ECONOMICS QUESTION BANK SOLUTION – 2023
BY MANOJ SINGH PATEL CM RISE KASRAWAD
12 वी अर्थशास्त्र महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर PDF 2023 (प्रश्न बैंक) ECONOMICS QUESTION BANK SOLUTION – 2023
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12वीं अर्थशास्त्र प्रश्न उत्तर
अर्थशास्त्र मॉडल पेपर 2023
इकाई-01
व्यष्टि अर्थशास्त्र का परिचय।
वस्तुनिष्ठ 2 अंक - 2 प्रश्न 2 अंक का 1 प्रश्न
इकाई -1
1. व्यष्टि
अर्थशास्त्र में निम्न में से किसका अध्ययन किया जाता है?
A. व्यक्तिगत इकाई
B. राष्ट्रीय आय
C. पूर्ण रोजगार
D. उपरोक्त सभी
उत्तर- व्यक्तिगत इकाई
2. एक समाजवादी
अर्थव्यवस्था का मूल उद्देश्य होता है?
A. अधिकतम उत्पादन
B. आर्थिक स्वतंत्रता
C. लाभ कमाना
D. अधिकतम लोक कल्याण
उत्तर - अधिकतम लोक कल्याण
3. आर्थिक
समस्या मूलतः किस तत्व की समस्या है?
A. चुनाव की
B. आवश्यकता की
C. उत्पादन की
D. उपरोक्त सभी
उत्तर - चुनाव की
4. किस अर्थव्यवस्था
में कीमत तंत्र के आधार पर निर्णय लिए जाते हैं ।
A. समाजवादी
B. मिश्रित
C. पूंजीवादी
D. उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर - पूंजीवादी
5. आर्थिक
समस्या मूलतः किस तत्व की समस्या है ।
A. चुनाव की
B. आवश्यकता की
C. उत्पादन की
D.उपरोक्त सभी
उत्तर - चुनाव की
6. एक फर्म
एक उद्योग एक वस्तु के मूल्य का अध्ययन क्षेत्र है।
A. समष्टि अर्थशास्त्र।
B. व्यष्टि अर्थशास्त्र
C. राष्ट्रीय आय
D. राष्ट्रीय उत्पाद
उत्तर - A. समष्टि अर्थशास्त्र।
रिक्त स्थान
1. सभी क्रियाएं जो आय सृजित करती है................ क्रियाएं होती है।
उत्तर - आर्थिक
2. उत्पादन संभावना वक्र ........... ढाल लिए होता है।
उत्तर - दाएं
3. व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र एक दूसरे के.......... होते हैं ।
पूरक
4. व्यष्टि अर्थशास्त्र का मुख्य यंत्र............ है।
कीमत
5. मिश्रित अर्थव्यवस्था ............और.......... को मिलाकर बनती है।
पूंजीवादी समाजवादी
एक शब्द
1. भारत में कौन से आर्थिक प्रणाली अपनाई गई हैं।
मिश्रित
2. पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में केंद्रीय समस्याओं का समाधान किसके द्वारा किया जाता है
बाजार तंत्र या कीमत यंत्र द्वारा
3. समाजवादी अर्थव्यवस्था में केंद्र समस्याओं का समाधान किसके द्वारा किया जाता है
आर्थिक नियोजन प्रणाली द्वारा
सत्य / असत्य
1. साधनों
किसी सीमितता की आर्थिक समस्या का मूल कारण है। सत्य
2. हस्तक्षेप
की नीति पूंजीवाद से संबंधित है। सत्य
3. समाजवाद
में केंद्रीय नियोजन अनिवार्य है। सत्य
4. व्यष्टि
तथा समष्टि अर्थशास्त्र एक दूसरे के पूरक हैं। सत्य
2 अंक का 1 प्रश्न
1 प्रश्न - व्यष्टि अर्थशास्त्र की कहते हैं?
उत्तर - व्यष्टि अर्थशास्त्र अर्थशास्त्र की वह शाखा जो अर्थव्यवस्था के छोटे भागो एवं व्यक्तिगत आर्थिक इकाइयों जैसे एक उपभोक्ता एक उत्पादक एक परिवार एक फर्म एक उद्योग आदि का आर्थिक अध्ययन करती है व्यष्टि अर्थशास्त्र कहलाती है।
2 प्रश्न- अर्थव्यवस्था किसे कहते हैं?
उत्तर अर्थव्यवस्था किसी भी देश की आर्थिक प्रणाली है जो उस देश के आर्थिक क्रियाओं के संचालन को बताती है प्रत्येक अर्थव्यवस्था किसी न किसी आर्थिक प्रणाली पर आधारित होती है। किसी देश में समस्त आर्थिक क्रियाओं का परिपथ अर्थव्यवस्था कहलाता है।
3 प्रश्न-अवसर लागत किसे कहते हैं?
प्रोफेसर कॉल के अनुसार :- "एक कार्य के चयन द्वारा विकल्प अवसर के त्याग का मूल्य कार्य विशेष की विकल्प को लागत या अवसर लागत है।"
किसी साधन की अवसर लागत से अभिप्राय उसके दूसरे सर्वश्रेष्ठ विकल्प मूल्य के त्याग से हैं।
4 प्रश्न-सीमांत उत्पादन संभावना क्या है?
उत्तर- सीमांत उत्पादन संभावना एक साधन की अवसर लागत पर निर्भर करती है। एक उत्पादन संभावना वक्र दो वस्तुओं के उन सभी संयोगों को बताता है जिनका अधिकतम उत्पादन एक अर्थव्यवस्था के लिए संभव है, जब कि संसाधनों की मात्रा स्थिर है एवं उनका पूर्ण प्रयोग हो रहा है तथा उत्पादन की तकनीक की स्थिति दी हुई है।
सेम्युलसन:-"एक उत्पादन संम्भावना वक्र चुनावों की सूची को बताता है।"
5 प्रश्न-सकारात्मक अर्थशास्त्र किसे कहते हैं?
उत्तर-सकारात्मक या वास्तविक आर्थिक विश्लेषण आर्थिक समस्याओं का "कारण" और "परिणाम" के संबंध में विश्लेषण करता है।
वह आर्थिक विश्लेषण में क्या है What is को बताता है क्या होना चाहिए what ought to be की बात नहीं करता।
6 प्रश्न-समष्टी अर्थशास्त्र किसे कहते हैं?
उत्तर - समष्टि अर्थशास्त्र का अर्थ
समष्टि अर्थशास्त्र, अर्थशास्त्र के आर्थिक विश्लेषण की वह शाखा है, जो जिसमें अर्थव्यवस्था के बड़े भागों का अध्ययन किया जाता है। अर्थात इसके अंतर्गत ऐसे विशाल समूह का अध्ययन किया जाता है जो संपूर्ण अर्थव्यवस्था को प्रदर्शित करते हैं जैसे कुल रोजगार , कुल आय , कुल उत्पादन, कुल विनियोग , कुल बचत , कुल उपभोग , कुल पूर्ति, कुल मांग , सामान्य कीमत स्तर इत्यादि।
इकाई-02
उपभोक्ता व्यवहार का सिद्धांत।
वस्तुनिष्ठ 2 अंक - 5 प्रश्न 3 अंक का 2 प्रश्न 4 अंक का 1 प्रश्न
1. जब कुल उपयोगिता अधिकतम होती है , तब सीमांत उपयोगिता
A. धनात्मक होती है
B. ऋणात्मक होती हैं
C. शून्य होती हैं।
D. उपरोक्त सभी
उत्तर - शून्य होती हैं।
2. उपयोगिता का संबंध होता है
A. लाभदाकता से
B. मानव आवश्यकता की पूर्ति से।
C. नैतिकता से
D. उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर- मानव आवश्यकता की पूर्ति से।
3. जब कुल उपयोगिता अधिकतम होती है तब सीमांत उपयोगिता -
A. धनात्मक होती है
B. शून्य होती है
C. ऋणात्मक होती
D. उपरोक्त सभी
उत्तर- B. शून्य होती है
4. किसी वस्तु की मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति की क्षमता को कहते हैं ।
A. उत्पादकता
B. उपयोगिता
C. लाभदायकता।
D. कोई नहीं
उत्तर- B. उपयोगिता
5. ऐसी वस्तुएं जिनका एक दूसरे के बदले प्रयोग किया जाता है कहलाती है।
A. पूरक वस्तुएं
B. स्थानापन्न वस्तुएं
C. आरामदायक
D. वस्तुएं कोई नहीं
उत्तर- B. स्थानापन्न वस्तुएं
6 मांग का नियम है -
A. गुणात्मक कथन
B. मात्रात्मक कथन
C. अ तथा ब दोनों
D. कोई नहीं।
उत्तर- A. गुणात्मक कथन
7. कॉफी के मूल्य में वृद्धि चाय की मांग -
A. बढ़ती है
B. घटती है
C. स्थर रहती हैं
D. इनमें से कोई नहीं
उत्तर- A. बढ़ती है
रिक्त स्थान
1. उपयोगिता का अर्थ आवश्यकता......... की शक्ति का होना।
पूर्ति
2. कुल उपयोगिता .......उपयोगिताओं का योग होती है।
सीमांत
3. गिफिन वस्तुओं के लिए मांग की लोच .........सकती है ।
निम्नस्तरीय
4. उंची तटस्थता वक्र दर्शाती है ..........स्तर की संतुष्टि।
उच्च
5. मांग का नियम .......कथन है।
गुणात्मक
6. मांग की लोच की......... श्रेणियां है ।
5
एक शब्द/ वाक्य
1. बजट रेखा का दूसरा नाम क्या है?
कीमत रखा
2. जब सीमांत उपयोगिता शून्य होती है ।तब कुल उपयोगिता क्या होगी।
अधिकतम
3. मांग की कीमत लोच कितने प्रकार की होती है।
5
4. गिफिन वस्तुओं के लिए मांग की लोच कैसी होती है ।
कम
5. किसी वस्तु की मानवीय आवश्यकता की पूर्ति की क्षमता को क्या कहते हैं ।
उपयोगिता
6. किसी वस्तु की मांग एवं कीमत में किस प्रकार का संबंध होता है ।
विपरीत
7. किस प्रकार की वस्तुओं की मांग लोचदार होती है।
विलासिता की वस्तुएं
सत्य असत्य बताइए
1. उपयोगिता की माप की जा सकती है।
सत्य
2. कॉफी के मूल्य में वृद्धि होने से चाय की मांग कम हो जाती है।
असत्य
3. ऐसी वस्तुएं जिनका एक दूसरे के बदले प्रयोग किया जाता है पूरक वस्तुएं कहलाती है ।
असत्य
4. उपयोगिता व्यक्तिगत होती है ।
सत्य
5. उपयोगिता को मुद्रा से नहीं मापा जा सकता ।
असत्य
6. मानवीय आवश्यकताओं को संतुष्ट करने की क्षमता ही उपयोगिता है।
सत्य
7. गिफिन वस्तुओं पर मांग का नियम लागू होता है ।
असत्य
8. दो अनधिमान या तटस्थता (उदासीनता) वक्र एक दूसरे को काटते हैं ।
असत्य
सही जोड़ियां
1. मांग का नियम कीमत तथा मांग में वितरित संबंध
2. पूरक वस्तुएं कार तथा पेट्रोल
3. स्थानापन्न वस्तुएं चाय तथा कॉफी
3 अंक का 2 प्रश्न
1 प्रश्न- उपयोगिता की तीन विशेषताएं।
उपयोगिता की विशेषताएं
✍️1. उपयोगिता एक मनोवैज्ञानिक धारणा है :- उपयोगिता का कम या अधिक होना उपभोक्ता के मानसिक दशा पर निर्भर करता है।
✍️2. उपयोगिता व्यक्तिनिष्ठ होती है :- एक ही वस्तु या सेवा से अलग-अलग व्यक्तियों को अलग-अलग उपयोगिता प्राप्त हो सकती हैं अर्थात उपयोगिता व्यक्ति निष्ठ होती है
✍️3. उपयोगिता सापेक्षिक होती है :-समय और स्थान के अनुसार उपयोगिता में परिवर्तन आ जाता है।
2 प्रश्न- मांग का नियम तालिका तथा चित्र की सहायता से समझाइए।
उत्तर - प्रोफेसर मार्शल के अनुसार
- "यदि अन्य बातें समान रहे तो किसी वस्तु के मूल्य कम होने पर उसकी मांग बढ़ जाती है और मूल्य अधिक होने पर उसकी मांग कम हो जाती है।" मांग का नियम वस्तु की कीमत और वस्तु की मांगी जाने वाली मात्रा में विपरीत संबंध को बताता है।
मांग के नियम की सचित्र व्याख्या
मांग का नियम वस्तु की कीमत और उस वस्तु की मांगी जाने वाली मात्रा के गुणात्मक संबंध को बताता है। अर्थात वस्तु की कीमत में परिवर्तन के फल स्वरुप उसकी मांगी जाने वाली मात्रा की दिशा में परिवर्तन को बताता है।
3 प्रश्न- स्थानापन्न पर वस्तुएं क्या है? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर - स्थानापन्न वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो एक दूसरे के स्थान पर एक ही उद्देश्य के लिए प्रयोग की जा सकती है।
उदाहरण के लिए चाय- कॉफी, गुड़ -शक्कर, मैंगो जूस- ऑरेंज जूस आदि।
"अन्य बातें समान रहने पर एक वस्तु के मूल्य में परिवर्तन होने के परिणाम स्वरूप दूसरी वस्तु की मांग में सीधा परिवर्तन होगा जबकि दूसरी वस्तु की कीमत स्थिर रहती है।" अर्थात एक वस्तु की कीमत और दूसरी वस्तु की मांग में सीधा संबंध होता है।
4 प्रश्न- पूरक वस्तुएं क्या है? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर- पूरक वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो एक साथ प्रयोग में लाई जा सकती है। जैसे- कार- पैट्रोल ,पेन- स्याही आदि।
"अन्य बातें समान रहने पर एक वस्तु के मूल्य में परिवर्तन होने पर दूसरी वस्तु की मांग में विपरीत परिवर्तन होगा।" अर्थात पेट्रोल के मूल्य में वृद्धि पर कार की मांग कम हो होगी।
इसे एक उदाहरण से समझे - पेट्रोल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि होने पर कार की मांग कम हो जाएगी, क्योंकि कार एवं पेट्रोल एक दूसरे के पूरक हैं। एक वस्तु की कीमत यहां दूसरी वस्तु की मांग को प्रभावित कर रही है।
5 प्रश्न-अनधिमान(उदासीनता तटस्थता) वक्रों की तीन विशेषताएं लिखिए।
ANS.
6 प्रश्न-उपभोक्ता के बजट सेट से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- उपभोक्ता के बजट सेट सभी बंडलों (संयोगों) का संग्रह है जिसे उपभोक्ता विद्यमान बाजार कीमतों पर अपनी आय से खरीद सकता है।
4 अंक का 1 प्रश्न
1 प्रश्न-ह्रासमान उपयोगिता नियम को सचित्र समझाइए।(उपयोगिता ह्रासमान नियम)
ANS.
2 प्रश्न-मांग की कीमत लोच की विभिन्न श्रेणियों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर - मांग की लोच या मांग की कीमत लोच का अर्थ -
मांग की कीमत लोच किसी वस्तु की कीमत में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन के परिणाम स्वरुप उस वस्तु की मांग में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन का अनुपात बताती हैं।
मांग की कीमत लोच की श्रेणियां या प्रकार
1. सापेक्षत: लोचदार मांग ( e > 1 ) इकाई से अधिक लोचदार
2. सापेक्षत:
बेलोचदार मांग ( e <
1 ) इकाई से कम लोचदार
3. इकाई लोचदार मांग ( e = 1 ) इकाई के बराबर लोचदार
4. पूर्ण बेलोचदार मांग ( e = 0 ) शून्य लोचदार
5. पूर्ण लोचदार मांग ( e = °° ) अनंत लोचदार
3 प्रश्न- कुल उपयोगिता तथा सीमांत उपयोगिता में संबंध बताइए
ANS.
4 प्रश्न-मांग की कीमत लोच को प्रभावित करने वाले तत्व लिखिए।
मांग की लोच को प्रभावित करने वाले प्रमुख तत्व / घटक / कारक
उत्तर- मांग की लोच को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित है।
1. वस्तु की प्रकृति
2. स्थानापन्न वस्तुओं की उपलब्धता
3. वस्तु का प्रयोग
4. उपभोक्ता की आदत
5. क्रेताओं का आय का स्तर
1. वस्तु की प्रकृति साधारणतया अनिवार्य वस्तुओं जैसे - नमक, मिट्टी का तेल, माचिस, पुस्तकें आदि की मांग बेलोचदार होती है | विलासिता की वस्तुओं जैसे TV, सोना की मांग लोचदार होती है।
2. स्थानापन्न वस्तुओं की उपलब्धता ऐसी वस्तुओं की मांग जिनके निकट स्थानापन्न जैसे चाय तथा कॉफी होते हैं उनकी मांग अधिक लोचदार होती है। जिन वस्तुओं के निकट स्थानापन्न जैसे- सिगरेट उपलब्ध नहीं होते उनके मांग अपेक्षाकृत कम लोचदार होती है।
3. वस्तु का प्रयोग जिन वस्तुओं का प्रयोग अनेक कार्यों में किया जा सकता है उनकी मांग की लोच अधिक लोचदार होती है। जैसे बिजली, कोयला बिजली की दरों में कमी आने पर इसका प्रयोग रोशनी, खाना बनाने कमरे को गर्म करने, टीवी चलाने, मशीन चलाने में किया जाता है। थोड़ी भी वृद्धि होने पर बिजली का प्रयोग अत्यंत आवश्यक कार्य में ही किया जाता है।
4. उपभोक्ताओं की आदत उपभोक्ताओं को जिन वस्तुओं की आदत पड़ जाती है उनकी मांग भी लोचदार होती है। जैसे सिगरेट तथा तंबाकू कर का भार अधिक होने पर भी सिगरेट तथा तंबाकू की मांग कम नहीं होती है।
5. केताओं का आय स्तर एक वस्तु की मांग की लोच इसके केताओं के आय स्तर पर भी निर्भर करती है। यदि किसी वस्तु के उपभोक्ता अधिक आय वाले होते हैं तो वे कीमत बढ़ने पर भी मांगी गई मात्रा में कमी नहीं करते। अरबपतियों द्वारा विलासिता पूर्ण कारों की मांग
इकाई - 3
उत्पादन तथा लागत
वस्तुनिष्ठ 4 अंक - 4 प्रश्न 2 अंक का 1 प्रश्न 4 अंक का 1 प्रश्न
प्रश्न 1 सही विकल्प चुनिए-
1 उत्पादन फलन में उत्पादन किसका फलन है-
(अ) कीमत का
(ब) उत्पत्ति के साधनो क
(स) कुल यह का
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-1.
(ब) उत्पत्ति के साधनो का।
2 अल्पकालीन उत्पादन फलन की व्याख्या निन्नलिखित में से किस नियम द्वारा की जाती है-
(अ) मांग के नियम से
(ब) परिवर्तनशील अनुपातो के नियम द्वारा
(स) पैमाने के प्रतिफल नियम द्वारा
(द) मांग की लोच द्वारा
उत्तर-2. (ब) परिवर्तनशील अनुपातो के नियम द्वारा।
3 दीर्घकाली उत्पादन फलन का संबंध निम्न में से किससे है-
(अ) मांग के नियम से
(ब) उत्पत्ति वृद्धि नियम से
(स) पैमाने के प्रतिफल नियम द्वारा
(द) मांग की लोच द्वारा
उत्तर-3. (स) पैमाने के प्रतिफल नियम द्वारा।
4 उत्पादन के साधन है-
(अ) भूमि
(ब) श्रम
(स) पूंजी
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर-4. (द) उपरोक्त सभी।
5 उत्पत्ति ह्रास नियम लागू होने का मुख्य कारण कौन सा है-
(अ) साधनों की सीमितता
(ब)साधनों का अपूर्ण स्थानापन्न होना
(स)अ तथा ब दोनों
(द)इन ने से कोई नहींं
उत्तर-5. (अ) साधनों की सीमितता
प्रश्न 2 रिक्त स्थान भरिए-
1 आप कालीन उत्पादन फलन को.......... कहा जाता है।
उत्तर-1 सीमांत
2 पैमाने के प्रतिफलों को संबंध............ काल की अवधि से है।
उत्तर-2 परिवर्तनशील
3 उत्पादन की प्रति इकाई लागत को............. लागत कहते हैं।
उत्तर-3 औसत
4 कुल परिवर्तनशील लागत = कुल लागत (-)........... ।
उत्तर-4 कुल स्थिर लागत
प्रश्न 3 सही जोड़ियां बनाइए-
खण्ड अ खण्ड ब
1. परिवर्ती अनुपात नियम। (अ) कम से कम एक कारक में परिवर्तन परिवर्तन परिवर्तन परिवर्तन परिवर्तन परिवर्तन
2. पैमाने का प्रतिफल। (ब) दीर्घकाल से संबंधित
3. उत्पादन फलन। (स) आगतो तथा निर्गातो के बीच
संबंध
प्रश्न 4 एक शब्द/वाक्य में उत्तर दीजिए-
1. अल्पकालीन उत्पादन फलन को क्या कहा जाता है?
उत्तर- परिवर्तनशील।
2. उत्पादन के चार साधनों के नाम लिखिए-
उत्तर- भूमि , पूंजी , श्रम , साहस।
3. स्थिर लागत का दूसरा नाम क्या है?
उत्तर- दीर्घकालीन लागते।
2 अंक का 1 प्रश्न
1 प्रश्न-उत्पादन फलन किसे कहते हैं?
उत्तर - एक फर्म का उत्पादन फलन उपयोग में लाए गए आगतों( साधनों )तथा फर्म द्वारा उत्पादित निर्गतओं (वस्तु की उत्पादित मात्रा) के मध्य फलनात्मक संबंध को व्यक्त करता है । उत्पादन फलन Qx =
f(A,B,C,D)
Qx =
X वस्तु का भौतिक उत्पादन( निर्गत ) Outputs A,B,C,D उत्पत्ति के साधन (आगत)
वाटसन :- "एक फर्म भौतिक उत्पादन और उत्पादन के भौतिक साधनों के संबंध को उत्पादन फलन कहा जाता है।"
2 प्रश्न-पैमाने के प्रतिफल किसे कहते हैं?
उत्तर - पैमाने के प्रतिफल का नियम -
दीर्घकाल में उत्पादन के साधनों में समान अनुपात में वृद्धि करने पर उत्पादन किस अनुपात में बढ़ता है यही पैमाने के प्रतिफल का नियम बताता है।
अर्थात दिर्घकाल में पैमाने के प्रतिफल सभी साधनों में समान अनुपात में होने वाले परिवर्तनों के फलस्वरूप कुल उत्पादन में होने वाले परिवर्तन से है।
3 प्रश्न-स्थिर लागत किसे कहते हैं?
उत्तर - स्थिर साधनों को दिया जाने वाला पारितोषिक व्यय स्थिर लागत होता है। यह व्यय अनिवार्य वह होता है जैसे :- भूमि को किराया, मशीन की लागत ,चौकीदार का वेतन आदि।
4 प्रश्न-परिवर्तनशील लागत का अर्थ लिखिए।
उत्तर - परिवर्तनशील साधनों को दिए जाने वाला पारितोषिक व्यय परिवर्तनशील लागत कहलाता है । जैसे कच्चा माल , बिजली बिल , परिवहन आदि ।
4 अंक का 1 प्रश्न
1 प्रश्न-पैमाने के प्रतिफल एवं परिवर्ती अनुपात के नियम में अंतर स्पष्ट कीजिए।
ANS.
2 प्रश्न-ह्रासमान सीमांत उत्पादन नियम या परिवर्ती अनुपात नियम को चित्र द्वारा समझाइए । (उत्पत्ति ह्रास नियम लिखना है)
उत्तर - परिवर्तनशील अनुपात का नियम अल्पकाल से संबंधित है ।अल्पकाल में अन्य साधनों की मात्रा को स्थिर रखकर जब किसी एक साधन की मात्रा में वृद्धि की जाती है तो उत्पादन की तीन अवस्थाएं प्राप्त होती है।
प्रथम अवस्था में उत्पत्ति वृद्धि नियम क्रियाशील रहता है। जिसमें सीमांत उत्पादन तेजी से बढ़ता है ।
दूसरी अवस्था को उत्पत्ति स्थिर( समता )नियम कहा जाता है जिसमें सीमांत उत्पादन बढ़ता है मगर घटती दर से।
तृतीय अवस्था को उत्पत्ति ह्रास नियम भी कहा जाता है जिसमें सीमांत उत्पादन mp ऋणात्मक हो जाती हैं।
चित्रद्वारा प्रदर्शन
3. स्थिर लागत एवं परिवर्तनशील लागत में अंतर लिखिए।
उत्तर
अंतर
✍️1. इसका संबंध उत्पादन के स्थिर साधनों से होता है ।
इसका संबंध उत्पादन के परिवर्तनशील साधनों से होता है।
✍️2. इसका संबंध अल्पकाल अवधि से है ।
इसका संबंध दीर्घकाल अवधि से है।
✍️3. उत्पादन की मात्रा में परिवर्तन का स्थिर लागतो पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता ।
उत्पादन की मात्रा में परिवर्तन होने पर परिवर्तनशील लागते भी परिवर्तित हो जाती है।
✍️4. उत्पादन स्तर के शून्य होने पर भी कुल स्थिर लागत अपरिवर्तित रहती हैं।
उत्पादन शून्य होने पर अल्पकाल में परिवर्तनशील लागते भी शुन्य हो जाती है।
✍️5. स्थिर लागते कुल लागत में से परिवर्तनशील लागत को घटाने पर प्राप्त होती है।
परिवर्तनशील लागत है कुल लागत में से स्थिर लागत को घटाने पर प्राप्त होती है।
इकाई - 4
पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का सिद्धांत
वस्तुनिष्ठ 2 अंक - 2 प्रश्न 3 अंक का 1 प्रश्न
3 अंक का 1 प्रश्न
1 प्रश्न-पूर्ण प्रतिस्पर्धा (पूर्ण प्रतियोगिता) की तीन विशेषताएं लिखिए।
पूर्ण प्रतियोगिता की दशाएं / विशेषताएं
1. फर्म या विक्रेताओं की अधिक संख्या - किसी वस्तु को बेचने वाले विक्रेताओं की संख्या इतनी अधिक होती है , कि कोई अकेली फार्म वस्तु की कीमत को प्रभावित नहीं कर सकती ।
2.पूर्ण ज्ञान - क्रेता और विक्रेताओं को बाजार में प्रचलित कीमत की पूरी जानकारी होती है । क्रेता को इस बात का पूर्ण ज्ञान होता है कि भिन्न - भिन्न विक्रेता वस्तुओं को किस कीमत पर बेच रहे हैं ।
3. वस्तुओं का समरूप होना - पूर्ण प्रतियोगिता की महत्वपूर्ण विशेषता यह है , कि विभिन्न फर्म द्वारा उत्पादित वस्तुओं में समरूपता का गुण होता है उत्पादन में समरूपता होने के कारण विक्रेता बाजार में प्रचलित मूल्य से अधिक कीमत नहीं ले सकेगा , क्योंकि क्रेता दूसरे विक्रेताओं से वस्तुएं खरीद लेंगे ।
2 प्रश्न- पूर्ति के नियम को चित्र द्वारा समझाइए।
पूर्ति का नियम
अन्य बातें स्थिर रहते हुए किसी वस्तु की कीमत में वृद्धि होने पर उसकी पूर्ति में भी वृद्धि होती है तथा कीमत में कमी होने पर उसकी पूर्ति में भी कमी होती है। इसे पूर्ति का नियम कहते हैं ।वस्तु की कीमत तथा वस्तु की पूर्ति मैं सीधा या धनात्मक संबंध होता है।
चित्र-
3 प्रश्न- पूर्ति की लोच को कौन कौन से घटक /कारक/ तत्व प्रभावित या निर्धारित करते हैं?
पूर्ति को प्रभावित करने वाले तत्व निम्नलिखित हैं-
1. वस्तु की कीमत -वस्तु की कीमत भी वस्तु की पूर्ति को प्रभावित करती है ऊंची कीमतों पर पूर्ति अधिक कम कीमत पर पूर्ति कम होती है।
2.अन्य संबंधित वस्तुओं की कीमत- स्थानापन्न एवं पूरक वस्तुओं की कीमतों में परिवर्तन का वस्तु की पूर्ति पर प्रभाव पड़ता है।
3.उत्पादन के साधनों की कीमत -वस्तु की पूर्ति उत्पादन के साधनों की कीमत को प्रभावित करती है।
4. तकनीकी ज्ञान- तकनीकी ज्ञान से वस्तु की पूर्ति में वृद्धि होती है।
5. शासकीय नीति - करों में वृद्धि वस्तु की पूर्ति में कमी लाती है जबकि करों में कमी से वस्तु की पूर्ति में वृद्धि होती है।
6.भविष्य में कीमतों में परिवर्तन की संभावना- भविष्य में वस्तु की किंतु में होने वाले परिवर्तनों की संभावना भी वस्तु की पूर्ति को प्रभावित करती है।
इकाई - 5
बाजार संतुलन
वस्तुनिष्ठ 2 अंक - 2 प्रश्न 2 अंक का 2 प्रश्न
2 अंक का 2 प्रश्न
1 प्रश्न- बाजार का अर्थ लिखिए ।
अर्थशास्त्र में बाजार की परिभाषा में क्रेता और विक्रेताओं को भौतिक रूप से एक स्थान पर उपस्थित होना अनिवार्य नहीं है। आधुनिक समय में वस्तुओं सेवाओं का क्रय विक्रय विभिन्न संचार माध्यमों से सौदेबाजी से परस्पर स्वीकार कीमत पर संपन्न हो जाता है।
2 प्रश्न- संतुलित कीमत किसे कहते हैं?
उत्तर - संतुलन कीमत वह कीमत है जो मांग एवं पूर्ति की शक्तियों द्वारा उस बिंदु पर निर्धारित होती है जहां वस्तु की मांग और पूर्ति आपस में बराबर हो जाते हैं।
3 प्रश्न- उच्चतम निर्धारित कीमत किसे कहते हैं ? (कीमत उच्चतम सीमा price ceiling limit)
किसी वस्तु या सेवा की सरकार द्वारा निर्धारित कीमत की ऊपरी सीमा को उच्चतम निर्धारित कीमत कहते हैं? अर्थात कीमत की है उच्चतम सीमा उस कीमत को बताती है जिसे विक्रेता सरकारी हस्तक्षेप होने पर अधिकतम कीमत के रूप में प्राप्त कर सकता है।
4 प्रश्न- निम्नतम निर्धारित कीमत किसे कहते हैं?
उत्तर- न्यूनतम कीमत से अभिप्राय किसी वस्तु की न्यूनतम कीमत से जिसे सरकार के द्वारा निर्धारित किया जाता है ।
किसी वस्तु या सेवा की सरकार के द्वारा निर्धारित न्यूनतम सीमा को कीमत पर न्यूनतम निर्धारित कीमत कहते हैं।
5 प्रश्न- बाजार में किसी वस्तु के लिए अधि मांग का अर्थ लिखिए ।
अधिमांग से तात्पर्य वस्तु की मांग का उसकी पूर्ति से अधिक होना ही अधिमांग कहलाता है । यदि वस्तु की विशेष कीमत पर बाजार मांग उसकी बाजार पूर्ति से अधिक है तो उसे कीमत या बाजार में अभिमांग कहते है।
6 प्रश्न- बाजार में किसी वस्तु के लिए अधि पूर्ति का अर्थ लिखिए । OR अधिपूर्ति किसे कहते हैं?
अधिपूर्ति से तात्पर्य यदि किसी कीमत विशेष पर बाजार पूर्ति उसकी बाजार मांग से अधिक है, तो उसे उस कीमत पर बाजार में अधिपूर्ति कहा जाता है।
7 प्रश्न- बाजार मूल्य निर्धारण या बाजार कीमत क्या है ? OR बाजार मूल्य क्या है?
बाजार मूल्य अल्पकालीन मूल्य होता है जो अल्पकाल में मांग एवं पूर्ति के अस्थाई संतुलन द्वारा निर्धारित होता है। बाजार मूल्य निर्धारण में पूर्ति की अपेक्षा मांग अधिक प्रभावी होती है।
8 प्रश्न- सामान्य मूल्य निर्धारण या सामान्य कीमत क्या है? या सामान्य मूल्य क्या है?
दिर्घकाल में मांग एवं पूर्ति की शक्तियों द्वारा निर्धारित कीमत को सामान्य कीमत या सामान्य मूल्य कहा जाता है। सामान्य मूल्य मांग और पूर्ति की शक्तियों के बीच स्थाई संतुलन का परिणाम है। सामान्य मूल्य के निर्धारण में मांग की अपेक्षा पूर्ति का अधिक प्रभाव होता है।
भाग-2 समष्टि
इकाई -1
समष्टि अर्थशास्त्र एक परिचय
वस्तुनिष्ठ 2 अंक - 2 प्रश्न
इकाई - 2
राष्ट्रीय आय का लेखांकन
वस्तुनिष्ठ 4 अंक - 4 प्रश्न 2 अंक का 2 प्रश्न
2 अंक का 2 प्रश्न
1 प्रश्न- राष्ट्रीय आय की परिभाषा दीजिए।
उत्तर राष्ट्रीय आय का अर्थ - राष्ट्रीय आय किसी राष्ट्र की सामान्यतः एक वित्तीय वर्ष में उत्पादित समस्त अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं का मौद्रिक मूल्य है। जिसमें वस्तुओं सेवाओं के प्रयोग में लाई गई मशीनों का मूल्य ह्रास घटा दिया जाता है।
2 प्रश्न- सकल राष्ट्रीय उत्पाद से आप क्या समझते हैं?
बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद किसी देश की अर्थव्यवस्था में एक वित्तीय वर्ष में उत्पादित अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं का बाजार मूल्य जिसमें विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय को भी शामिल किया जाता है।
3 प्रश्न- मूल्य ह्रास क्या है?
मूल्यह्रास उत्पादन की प्रक्रिया में मशीनों, उपकरणों, पूंजीगत परिसंपत्तियों में सामान्य टूट-फूट और कल पुर्जों के घिसने के मूल्य में कमी आ जाती है। पूंजीगत वस्तुओं के मूल्य में यह कमियां आकस्मिक रूप से दुर्घटनावस प्रचलन के कारण हो सकती हैं।
मूल्यह्रास की गणना
- शुद्ध विनियोग = कुल विनियोग
- मूल्य ह्रास
4 प्रश्न- सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) से आप क्या समझते हैं?
ANS.
5 प्रश्न- आय का चक्रीय प्रवाह क्या है?
आय के चक्रीय प्रवाह से तात्पर्य उस प्रक्रिया से हैं जिसके अंतर्गत किसी अर्थव्यवस्था में राष्ट्रीय आज चक्राकार रूप में निरंतर एक अर्थिक क्षेत्र से दूसरे आर्थिक क्षेत्र की और प्रवाहित होती है।
6 प्रश्न- मिश्रित आय से आप क्या समझते हैं?
उत्पादन कार्य को संपन्न करने वाले स्व नियोजित की मिश्रित आय में श्रमिकों की कुल आय और मध्यवर्ती उद्योगों की अर्जित आय सम्मिलित होती है । यहां आशिक रूप से श्रम आय और आंशिक रूप से पूंजी आय को शामिल किया जाता है।
7 प्रश्न- दोहरी गणना क्या है? एवं इससे कैसे बचा जा सकता है?
राष्ट्रीय आय के मापन में किसी वस्तु या सेवा का मूल्य एक से अधिक बार शामिल करना दोहोरी गणना कहलाता है।
राष्ट्रीय आय के आकलन में एक वस्तु के मूल्य की गणना जब एक बार से अधिक होती है तो उसे दोहोरी करना कहते हैं। इसके फलस्वरुप राष्ट्रीय उत्पाद में अनावश्यक रूप से वृद्धि हो जाती है।
इकाई -3
मुद्रा एवं बैंकिंग
वस्तुनिष्ठ 1 अंक - 1 प्रश्न 2 अंक का 1 प्रश्न 3 अंक का 1 प्रश्न
2 अंक का 1 प्रश्न
1 प्रश्न- केंद्रीय बैंक की परिभाषा दीजिए।
केंद्रीय बैंक वह हे जो देश की समूची बैंकिंग व्यवस्था हो नियंत्रित करते हैं। यह वह बैंक है जो देश की मौद्रिक, बैंकिंग तथा साख प्रणाली का नियमन एवं नियंत्रण करता है भारत का केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया है जिसकी स्थापना 1 अप्रैल 1935 को हुई।
2 प्रश्न- मुद्रा की परिभाषा दीजिए।
मुद्रा कोई भी ऐसी वस्तु है जिसे विनिमय के माध्यम, मूल्य के मापक, शक्ति के संचय तथा भावी भुगतान के मान के रूप में सभी व्यक्तियों द्वारा स्वतंत्र ,विस्तृत एवं सामान्य रुप से स्वीकार किया जाता है।
प्रो. हार्टले विदर्भ के अनुसार - " मुद्रा वह है जो मुद्रा का कार्य करें।"
3 प्रश्न- वस्तु विनिमय का आशय बताइए।
उत्तर - किसी भी अर्थव्यवस्था की वह प्रणाली जिसमें वस्तुओं के बदले वस्तुओं का लेनदेन किया जाता है। अर्थात अदला-बदली की जाती है ,वस्तु विनिमय प्रणाली कहलाती है।
4 प्रश्न- बैंक दर से क्या आशय है?
बैंक दर वह दर है जिस पर देश का केंद्र बैंक का अन्य व्यापारी बैंकों द्वारा प्रस्तुत प्रथम श्रेणी के व्यापारी बिलों की पुनर्कटौती करता है तथा स्वीकृत प्रतिभूतिओं के आधार पर ऋण देने के लिए तैयार रहता है।
3 अंक का 1 प्रश्न
1 प्रश्न- एक अच्छी मुद्रा के गुण लिखिए।
एक अच्छी मुद्रा में निम्न लिखितत गुणों का समावेश होना चाहिए।
1. टिकाऊपन - एक मुद्रा टिकाऊ होने चाहिए अर्थात एक बार जिस मुद्रा का निर्गमन किया जाए उसका वर्षों तक प्रयोग किया जाना चाहिए।
2. मितव्ययिता - अच्छी मुद्रा वहां है जिसमें मितव्ययिता का गुण पाया जाता है, अर्थात मुद्रा व्यवस्था कम खर्च ली होनी चाहिए।
3. वहनीयता - एक अच्छी मुद्रा पदार्थ के लिए अवश्य है कि उसमें वहनीयता का गुण होना चाहिए , अर्थात मुद्रा को एक स्थान से दूसरे स्थान मिले जाना आसान हो।
4. सामान्य स्वीकृति - मुद्रा में सामान्य स्वीकृति का गुण होना चाहिए अर्थात जनमानस द्वारा मुद्रा को आसानी से स्वीकार किया जाना चाहिए।
5. मूल्य स्थायित्व - अच्छी मुद्रा में मूल्यों में ज्यादा उतार चढ़ाव नहीं होना चाहिए।
2 प्रश्न- वस्तु विनिमय प्रणाली की कठिनाइयां लिखिए
वस्तु विनिमय प्रणाली की कमियां , दोष या कठिनाइयां निम्नलिखित है :-
1. क्रय शक्ति संचय का अभाव :- वस्तु विनिमय प्रणाली में क्रय शक्ति के संचय का अभाव पाया जाता है। क्रय शक्ति संचय के अभाव में पूंजी निर्माण संभव नहीं है।
2. मूल्य मापक का अभाव :- वस्तु विनिमय प्रणाली में वस्तु का मूल्य निश्चित करना सबसे बड़ी कठिनाई है । इसमें एक सर्वमान्य मूल्यमापक का अभाव होता है।
3. वस्तु विभाजन में कठिनाई :- वस्तु विनिमय प्रणाली में वस्तुओं के विभाजन की कठिनाइयां होती है, जिससे विनिमय में कठिनाई आती है।
4. भावी भुगतान की कठिनाई :- भविष्य में किए जाने वाले भुगतान में कठिनाइयां उत्पन्न होती है।
5. दोहरे सहयोग का अभाव :- वस्तु विनिमय प्रणाली में दोनों जरूरतमंद व्यक्तियों की जरूरत की वस्तुओं का संयोग मिलना जरूरी होता है।
3 प्रश्न- केंद्रीय बैंक के वर्जित कार्य क्या है?
केंद्रीय बैंक के वर्जित कार्य क्या है? अथवा
रिजर्व बैंक के वर्जित या निषिद्ध कार्य लिखिए।
रिजर्व बैंक of india के वर्जित कार्य निम्नलिखित हैं -
1. रिजर्व बैंक अपने कार्यालय को छोड़कर किसी प्रकार की अचल संपत्ति नहीं खरीद सकता और न हीं इन संपत्ति पर ऋण ले सकता है।
2. रिजर्व बैंक किसी भी दशा में किसी जमानत के किसी को भी देना नहीं दे सकता
3. रिजर्व बैंक किसी कंपनी के अंश एवं शेयर नहीं खरीद सकता।
4. रिजर्व बैंक किसी भी प्रकार का व्यापारिक कार्य नहीं कर सकता है।
5. रिजर्व बैंक अपने निक्षेपों पर इसी प्रकार आया आज नहीं दे सकता है।
4 प्रश्न- मुद्रा के कार्यों को समझाइए।
मुद्रा के कार्य को चार भागों में विभाजित किया जाता है।
A. प्राथमिक एवं प्रधान कार्य
B. सहायक या गौण कार्य
C. अकस्मिक कार्य
D. अन्य कार्य
A. प्राथमिक एवं प्रधान कार्य -
1. विनिमय का माध्यम - मुद्रा ने वस्तु विनिमय के दोहोरी संयोग की अभाव की कठनाई को दूर करके विनिमय कि माध्यम से उसे व्यवस्थित एवं सरल बना दिया है।
2. मूल्य का मापक - मुद्रा मूल्य के मापक रूप में वस्तुओं एवं सेवाओं की विनिमय शक्ति को मापने का कार्य करता है।
B. सहायक या गौण कार्य -
1. मूल्य संचय का आधार - वस्तु का संचय संग्रहण की समस्या एवं सेवाओं के संचय का अभाव की समस्या को मुद्रा धन संचय के रूप में मूल्य संचय का आधार बनाया है।
2. भावी भुगतान का आधार - भुगतानों को भविष्य में टालने एवं वर्तमान मूल्यों पर सौदे तथा साख का आधार मुद्रा के भावी भुगतान के गुण से ही संभव है।
3. मूल्य का हस्तांतरण - मुद्रा द्वारा मूल्य का हस्तांतरण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति और एक स्थान से दूसरे स्थान पर सफलतापूर्वक किया जाता हैं।
इकाई - 4
आय एवं रोजगार का निर्धारण
वस्तुनिष्ठ 6 अंक - 6 प्रश्न 2 अंक का 3 प्रश्न
2 अंक का 3 प्रश्न
1 प्रश्न- तरलता जाल क्या है? OR तरलता पसंदगी क्या है?
प्रोफ़ेसर किंग्स ने के अनुसार ब्याज की दर तरलता पसंदगी भी पर निर्भर करती है। तरलता पसंदगी का आशय नकदी के रूप में साधनों के रखने से जिसके तीन उद्देश्य है -
1. आकस्मिक कार्य उद्देश्य
2.दूरदर्शिता उद्देश्य
3. सट्टा उद्देश्य
2 प्रश्न- प्रभावी मांग से क्या आशय है? प्रभाव पूर्ण मांग क्या है?
किंस रोजगार सिद्धांत के अनुसार पूंजीवाद अर्थव्यवस्था में अल्पकाल में कुल उत्पादन अथवा राष्ट्रीय आय रोजगार के स्तर पर निर्भर करता हैं क्योंकि अल्पकाल में उत्पादन के अन्य साधन जैसे - पूंजी , तकनीक आदि रहते हैं। रोजगार का स्तर प्रभाव पूर्ण मांग को निर्भर करता है । प्रभावपूर्ण मांग सामूहिक
मांग के उस स्तर को कहते हैं जिस पर सामूहिक पूर्ति के बराबर होती हैं।
3 प्रश्न- उपभोग प्रवृत्ति से क्या आशय है?
ANS.
4 प्रश्न- बचत फलन का अर्थ एवं परिभाषा लिखिए।
बचत फलन यह बचत तथा आय के संबंध को दर्शाता है बचत फलन विभिन्न आय स्तर पर बचत की इच्छा को प्रदर्शित करता है। बचत तथा आय से फलनात्मक संबंध को बचत कहते हैं।
किंस के अनुसार बचत आय का फलन हैं। S=f(y)
5 प्रश्न- सीमांत उपभोग प्रवृत्ति को समझाइए।
सीमांत उपभोग प्रवृत्ति उपभोग में परिवर्तन तथा आय में परिवर्तन का अनुपात है।
आय में परिवर्तन का वह भाग दिया समानुपात जिसका उपभोग किया जाता है ।
सीमांत उपभोग प्रवृत्ति कहलाता है।
MPC=∆C/∆Y
6 प्रश्न- पूर्ण रोजगार से क्या आशय है?
पूर्ण रोजगार एक ऐसी स्थिति है जिसमें उन सब लोगों को जो काम करने के योग्य तथा प्रचलित मजदूरी की दर पर काम करने के इच्छुक हो उन्हें काम मिल जाता है।
साधनों का पूर्ण रोजगार वह स्थिति जहां पर समस्त उत्पादन अधिकतम होता है
7 प्रश्न- सामूहिक मांग (समग्र मांग) से क्या अभिप्राय है?
ANS.
8 प्रश्न- अनैच्छिक बेरोजगारी किसे कहते हैं?
अनैच्छिक बेरोजगारी वह स्थिति है जिसमें लोग काम करने के योग्य होते हैं, और प्रचलित मजदूरी दर पर काम करने के लिए तैयार होते हैं, किंतु उन्हें काम नहीं मिलता।
यहां स्थिति अर्थव्यवस्था में श्रमिकों की अतिरेक पूर्ति को दर्शाती है।
इकाई - 5
सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था
वस्तुनिष्ठ 2 अंक - 2 प्रश्न 4 अंक का 1 प्रश्न
4 अंक का 1 प्रश्न
1 प्रश्न- बजट का अर्थ बताते हुए उसके उद्देश्यों को समझाइए।
बजट का अर्थ - बजट एक ऐसा प्रपत्र हैं जिसमें सार्वजनिक आय वह सार्वजनिक व्यय की एकीकृत योजना बनाई जाती है।
बजट के उद्देश्य
1. आर्थिक विकास को प्रोत्साहन- बजट का मुख्य उद्देश्य अर्थव्यवस्था में आर्थिक विकास की गति को प्रोत्साहन देना होता है। बजट देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाना है। अनिश्चितता से देश की रक्षा जा सके।
2. संतुलित क्षेत्रीय विकास - सरकार बजट के माध्यम से संकलित क्षेत्रीय विकास बढ़ावा देने हेतु पिछड़े क्षेत्रों की विकास को प्रोत्साहित कर सकती हैं।
3. आय का वितरण - अर्थव्यवस्था में आर्थिक विषमता में कमी करने में बजट एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है अर्थव्यवस्था में पाई जाने वाली असमानता को कम करने के लिए बजट द्वारा कई उपाय किए जा सकते हैं।
4. आर्थिक स्थिरता - अर्थव्यस्था में तेजी और मंदी के चक्र चलते रहते हैं, जिसे नियंत्रित करके अर्थव्यवस्था में स्थिरत प्राप्त करना भी बजट का मुख्य उद्देश्य होता है।
5. रोजगार का सृजन - रोजगार का सृजन करना ही सरकार के बजट का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य होता है जिसके लिए सरकार रोजगार से संबंधित योजनाओं का निर्माण करती है।
2 प्रश्न- बजट के विभिन्न प्रकारों को समझाइए।
उत्तर - बजट के निन्नलिखित प्रकार है-
1. संतुलित बजट- यदि बजट में आय और व्यय राशि समान हो तो उसे संतुलित बजट कहते हैं। यह बजट की एक आदर्श व्यवस्था है।
2. असंतुलित बजट - असंतुलित बजट से आशय ऐसे बजट से है जिसमें सरकार की आय व्यय में समानता नहीं होती असंतुलित बजट दो प्रकार का है
A. घाटे का बजट - घाटी के बजट में आय की तुलना में व्यय अधिक किया जाता है। उसे घाटे का बजट कहते हैं। वर्तमान में घाटे की बजट का अधिक प्रचलन हैं।
B. आधिक्य का बजट - आधिक्य का बजट घाटे के बजट के विपरित होता है । आधिक्य के बजट में आय कि तुलना में व्यय कम किया जाता।
3. सामान्य बजट - जिस बजट का निर्माण सामान्य परिस्थितियों में आर्थिक आधार पर किया जाता उसे सामान्य बजट कहां जाता है।
4. पूंजीगत बजट - पूंजिगत बजट के अंतर्गत केवल पूंजीगत मदो को सम्मिलित
किया जाता है। इस बजट को सामान्य बजट से अलग रखा जाता है। तथा व्यय को सार्वजनिक ऋणों से पूरा किया जाता है।
5. आंतरिक बजट - जब सरकार किसी विशेष परिस्थितिवश पूरे वर्ष हेतू आय व्यय का अनुमान तैयार करने में असमर्थ रहती है तो वर्ष के कुछ महीनों के लिए आवश्यक आर्थिक गतिविधियों चलाने के लिए आय व्यय के प्रावधान किए जाते हैं इसे ही आंतरिक बजट करते हैं।
3 प्रश्न- जीएसटी से आप क्या समझते हैं ? पुरानी कर व्यवस्था के मुकाबले जीएसटी व्यवस्था कितनी श्रेष्ठ है ? इसकी श्रेणियों की व्याख्या कीजिए। (जीएसटी पर टिप्पणी लिखिए)
4. घाटे की बजट आप क्या समझते हो? इसके अवस्था पर पड़ने वाले प्रभावों की विवेचना कीजिए।
घाटे की बजट का अर्थ - घाटे के बजट से तात्पर्य ऐसी बजट व्यवस्था
से है । जिसमें आय तुलना में व्यय को अधिक बताया जाता है।
1.घाटे की वित्त व्यवस्था से मुद्रा का चलन वेट बढ़ जाता है
2.घाटे के बजट से निजी निवेश में वृद्धि होती है।
3.घाटे के बजट से वस्तुओं की मांग में वृद्धि होने से सीमांत उपभोग प्रवृत्ति बढ़ती है।
4.घाटे की वित्त व्यवस्था का प्रयोग से अर्थव्यवस्था के अनियंत्रित होने की संभावना रहती है।
5.घाटे के बजट का आय के वितरण पर विपरीत प्रभाव पड़ता है जिसके कारण कीमतों में वृद्धि होती हैं।
4 प्रश्न- घाटे की बजट के गुण एवं दोषों को समझाइए ।
A. घाटे का बजट लाभदायक होता है। क्यों समझाइए । (इस प्रश्न में घाटे के बजट के गुण लिखिए।)
ANS.
इकाई - 6
खुली अर्थव्यवस्था
वस्तुनिष्ठ 2 अंक - 2 प्रश्न 4 अंक का 1 प्रश्न
4 अंक का 1 प्रश्न
1 प्रश्न- भुगतान संतुलन एवं व्यापार संतुलन में अंतर लिखिए।
उत्तर 1. व्यापार संतुलन एक वर्ष में एक देश द्वारा आयात निर्यात वस्तुएं या दृश्य मदें व्यापार संतुलन में शामिल होती है । ↔️💰⚖️
भुगतान संतुलन में एक वर्ष में एक देश द्वारा दृश्य तथा दृश्य वस्तुओं का लेनदेन शामिल किया जाता है।
2. व्यापार संतुलन भुगतान संतुलन का ही अंग है । ↔️💰⚖️
जबकि भुगतान संतुलन में सभी मुद्दों को शामिल किया जाता है।
3. व्यापार संतुलन से देश की आर्थिक समृद्धि का सही सही अनुमान नहीं लगाया जा सकता । ↔️💰⚖️
भुगतान संतुलन अर्थव्यवस्था की समृद्धि का ज्यादा सटीक सूचक है।
4. व्यापार संतुलन अनुकूल या प्रतिकूल हो सकता है। ↔️💰⚖️
जबकि भुगतान संतुलन लेखा में हमेशा असंतुलित ही दर्शा जाता है।
2 प्रश्न- भुगतान शेष में असंतुलन के क्या कारण हैं इसे कैसे ठीक किया जा सकता है?
भुगतान संतुलन में असंतुलन के कारण या भुगतान संतुलन ने प्रतिकूलता या असम्यता के कारण
1. विकास व्यय - विकाशील देशों में बड़े पैमाने पर विकास व्यय के लिए भारी मात्रा में आयात किए जाते हैं ।जिसके परिणाम स्वरूप भुगतान संतुलन में घाटा उत्पन्न होता है।
2. व्यापार चक्र - अर्थव्यवस्था में व्यवसायिक क्रियाओं में होने वाले उतार-चढ़ाव के कारण मेरे हाथों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है फल स्वरुप भुगतान संतुलन असंतुलित हो जाता है।
3. बढ़ती कीमतें - ऊंची घरेलू किमतों के कारण है निर्यात हतोत्साहित होते हैं। और आयातो मैं वृद्धि होने के कारण भुगतान संतुलन असंतुलित हो जाता है।
4. आयात प्रतिस्थापन - आयात प्रतिस्थापनों के कारण आयातों में कमी हो जाती हैं जिससे भुगतान संतुलन में घाटा कम होता है।
5. प्राकृतिक कारण - प्राकृतिक कारण जैसे भूकंप, अकाल, महामारी ,सुखा इत्यादि के कारण भी भुगतान संतुलन में असंतुलन आता है।
5. राजनीतिक कारण- कई राजनीतिक कारणों से भी भुगतान संतुलन में असंतुलन दिखाई देता है । जैसे अधिक सुरक्षा व्यय, अंतरराष्ट्रीय संबंध , दूतावासों का विस्तार राजनीतिक अस्थिरता आदि।
भुगतान संतुलन को कैसे ठीक किया जा सकता है या भुगतान संतुलन में सुधार के उपाय-
मौद्रिक उपाय -
1. मुद्रा संकुचन - भुगतान संतुलन को ठीक करने के लिए देश में मुद्रा संकुचन का उपाय अपनाकर मुद्रा की मात्रा में कमी लाकर असंतुलन को ठीक किया जा सकता है।
2. मुद्रा अवमूल्यन - मुद्रा अवमूल्यन के द्वारा विदेशी मुद्राओं की तुलना में राष्ट्रीय मुद्रा का मूल्य कम कर दिया जाता है। जिससे निर्यात सस्ते हो जाते हैं ,और निर्यातकों में वृद्धि होती है।
3. विनिमय नियंत्रण - विनिमय
नियंत्रण के माध्यम से सरकार आयात निर्यात पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित कर विनिमय पर नियंत्रण कर सकती है और भुगतान संतुलन को ठीक किया जा सकता है।
अमौद्रिक उपाय
1. आयातों मैं कमी - भुगतान संतुलन की प्रतिकूलता को दूर करने के लिए आवश्यक है कि आयतों में कमी लाया जाए जिससे भुगतान संतुलन ठीक होगा।
2. निर्यातों को प्रोत्साहन - प्रतिकूल भुगतान संतुलन को समायोजित करने के लिए निर्यातकों को प्रभावी रूप से प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
3. अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से ऋण - अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से ऋण प्राप्त कर भुगतान संतुलन को ठीक किया जा सकता है।
3 प्रश्न- भुगतान शेष भुगतान संतुलन से क्या अभिप्राय है ? इसके घटकों या मदों के नाम लिखिए या (भुगतान संतुलन की दृश्य एवं अदृश्य मदों का नाम लिखिए।)

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