग कुशलता पूर्वक कैसे किया जाए।
  5. पूर्ण रोजगार और आर्थिक विकास कैसे किया जाए: अर्थव्यवस्था में एक समस्या यह भी रहती है कि पूर्ण रोजगार की समस्या कैसे दूर की जाए और आर्थिक विकास कैसे किया जाए।

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