कक्षा 12 समष्टि अर्थशास्त्र – Unit 4: आय और रोजगार का सिद्धांत (NCERT प्रश्न-उत्तर हिंदी में)
Unit – 4: आय और रोजगार का सिद्धांत | School Economics
प्र.1 सीमांत बचत प्रवृति क्या है?
उत्तर: सीमांत बचत प्रवृति बचत में परिवर्तन तथा आय में परिवर्तन का अनुपात है।
आय में होने वाले परिवर्तन के कारण बचत में होने वाले परिवर्तन के अनुपात को सीमांत बचत प्रवृति कहते हैं।
MPS = ∆S/∆Y
प्र.2 अनैच्छिक बेरोजगारी किसे कहते हैं?
उत्तर: अनैच्छिक बेरोजगारी वह स्थिति है जिसमें लोग काम करने के योग्य होते हैं, और प्रचलित मजदूरी दर पर काम करने के लिए तैयार होते हैं, किंतु उन्हें काम नहीं मिलता।
यह स्थिति अर्थव्यवस्था में श्रमिकों की अतिरेक पूर्ति को दर्शाती है।
प्र.3 पूर्ण रोजगार से क्या आशय है?
उत्तर: पूर्ण रोजगार एक ऐसी स्थिति है जिसमें उन सब लोगों को जो काम करने के योग्य तथा प्रचलित मजदूरी की दर पर काम करने के इच्छुक हो उन्हें काम मिल जाता है।
साधनों का पूर्ण रोजगार वह स्थिति जहां पर समस्त उत्पादन अधिकतम होता है। इस स्थिति में यदि वस्तु एवं सेवा के मांग में वृद्धि होती है तो भी उत्पादन नहीं बढ़ता और उत्पादन ना बढ़ने से मांग अधिक्य हो जाता है जिससे मूल्यों में वृद्धि हो जाती है।
प्र.4 सीमांत उपभोग प्रवृत्ति को समझाएं
उत्तर: सीमांत उपभोग प्रवृत्ति उपभोग में परिवर्तन तथा आय में परिवर्तन का अनुपात है।
आय में परिवर्तन का वह भाग जो उपभोग किया जाता है, सीमांत उपभोग प्रवृत्ति कहलाता है।
MPC = ∆C/∆Y
प्र.5 बचत फलन का अर्थ एवं परिभाषा लिखिए।
उत्तर: बचत फलन यह बचत तथा आय के संबंध को दर्शाता है। बचत फलन विभिन्न आय स्तर पर बचत की इच्छा को प्रदर्शित करता है।
बचत तथा आय से फलनात्मक संबंध को बचत फलन कहते हैं।
किन्स के अनुसार: बचत आय का फलन है। S = f(Y)
प्र.6 प्रभावी मांग से क्या आशय है? (प्रभावपूर्ण मांग) प्रभावपूर्ण मांग क्या है?
उत्तर: किन्स रोजगार सिद्धांत के अनुसार पूंजीवाद अर्थव्यवस्था में अल्पकाल में कुल उत्पादन अथवा राष्ट्रीय आय रोजगार के स्तर पर निर्भर करता है क्योंकि अल्पकाल में उत्पादन उत्पादन साधन स्थिर रहते हैं। रोजगार का स्तर प्रभावपूर्ण मांग पर निर्भर करता है। प्रभावपूर्ण मांग सामूहिक मांग के उस स्तर को कहते हैं जिस पर सामूहिक पूर्ति के बराबर होती है।
प्र.7 तरलता पसंदगी क्या है? या तरलता जाल क्या है?
उत्तर: प्रोफेसर किन्स के अनुसार ब्याज की दर तरलता पसंदगी पर भी निर्भर करती है। तरलता पसंदगी का आशय नकदी के रूप में साधनों के रखने से है जिसके तीन उद्देश्य हैं:
- आकस्मिक कार्य उद्देश्य
- दूरदर्शिता उद्देश्य
- सट्टा उद्देश्य
प्र.8 सीमांत उपभोग प्रवृत्ति क्या है? या MPC क्या है?
उत्तर: उपभोग स्तर में परिवर्तन का कुल आय में परिवर्तन से अनुपात सीमांत उपभोग प्रवृत्ति कहलाता है।
कुरीहारा के अनुसार: "सीमांत उपभोग प्रवृत्ति उपभोग में होने वाले परिवर्तन तथा आय में होने वाले परिवर्तन का अनुपात है।"
किन्स के अनुसार: "कुल उपभोग स्तर में परिवर्तन का कुल आय में परिवर्तन से अनुपात सीमांत उपभोग प्रवृत्ति कहलाता है।"
सूत्र: सीमांत उपभोग प्रवृत्ति MPC = उपभोग में परिवर्तन ∆C / आय में परिवर्तन ∆Y
MPC = ∆C / ∆Y
प्र.9 मितव्ययिता के विरोधाभास की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: प्रतिष्ठित विचारधारा के अर्थशास्त्री मितव्ययिता और बचत की क्रिया को वरदान मानते थे। उनका मानना था कि जो कुछ बचत होता है, वह स्वतः ही विनियोजित हो जाता है। व्यक्तिगत बचत में सभी लोगों के द्वारा की गई वृद्धि राष्ट्रीय आय में वृद्धि करती है।
जबकि किन्स ने मितव्ययिता को निजी वरदान और एक सामाजिक अभिशाप माना है। क्योंकि मितव्ययिता व्यक्तिगत तौर पर तो अच्छी होती है मगर एक संपूर्ण राष्ट्र के लिए हानिकारक है। अधिक बचतें आय के स्तर में कमी लाएगी।
प्र.10 समग्र मांग का अर्थ समझाइए।
उत्तर: कुल मांग या समग्र मांग का आशय संपूर्ण अर्थव्यवस्था में वस्तु तथा सेवाओं पर होने वाले कुल व्यय से होता है। इस प्रकार कुल मांग को कुल व्यय भी कह सकते हैं। कुल मांग में उपभोग, विनियोग, शुद्ध निर्यात पर होने वाले व्यय का योग शामिल है।
प्र.11 समग्र मांग के घटक क्या हैं?
उत्तर:
- घरेलू उपभोग मांग
- विनियोग मांग
- वस्तु एवं सेवाओं के लिए सरकारी मांग
- शुद्ध निर्यात मांग
प्र.12 समग्र पूर्ति का अर्थ लिखिए। या कुल पूर्ति
उत्तर: कुल पूर्ति का आशय संपूर्ण अर्थव्यवस्था में उत्पन्न माल तथा सेवा के योग से जो व्यक्तियों या फर्मों द्वारा अथवा सरकार द्वारा उत्पन्न किया गया है। संक्षेप में शुद्ध राष्ट्र उत्पाद NNP को कुल पूर्ति कहा जाता है।
प्र.13 उपभोग फलन क्या है?
उत्तर: आय एवं उपभोग के बीच संबंध को उपभोग प्रवृत्ति या उपभोग फलन कहते हैं। आय में वृद्धि होने से उपभोग में भी वृद्धि हो जाती है। उपभोग में वृद्धि आय की तुलना में कम होती है।
प्र.14 औसत उपभोग प्रवृत्ति का क्या आशय है?
उत्तर: यदि कुल उपभोग व्यय में कुल आय का भाग दे दें तो औसत उपभोग प्रवृत्ति प्राप्त होगी।
बीजगणितीय सूत्र: औसत उपभोग प्रवृत्ति (APC) = C/Y
APC = औसत उपभोग प्रवृत्ति, C = कुल उपभोग, Y = कुल आय
प्र.15 बचत प्रवृत्ति क्या है?
उत्तर: उपभोग व्यय पर आय का अधिक्य बचत कहलाता है। बचत प्रवृत्ति या बचत फलन का प्रत्यक्ष संबंध आय से है। जब आय बढ़ती है, तो बचत में भी वृद्धि होगी और जब आय घटती जाती है तो बचत में कमी आ जाएगी। बचत तथा उपभोग में विपरीत संबंध पाया जाता है।
S = Y - C
प्र.16 औसत बचत प्रवृत्ति क्या है?
उत्तर: औसत बचत प्रवृत्ति बचत तथा आय का अनुपात है। अर्थात कुल बचत में से कुल आय को घटाने पर औसत बचत प्राप्त हो जाती है।
APS = S/Y
प्र.17 सीमांत बचत प्रवृत्ति क्या है?
उत्तर: सीमांत बचत प्रवृत्ति बचत में परिवर्तन तथा आय में परिवर्तन का अनुपात है।
सीमांत बचत प्रवृत्ति आय में परिवर्तन की तुलना में बचत में हुए परिवर्तन को नापती है।
MPS = ∆S / ∆Y = बचत में वृद्धि / आय में वृद्धि
MPC + MPS = 1
MPC = 1 - MPS
MPS = 1 - MPC
प्र.18 निवेश या विनियोग से क्या तात्पर्य है? या सकल निवेश से क्या तात्पर्य है?
उत्तर: निवेश या विनियोग से अभिप्राय उस खर्च से है जिसके द्वारा पूंजीगत पदार्थों जैसे मशीन, औजार, निर्माण हेतु कच्चा माल आदि के भंडारों में वृद्धि की जाती है।
स्वायत्त निवेश या स्वतंत्र विनियोग का क्या अर्थ है? यह निवेश या विनियोग आय / रोजगार के स्तर से स्वतंत्र होता है। ऐसा निवेश सरकार द्वारा सामाजिक कल्याण की भावना से किया जाता है।
प्रेरित निवेश या प्रेरक विनियोग का क्या अर्थ है? प्रेरित निवेश अर्थव्यवस्था में आय एवं लाभ की मात्रा पर निर्भर करता है। लाभ की आशा से प्रेरित होकर किया गया निवेश प्रेरित निवेश कहलाता है। यह पूंजी निवेश की सीमांत कुशलता तथा ब्याज की दर पर निर्भर करता है।
प्र.19 न्यून रोजगार संतुलन क्या है?
उत्तर: न्यून रोजगार संतुलन वह स्थिति है जहां कुल मांग पूर्ण रोजगार स्तर पर कुल पूर्ति से कम होती है।
प्र.20 विनियोग गुणक क्या है? या निवेश गुणक
उत्तर: निवेश गुणक आय में संबंध स्थापित करता है। निवेश गुणक, निवेश में परिवर्तन तथा आय में परिवर्तन का अनुपात है।
K = ∆Y/∆I
K = गुणक, ∆Y = आय में परिवर्तन, ∆I = निवेश में परिवर्तन
प्र.21 पूंजी की सीमांत कुशलता से आप क्या समझते हैं? पूंजी की सीमांत क्षमता
उत्तर: अतिरिक्त निवेश से प्राप्त होने वाले लाभ की संभावना को पूंजी की सीमांत कुशलता कहते हैं।
MEC = प्रत्याशी आय / लागत
अनुमानित आय तथा पूर्ति कीमत के मूल्य को ज्ञात करने के बाद पूंजी की सीमांत क्षमता का अनुमान उस ब्याज दर के रूप में लगाया जा सकता है जो इन दोनों धारणाओं के मूल्यों को बराबर करती है।
प्र.22 उपभोग तथा आय में क्या संबंध है?
उत्तर: उपभोग तथा आय में धनात्मक संबंध पाया जाता है। आय बढ़ने पर उपभोग भी बढ़ता है मगर आय की तुलना में उपभोग धीमी गति से बढ़ता है।
प्र.23 नियोजित या प्रायोजित बचत का अर्थ समझाइए।
उत्तर: बचत कर्ताओं द्वारा किसी योजना के उद्देश्य से बचत की जाना, नियोजित या प्रायोजित बचत कहलाती है।
प्र.24 नियोजित या प्रायोजित विनियोग का अर्थ बताइए।
उत्तर: निवेश कर्ताओं द्वारा किसी योजना के उद्देश्य से निवेश या विनियोग की जाना नियोजित या प्रायोजित निवेश कहलाता है। नियोजित बचत तथा नियोजित निवेश एक दूसरे के बराबर भी हो सकते हैं और नहीं भी हो सकते हैं।
प्र.25 राजकोषीय नीति का क्या अर्थ है?
उत्तर: सार्वजनिक व्यय, कराधान और सार्वजनिक ऋण से संबंधित सरकारी उपायों को ही राजकोषीय उपाय कहा जाता है। और इससे संबंधित नीति को राजकोषीय नीति अथवा बजट नीति कहते हैं।
प्र.26 बंद अर्थव्यवस्था क्या है?
उत्तर: बंद अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जिसमें विदेशी व्यापार नहीं होता, अर्थात आयात-निर्यात शून्य है।
प्र.27 अपूर्ण रोजगार संतुलन क्या है?
उत्तर: अपूर्ण रोजगार संतुलन वह स्थिति है जहां अर्थव्यवस्था में पूर्ण रोजगार स्तर से कम रोजगार उपलब्ध होता है।
प्र.28 यदि सीमांत उपभोग प्रवृत्ति (MPC) 0.8 है तो गुणक की मांग की गणना कीजिए।
उत्तर: गुणक K = 1 / (1 - MPC) = 1 / (1 - 0.8) = 1 / 0.2 = 5
प्र.29 यदि सीमांत बचत प्रवृत्ति MPS (0.25) है तो गुणक की मांग की गणना कीजिए।
उत्तर: गुणक K = 1 / MPS = 1 / 0.25 = 4
प्र.30 स्फीति अंतराल क्या है?
उत्तर: स्फीति अंतराल वह स्थिति है जहां कुल मांग कुल पूर्ति से अधिक होती है, जिससे कीमतें बढ़ती हैं।
प्र.31 अवस्फीति अंतराल से क्या अभिप्राय है? या न्यून मांग
उत्तर: अवस्फीति अंतराल वह स्थिति है जहां कुल मांग कुल पूर्ति से कम होती है, जिससे कीमतें गिरती हैं।
प्र.32 अतिरेक मांग क्या होती है?
उत्तर: अतिरेक मांग वह स्थिति है जहां कुल मांग कुल पूर्ति से अधिक होती है।
प्र.33 किन्स के रोजगार सिद्धांत की विवेचना कीजिए।
उत्तर: किन्स के रोजगार सिद्धांत के अनुसार रोजगार का स्तर प्रभावपूर्ण मांग पर निर्भर करता है। प्रभावपूर्ण मांग कुल मांग और कुल पूर्ति के संतुलन पर निर्भर करती है।
प्र.34 पूंजी की सीमांत कुशलता को निर्धारित करने वाले तत्व को लिखिए।
उत्तर: पूंजी की सीमांत कुशलता लाभ की आशा, बाजार की स्थिति, तकनीकी प्रगति, ब्याज दर आदि पर निर्भर करती है।

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