MAHATVPURN ARTHIK SHABDAVALI, IMPORTANT ECONOMIC TERMINOLOGY
महत्वपूर्ण आर्थिक शब्दावली - व्यष्टि अर्थशास्त्र MICRO ECONOMICS : VOCABULARYआर्थिक शब्दकोश
microeconomics - Dictionary Definition : Vocabulary
Microeconomics Vocabulary Flashcards
औसत लागतः निर्गत की प्रति इकाई की कुल लागत |
औसत स्थिर लागतः निर्गत की प्रति इकाई की कुल स्थिर लागत ।
औसत उत्पाद : परिवर्ती आगत का प्रति इकाई निर्गत |
औसत संप्राप्तिः निर्गत की प्रति इकाई पर कुल संप्राप्ति ।
औसत परिवर्ती लागतः निर्गत की प्रति इकाई की कुल परिवर्ती लागत
लाभ - अलाभ बिंदु : पूर्ति वक्र पर वह बिंदु , जिस पर किसी फर्म को सामान्य लाभ प्राप्त होता है ।
बजट रेखा : इसके अंतर्गत वे सभी बंडल आते हैं , जिनकी कीमत उपभोक्ता की आय के ठीक बराबर होती है ।
बजट सेट : बजट सेट उन सभी बंडलों का समूह होता पर कोई उपभोक्ता खरीद सकता है । वर्तमान बाजार कीमतों
स्थिर अनुमापी प्रतिफल : उत्पादन फलन का एक गुण , जो उस स्थिति में होता है जब सभी आगतों में समानुपातिक वृद्धि करने पर निर्गत में वृद्धि उसी अनुपात में होती है ।
लागत फलनः निर्गत के प्रत्येक स्तर पर यह फर्म के लिए न्यूनतम लागत को दर्शाता है ।
ह्रासमान अनुमापी प्रतिफल उत्पादन फलन का एक गुण , जो उस स्थिति में होता हैं जब सभी आगतों में समानुपातिक वृद्धि होने पर अनुपात कम मात्रा में निर्गत में वृद्धि होती हैं ।
माँग वक्र : माँग वक्र , माँग फलन का ग्राफीय चित्रण होता है । माँग वक्र प्रत्येक कीमत पर उपभोक्ता द्वारा माँग की मात्रा को दर्शाता है ।
माँग फलन : किसी वस्तु के लिए किसी उपभोक्ता का माँग फलन उस मात्रा को दर्शाता है , जब अन्य वस्तुओं के अपरिवर्तित रहने पर वह उपभोक्ता उस वस्तु की विभिन्न कीमत स्तरों पर चयन करता है ।
संतुलन : संतुलन वह स्थिति है जब बाज़ार के सभी उपभोक्ताओं और फर्मों की योजनाएँ एक समान होती हैं ।
अधिमाँग : यदि किसी कीमत पर बाज़ार माँग , बाज़ार पूर्ति से अधिक होती है तब उस कीमत पर बाज़ार में अधिमाँग की स्थिति मानी जाती है ।
अधिपूर्ति : यदि किसी कीमत पर बाज़ार पूर्ति , बाज़ार माँग से अधिक होती है , तब उस कीमत पर बाज़ार में अधिपूर्ति की स्थिति मानी जाती है ।
फर्म का पूर्ति वक्र : यह निर्गत के उन स्तरों को दर्शाता है , जिनके उत्पादन के लिए चयन लाभ अधिकतम करने वाली कोई फर्म बाज़ार कीमत के विभिन्न मूल्यों पर करेगी ।
स्थिर आगतः वह आगत जिसमें अल्पकाल में परिवर्तन नहीं किया जा सकता , स्थिर आगत कहलाती है ।
आय प्रभावः वस्तु की कीमत में परिवर्तन होने के फलस्वरूप क्रय शक्ति में परिवर्तन होने पर वस्तु की इष्टतम मात्रा में परिवर्तन को आय प्रभाव कहा जाता है ।
वर्धमान अनुमापी प्रतिफल उत्पादन फलन का एक गुण , जो उस स्थिति में होता है जब सभी आगतों में समानुपातिक वृद्धि करने पर निर्गत में वृद्धि अनुपात से अधिक होती है ।
अनधिमान वक्र : अनधिमान वक्र उन सभी बिंदुओं का पथ होता है , जिन पर उपभोक्ता उदासीन रहता है ।
निम्नस्तरीय वस्तुएँ : उपभोक्ता की आय के बढ़ जाने पर जिस वस्तु के लिए माँग घट जाती है , उसे निम्नस्तरीय वस्तु कहा जाता है ।
समान मात्रा : दो आगतों के सभी संभावित संयोजनों का सेट , जिनसे एक समान संभावित अधिकतम स्तरों का निर्गत होता है ।
माँग का नियमः यदि किसी वस्तु के लिए किसी उपभोक्ता की माँग उसी दिशा में जाती है , जिस दिशा में उसकी आय जाती है , तब उस वस्तु की कीमत के साथ उपभोक्ता की माँग का विपरीत संबंध होता है ।
ह्रासमान सीमांत उत्पाद नियमः यदि अन्य आगतों के साथ किसी आगत के उपयोग में वृद्धि करना जारी रखा जाए तो अंततः हम उस बिंदु पर पहुँचेंगे , जिसके बाद उस * आगत के सीमांत उत्पाद में गिरावट आना शुरू हो जाएगा ।
परिवर्ती अनुपात नियमः किसी कारक आगत को जब है , तब प्रारंभ में उसकी सीमांत उपयोगिता में अधिक उसका सीमांत उत्पाद कम होने लगता है । उत्पादन की प्रक्रिया में कम मात्रा में लगाया जाता वृद्धि होती है । परन्तु एक बिंदु पर पहुँचने के बाद
दीर्घकाल : इसका आशय उस अवधि से सकता है । जिसमें उत्पादन के सभी कारकों में परिवर्तन किया जा सकता है।
सीमांत लागतः उत्पादन में प्रति इकाई परिवर्तन के फलस्वरूप कुल लागत में परिवर्तन ।
सीमांत उत्पाद : जब सभी निर्गत में परिवर्तन । अन्य आगतों को स्थिर रखा जाए , तब आगत में प्रति इकाई परिवर्तन के फलस्वरूप निर्गत में परिवर्तन।
सीमांत संप्राप्तिः निर्गत के विक्रय में प्रति इकाई परिवर्तन के फलस्वरूप कुल संप्राप्ति में परिवर्तन ।
किसी कारक का सीमांत संप्राप्ति उत्पादः किसी कारक के सीमांत उत्पाद का सीमांत आय से गुणा ।
बाजार पूर्ति वक्र : यह उन निर्गत स्तरों को दर्शाता है , जिसका कुल उत्पादन कोई फर्म बाज़ार में बाजार कीमत के विभिन्न मूल्यों पर करती है ।
एकाधिकारी प्रतियोगिता : यह वह बाजार संरचना है , जिसमें विक्रेताओं की संख्या तो बहुत होती है लेकिन उनके द्वारा बेचे जाने वाला मद सजातीय नहीं होता ।
एकाधिकार : यह वह बाजार संरचना है जिसमें केवल एक ही विक्रेता होता है तथा बाज़ार में किसी अन्य विक्रेता के प्रवेश को रोकने के लिए पर्याप्त नियंत्रण होते हैं ।
एकदिष्ट अधिमानः किसी उपभोक्ता का अधिमान केवल उसी स्थिति में एकदिष्ट होता है , जब किन्हीं दो बंडलों के बीच वह उस बंडल को पसंद करता है जिसमें दूसरे बंडल की तुलना में कम से कम किसी एक वस्तु की संख्या अधिक होती है तथा दूसरी वस्तु की संख्या कम नहीं होती ।
सामान्य वस्तुः उपभोक्ता की आय बढ़ने के साथ - साथ जिस वस्तु के लिए माँग भी बढ़ती जाए , उसे सामान्य वस्तु कहा जाता है ।
सामान्य लाभ : लाभ का वह स्तर जिस पर किसी फर्म को केवल उसकी सुनिश्चित लागतें और अवसर ही प्राप्त हो पाती हैं , उसे सामान्य लाभ कहा जाता है ।
अवसर लागतः किसी कार्य की अवसर लागत से अभिप्राय होता है , किसी दूसरे सर्वोत्तम कार्य से मिलने वाले लाभ को छोड़ना ।
पूर्ण प्रतिस्पर्धा बाजार की वह स्थिति जिसमें ( 1 ) सभी फर्मे एक ही वस्तु का उत्पादन करती हैं तथा ( ii ) क्रेता और विक्रेता कीमत स्वीकारक होते हैं ।
कीमत की उच्चतम सीमा : किसी वस्तु या सेवा की कीमत पर सरकार द्वारा निर्धारित उच्चतम सीमा को कीमत की उच्चतम सीमा कहा जाता है ।
माँग की कीमत लोचः किसी वस्तु के लिए माँग की कीमत लोच की परिभाषा हैं , वस्तु के लिए माँग में प्रतिशत परिवर्तन को उसकी कीमत में प्रतिशत परिवर्तन से भाग देने पर प्राप्त भागफल ।
पूर्ति की कीमत लोचः किसी वस्तु की बाजार कीमत में एक प्रतिशत परिवर्तन के फलस्वरूप उस वस्तु की पूर्ति की मात्रा में होने वाला प्रतिशत परिवर्तन ।
कीमत की निम्नतम सीमा : किसी विशेष वस्तु या सेवा के लिए सरकार द्वारा निर्धारित कीमत क निम्नतम सीमा ।
कीमत रेखाः यह समस्तरीय सरल रेखा होती है जो बाजार कीमत और किसी फर्म के उत्पादन स्तर के बीच के संबंध को दर्शाती है ।
उत्पादन फलन : यह उत्पादन की उस अधिकतम मात्रा को दर्शाता है , जिसका उत्पादन आगतों के विभिन्न संयोजनों का प्रयोग करके किया जा सकता है ।
लाभ : यह किसी फर्म की कुल संप्राप्ति और उसके कुल उत्पादन लागत के बीच का अंतर है।
अल्पकाल : इससे आशय उस समयावधि से होता है , जिसमें उत्पादन के कुछ कारकों में परिवर्तन नहीं किया जा सकता।
उत्पादन बंदी बिंदु : अल्पकाल में यह औसत परिवर्ती लागत वक्र का न्यूनतम बिंदु होता है तथा दीर्घकाल में दीर्घकालीन औसत लागत वक्र का न्यूनतम बिंदु होता है ।
प्रतिस्थापन प्रभावः किसी वस्तु की कीमत में परिवर्तन होने पर और उपभोक्ता की आय को समायोजित करने पर उस वस्तु की इष्टतम मात्रा में परिवर्तन , जिससे वह उपभोक्ता उसी बंडल को खरीद सके जिसे वह कीमत में परिवर्तन होने के पहले खरीदता था प्रतिस्थापन प्रभाव कहा जाता है ।
अधिसामान्य लाभ : किसी फर्म के सामान्य लाभ से अधिक जो लाभ प्राप्त होता है , उसे अधिसामान्य लाभ कहा जाता है ।
कुल लागतः कुल स्थिर लागत और कुल परिवर्ती लागत का योग है
कुल स्थिर लागत : कोई फर्म स्थिर आगतों को काम में लाने के लिए जिस लागत को लगाती है , उसे कुल स्थिर लागत कहा जाता है ।
कुल भौतिक उत्पादः कुल उत्पाद के समान ।
कुल उत्पादः अन्य सभी आगतों को स्थिर रखकर यदि किसी एक आगत में परिवर्तन किया जाता है , तब उस आगत के विभिन्न स्तरों पर प्रयोग के लिए उत्पादन फलन से विभिन्न स्तरों के उत्पादन प्राप्त होते हैं । परिवर्ती आगत और निर्गत के बीच के इस संबंध को कुल उत्पाद कहा जाता है ।
कुल प्रतिफलः कुल उत्पाद के समान कुल संप्राप्तिः किसी फर्म द्वारा बेची गयी वस्तु की मात्रा को वस्तु की बाजार कीमत से गुणा करने पर प्राप्त गुणनफल को कुल संप्राप्ति कहा जाता है ।
कुल संप्राप्ति वक्र : यह फर्म की कुल संप्राप्ति और फर्म के निर्गत स्तर के बीच के संबंध को दर्शाता है ।
कुल परिवर्ती लागतः परिवर्ती आगतों को काम में लाने के लिए किसी फर्म को जिस लागत का वहन करना होता है , उसे कुल परिवर्ती लागत कहा जाता है ।
किसी कारक के सीमांत उत्पाद का मूल्यः किसी कारक के सीमांत उत्पाद को कीमत से गुणा करने पर प्राप्त गुणनफल । परिवर्ती आगतः वह आगत जिसकी मात्रा में परिवर्तन किया जा सकता है ।
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