कक्षा 12 समष्टि अर्थशास्त्र – Unit 6: खुली अर्थव्यवस्था (NCERT प्रश्न-उत्तर हिंदी में)
Unit – 6: खुली अर्थव्यवस्था | School Economics
प्र.1 भुगतान संतुलन का अर्थ लिखिए। भुगतान शेष क्या है?
उत्तर: भुगतान शेष एक देश का दूसरे देश के साथ एक निश्चित अवधि में किए गए आर्थिक लेनदेन या प्राप्तियों वह भुगतानों का विवरण होता है।
प्र.2 व्यापार संतुलन का क्या आशय है? व्यापार शेष क्या है? व्यापारीक घाटा क्या है?
उत्तर: व्यापार शेष या व्यापार संतुलन का संबंध व्यापार की केवल दृश्य मदों से है किसी देश के कुल दृश्य निर्यात एवं कुल दृश्य आयात के मूल्य में जितना अंतर होता है उसे उस देश का व्यापार शेष कहा जाता है। दृश्य मदे में भौतिक वस्तुएं जैसे कपड़ा, मशीन, सीमेंट आदि शामिल है।
प्र.3 विदेशी विनिमय क्या है? विदेशी विनिमय दर किसे कहते हैं?
उत्तर: वह दर जिस पर एक मुद्रा का दूसरे मुद्रा में विनिमय किया जाता है उसकी विनिमय दर कहलाती है।
दूसरे शब्दों में विदेशी विनिमय दर यह बताती है कि किसी देश की मुद्रा की एक इकाई के बदले में दूसरे देश की मुद्रा की कितनी इकाई मिल सकती है।
प्र.4 स्थिर विदेशी विनिमय दर क्या होती है?
उत्तर: स्थिर विनिमय दर वह दर है जिस का निर्धारण सरकार द्वारा किया जाता है स्थिर विनिमय दर में सामान्यतः कोई परिवर्तन नहीं होता या परिवर्तन केवल एक निश्चित सीमा तक ही हो सकते हैं।
स्वर्ण मान के समय विनिमय दर स्थिर होती थी क्योंकि इनमें एक निश्चित सीमा तक ही परिवर्तन होते थे और यह सीमाएं स्वर्ण बिंदु गोल्डन प्वाइंट के रूप में प्राप्त होती थी।
प्र.5 लोचपूर्ण या लोचशील विदेशी विनिमय दर का क्या आशय है? प्रबंधित तैरती प्रणाली क्या होती है?
उत्तर: लोचपूर्ण विनिमय दर वह दर है जिसका निर्धारण बाजार शक्तियों (विदेशी मुद्रा की मांग व पूर्ति) के आधार पर होता है। विनिमय दर में परिवर्तन विदेशी विनिमय की बाजार मांग व पूर्ति में परिवर्तन के अनुसार आ सकते हैं लोचदार विनिमय दर को चलायमान विनिमय दर या फ्लोटिंग एक्सचेंज रेट भी कहा जाता है।
प्र.6 दृश्य मदों से क्या आशय है? या भुगतान संतुलन की दृश्य मदों से क्या तात्पर्य है?
उत्तर: दृश्य मदे - दृश्य मदों में सब प्रकार की भौतिक वस्तुओं का आयात एवं निर्यात सम्मिलित होता है इन्हें दृश्य मदे इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह वस्तुएं किसी पदार्थ से बनी रहती हैं।
प्र.7 अदृश्य मदों से आप क्या समझते हैं? या भुगतान संतुलन की अदृश्य मदों से क्या तात्पर्य है?
उत्तर: अदृश्य मदे - इसमें सभी प्रकार की सेवाओं का मूल्य शामिल किया जाता है इसे अदृश्य मदे इसलिए कहते हैं क्योंकि यह सेवाएं जैसे बैंकिंग, जहाजरानी सेवाएं किसी पदार्थ की नहीं बनी होती।
प्र.8 भुगतान संतुलन में बचत से क्या अर्थ होता है? या भुगतान संतुलन अधिक्य (अधिशेष) से क्या अभिप्राय है? अनुकूल भुगतान संतुलन का अर्थ बताइए। भुगतान संतुलन अधिक्य क्या है?
उत्तर: जब विदेशी मुद्रा की प्राप्तियां भुगतनों से अधिक रहती है तो इस स्थिति में भुगतान संतुलन अधिक्य की स्थिति में रहता है उदाहरण - जैसे विदेशी मुद्रा की प्राप्तियां 1200 करोड़ की हुई भुगतान 100 करोड़ का हुआ तो 200 करोड़ का अधिक है।
प्र.9 प्रतिकूल भुगतान संतुलन क्या है? भुगतान संतुलन घाटा क्या है? भुगतान संतुलन में घटे का अर्थ क्या है?
उत्तर: जब विदेशी मुद्रा की प्राप्तियां कम और भुगतान अधिक होता है तो इस स्थिति में भुगतान संतुलन में घाटा रहता है। जैसे - उदाहरण में 1200 करोड़ भुगतान और 1000 करोड़ की प्राप्तियां होती है तो ऐसी स्थिति में 200 करोड़ का घाटा होगा।
प्र.10 एक पक्षीय हस्तांतरण क्या होते हैं?
उत्तर: एकपक्षीय हस्तांतरण - विदेशों से प्राप्त दान व उपहार आदि लेनदारी पक्ष तथा अन्य देशों को दिए गए इस प्रकार के दान व उपहार देनदारी पक्ष में रखे जाते हैं जिन्हें एकपक्षी य स्थानांतरण या अंतरण भी कहते हैं।
प्र.11 चालू खाता क्या होता है?
उत्तर: चालू खाता वह खाता है जिसमें वस्तुओं और सेवाओं के आयात और निर्यात एवं एकपक्षीय भुगतानों का हिसाब किताब रखा जाता है। चालू खाते के अंतर्गत उन सभी लेनदेन को सम्मिलित करते हैं जो वर्तमान वस्तुओं व सेवाओं के आयात निर्यात के लिए किए जाते हैं संक्षेप में चालू खाते के अंतर्गत वास्तविक व्यवहार लिखे जाते हैं।
प्र.12 पूंजी खाता क्या है?
उत्तर: यह वह खाता है जो एक देश के निवासियों एवं शेष विश्व के निवासियों के द्वारा किए गए उन समस्त सौदों से (लेन देन से) संबंधित होता है जिसमें किसी देश की सरकार और निवासियों की परिसंपत्तियों और दायित्वों में परिवर्तन होता है संक्षेप में पूंजी खाता, पूंजी सौदों, निजी एवं सरकारी पूंजी, अंतरणों और बैंकिंग पूंजी प्रवाह का एक रिकॉर्ड है। पूंजी खाता ऋण और दवो के बारे में बताता है।
प्र.13 विदेशी विनिमय बाजार क्या है?
उत्तर: विदेशी विनिमय बाजार वह बाजार है जिसमें विश्व के विभिन्न देशों की राष्ट्रीय मुद्राओं का क्रय विक्रय होता है।
विदेशी विनिमय बाजार के तीन कार्य हैं - 1. स्थानांतरण कार्य 2. साख तथा ऋण संबंधी कार्य 3. जोखिम से बचाव संबंधी कार्य
प्र.14 हाजिर या चालू बाजार क्या है (स्पॉट मार्केट)
उत्तर: हाजिर बाजार वह बाजार हैं जिसमें विदेशी विनिमय का चालू क्रय-विक्रय होता है। इसमें तात्कालिक विनिमय दर का निर्धारण होता है।
प्र.15 वायदा बाजार क्या है?
उत्तर: विदेशी विनिमय से संबंधित वायदा बाजार वह बाजार है जिसमें भविष्य में किसी तिथि पर पूरे होने वाले लेनदेन का कारोबार होता है।
प्र.16 अवमूल्यन क्या है?
उत्तर: अवमूल्यन वह प्रक्रिया है जिसमें सरकार स्वयं जानबूझकर अपनी घरेलू मुद्रा का मूल्य विदेशी मुद्रा में घटा देती है अवमूल्यन कहलाता है। अवमल्यन का उद्देश्य प्रतिकूल भुगतान संतुलन की स्थिति में सुधार लाना है। अवमूल्यन देश के निर्यात को बढ़ाने में तथा आयातों को घटाने में सहायक होता है।
प्र.17 मूल्यह्रास क्या है?
उत्तर: घरेलू मुद्रा के मूल्य ह्रास में अंतरराष्ट्रीय बाजार की मांग तथा पूर्ति की शक्तियों से स्वत: घरेलू मुद्रा का मूल्य विदेशी मुद्रा में घट जाता है इस प्रक्रिया में कोई सरकारी हस्तक्षेप नहीं होता।
प्र.18 चालू खाते की मदों को समझाइए।
उत्तर: चालू खाता वह खाता है जिसमें वस्तुओं और सेवाओं के आयातों व निर्यातों एवं एकपक्षीय भुगतानों का हिसाब किताब रखा जाता है।
A. दृश्य मदे - दृश्य वस्तुओं का आयात व निर्यात चालू खातों की सबसे बड़ी मदे है। निर्यात को लेनदार पक्ष को क्रेडिट साइड तथा आयातों की देनदारी पक्ष डेबिट साइड में रखा जाता है।
B. अदृश्य मदे -
- यात्रियों का खर्च - यात्राएं अनेक कारणों व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य, मनोरंजन आदि के उद्देश्य से की जाती है हमारे देश में विदेशी पर्यटकों द्वारा किया गया वह निर्यात के समान है, क्योंकि इससे हमें आय प्राप्त होती हैं जबकि देश के लोगों द्वारा विदेशों में जाकर किए गए इस प्रकार के खर्चे देश के आयात के समान है क्योंकि हमारे व्यय के समान हैं।
- व्यापारिक उपक्रमों की सेवाएं - जिसके अंतर्गत यातायात, बीमा को शामिल किया जाता है।
- विशेषज्ञों की सेवाएं - विश्व के समस्त देशों को विदेशी विशेषज्ञों की सेवाएं उपलब्ध होती हैं। प्राप्त की गई सेवाओं को लेनदारी पक्ष और दी गई सेवाओं को देनदारी पक्ष में शामिल किया जाता है।
- निवेश आय - इसमें ब्याज, लगान, लाभांश तथा लाभ को शामिल किया जाता है विदेशों में पूंजी निवेश से प्राप्त आय देश के लिए लेनदारी हैं। जबकि विदेशों द्वारा देश में किए गए पूंजी निवेश से प्राप्त आय देनदारी हैं।
- सरकारी लेनदेन - प्रत्येक देश की सरकार विदेशों में अपने दूतावास हाई कमीशन आदि खुलती है इन संस्थाओं पर किया गया वे देश के लिए भुगतान पक्ष में लिखा जाता है जबकि विदेशों से प्राप्त इसी प्रकार के भुगतान को लेनदारी में शामिल किया जाता है।
C. एकपक्षीय हस्तांतरण - विदेशों से प्राप्त दान व उपहार आदि लेनदारी पक्ष तथा अन्य देशों को दिए गए इस प्रकार के दान व उपहार देनदारी पक्ष में रखे जाते हैं जिन्हें एकपक्षी य स्थानांतरण या अंतरण भी कहते हैं।
प्र.19 पूंजी खाते की मदों को समझाइए।
उत्तर: पूंजी खाते में उन सब सौदों को का लेखा-जोखा रखा जाता है जो एक देश के निवासियों तथा उनकी सरकार की परिसंपत्तियों तथा देनदारियों की स्थिति में परिवर्तन लाते हैं।
- सरकारी सौदे - इनका संबंध उन लेन देनों से हैं जो सरकार और इसकी विभिन्न एजेंसियों की परिसंपत्तियों दायित्वों को प्रभावित करते हैं उदाहरण के लिए एक देश द्वारा दूसरे देश को ऋण देना।
- गैर सरकारी या निजी सौदे - पूंजी खाते के निजी लेनदेन से तात्पर्य उन लेनदेन उसे है जो व्यक्तियों, व्यवसायियों और अन्य गैर सरकारी एजेंसियों को निजी पर संपत्ति है या दायित्वों को प्रभावित करते हैं।
- विदेशी प्रत्यक्ष विनियोग (एफ डी आई) - हमारे देश में किसी विदेशी विनियोग करता या कंपनी द्वारा उत्पादन की ईकाई को खरीदने या उसमें पूंजी का विनियोग करना प्रत्यक्ष विदेशी विनियोग कहलाता है।
- पोर्टफोलियो विनियोग - इसके अंतर्गत दो देशों के बीच वित्तीय परिसंपत्तियों के व्यवहारों के हस्तांतरण को शामिल किया जाता है। यदि कोई विदेशी संस्थागत विनियोगकर्ता भारतीय स्टॉक एक्सचेंज में रिलायंस कंपनी लिमिटेड के अंश पत्र खरीदना है तो इसे पोर्टफोलियो विनियोग कहते हैं।
प्र.20 भुगतान संतुलन का महत्व स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: भुगतान संतुलन का महत्व निम्नलिखित है -
- अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक स्थिति की जानकारी - भुगतान संतुलन के आधार पर किसी भी देश की आर्थिक स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है है कि वह देश आर्थिक रूप से किस स्थिति में हैं भुगतान संतुलन के अनुकूल होने पर उस देश की आर्थिक स्थिति को अच्छा माना जाएगा जबकि प्रतिकूल होने पर खराब।
- विदेशी व्यापार की प्रवृत्ति का ज्ञान - भुगतान संतुलन में व्यापार संतुलन का बड़ा हिस्सा होता है जिससे किसी भी राष्ट्र की व्यापारी प्रवृत्ति की जानकारी प्राप्त होती है कि वह देश कितने आयात एवं निर्यात करता है तथा उसका व्यापार संतुलन कैसा है।
- विदेशी ऋण एवं भुगतान की स्थिति की जानकारी - भुगतान संतुलन से किसी राष्ट्र के विदेशी ऋणों एवं उसके भुगतान ओं की स्थिति का पता लगाया जा सकता है।
- विदेशी विनिमय कोष की स्थिति का ज्ञान - भुगतान संतुलन के आधार पर किसी देश के विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति का भी पता चलता है जिस राष्ट्र का विदेशी मुद्रा भंडार बड़ा होता है वह राष्ट्रीय आर्थिक रूप से सक्षम माना जाता है।
- राष्ट्रीय आय पर प्रभाव - एक राष्ट्र की भुगतान संतुलन की स्थिति उस देश के राष्ट्रीय आय पर उसका स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है।
- विभिन्न मुद्राओं में देश के भुगतान शेष की स्थिति का ज्ञान - एक राष्ट्र दुनिया के विभिन्न राष्ट्रों से भिन्न प्रकार के लेन-देन करता है जिससे उस राष्ट्र का विभिन्न देशों की मुद्राओं में लेनदेन एवं विनिमय दर का पता चलता है।
- बैरोमीटर - भुगतान संतुलन को अर्थशास्त्री किसी भी राष्ट्र की आर्थिक स्थिति को मापने का बैरोमीटर के रूप में उपयोग करते हैं।
प्र.21 भुगतान संतुलन सदैव संतुलन में होता है। इस कथन को समझाइए।
उत्तर: एक देश का भुगतान शेष सदैव संतुलन की स्थिति में रहता है क्योंकि इसका विवरण बही खाते के समान दोहरी प्रविष्टि के लेनदारी तथा देनदारी के आधार पर तैयार किया जाता है। सारी प्रविष्टियों को सही ढंग से भरने पर विवरण में कुल देनदारियों कुल देनदारियों के बराबर होती हैं क्योंकि लेनदेन के दोनों पक्ष राशि के बराबर होते हैं और उन्हें विवरण में एक दूसरे के विरुद्ध दिशा में लिखा जाता है यही कारण है कि लेखे की दृष्टि से भुगतान से सदैव संतुलन में रहते हैं।
प्र.22 भुगतान संतुलन की मुख्य विशेषताएं क्या है?
उत्तर: भुगतान संतुलन की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं -
- क्रमबद्ध लेखा रिकॉर्ड - यह एक देश का अन्य देशों के साथ किए गए आयात निर्यात संबंधी भुगतानों वह प्राप्तियों का क्रमबद्ध लिखा होता है।
- निश्चित समय अवधि - यह समय की एक निश्चित अवधि प्रायः 1 वर्ष का लेखा-जोखा होता है।
- व्यापकता - इसमें सभी प्रकार की दृश्य अदृश्य एवं पूंजी अंतरण की मदों को शामिल किया जाता है।
- दोहरी अंकन प्रणाली - दोहरी लेखांकन प्रणाली के आधार पर ही भुगतान प्राप्तियों को लेखा बंद किया जाता है।
- स्व: संतुलित - दोहरी लेखांकन प्रणाली लेखा दृष्टिकोण से स्वत: ही भुगतान शेष को संतुलन में रखती है।
- अंतर समायोजन - वास्तविक व्यवहारों में जब कभी कुल प्राप्ति और भुगतान में अंतर हो जाता है तो इसको समायोजित करने की आवश्यकता पड़ती है।
प्र.23 भुगतान शेष या भुगतान संतुलन में असंतुलन के क्या कारण है। इसे कैसे ठीक किया जा सकता है। या भुगतान संतुलन में असंतुलन के कारण या भुगतान संतुलन ने प्रतिकूलता या असम्यता के कारण
उत्तर: भुगतान संतुलन में असंतुलन के कारण:
- विकास व्यय - विकाशील देशों में बड़े पैमाने पर विकास व्यय के लिए भारी मात्रा में आयात किए जाते हैं। जिसके परिणाम स्वरूप भुगतान संतुलन में घाटा उत्पन्न होता है।
- व्यापार चक्र - अर्थव्यवस्था में व्यवसायिक क्रियाओं में होने वाले उतार-चढ़ाव के कारण मेरे हाथों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है फल स्वरुप भुगतान संतुलन असंतुलित हो जाता है।
- बढ़ती कीमतें - ऊंची घरेलू किमतों के कारण है निर्यात हतोत्साहित होते हैं। और आयातो मैं वृद्धि होने के कारण भुगतान संतुलन असंतुलित हो जाता है।
- आयात प्रतिस्थापन - आयात प्रतिस्थापनों के कारण आयातों में कमी हो जाती हैं जिससे भुगतान संतुलन में घाटा कम होता है।
- प्राकृतिक कारण - प्राकृतिक कारण जैसे भूकंप, अकाल, महामारी, सुखा इत्यादि के कारण भी भुगतान संतुलन में असंतुलन आता है।
- राजनीतिक कारण - कई राजनीतिक कारणों से भी भुगतान संतुलन में असंतुलन दिखाई देता है। जैसे अधिक सुरक्षा व्यय, अंतरराष्ट्रीय संबंध, दूतावासों का विस्तार राजनीतिक अस्थिरता आदि।
प्र.24 भुगतान संतुलन को कैसे ठीक किया जा सकता है या भुगतान संतुलन में सुधार के उपाय-
उत्तर: भुगतान संतुलन में सुधार के उपाय:
मौद्रिक उपाय -
- मुद्रा संकुचन - भुगतान संतुलन को ठीक करने के लिए देश में मुद्रा संकुचन का उपाय अपनाकर मुद्रा की मात्रा में कमी लाकर असंतुलन को ठीक किया जा सकता है।
- मुद्रा अवमूल्यन - मुद्रा अवमूल्यन के द्वारा विदेशी मुद्राओं की तुलना में राष्ट्रीय मुद्रा का मूल्य कम कर दिया जाता है। जिससे निर्यात सस्ते हो जाते हैं, और निर्यातकों में वृद्धि होती है।
- विनिमय नियंत्रण - विनिमय नियंत्रण के माध्यम से सरकार आयात निर्यात पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित कर विनिमय पर नियंत्रण कर सकती है और भुगतान संतुलन को ठीक किया जा सकता है।
अमौद्रिक उपाय
- आयातों मैं कमी - भुगतान संतुलन की प्रतिकूलता को दूर करने के लिए आवश्यक है कि आयतों में कमी लाया जाए जिससे भुगतान संतुलन ठीक होगा।
- निर्यातों को प्रोत्साहन - प्रतिकूल भुगतान संतुलन को समायोजित करने के लिए निर्यातकों को प्रभावी रूप से प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
- अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से ऋण - अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से ऋण प्राप्त कर भुगतान संतुलन को ठीक किया जा सकता है।
प्र.25 भुगतान संतुलन के चालू खाते की प्रमुख घटकों को समझाइए।
उत्तर: भुगतान संतुलन के चालू खाते के अंतर्गत वस्तुओं एवं सेवाओं के आयात निर्यात एवं एकपक्षीय भुगतानों का हिसाब रखा जाता है।
- दृश्य मदें - दृश्य मदों में वस्तुओं के आयात निर्यात को शामिल किया जाता है। निर्यात को लेनदारी तथा आयात को देनदारी पक्ष में रखा जाता है। यह चालू खाते की सबसे बड़ी मद होती है।
- अदृश्य मदें - चालू खाते में दृश्य मदों के अतिरिक्त अदृश्य मदें भी शामिल की जाती है। जैसे -
- परिवहन - विदेशीयों से परिवहन सेवाओं के लेने पर देनदारी एवं परिवहन सेवाएं देने पर लेनदारी पक्ष में शामिल किया जाता है।
- बीमा एवं बैंकिंग - विदेशियों को दी गई बीमा एवं बैंकिंग सेवा लेनदारी एवं ली गई सेवाएं देनदारी पक्ष में आती है।
- पर्यटन - स्वास्थ्य, मनोरंजन, व्यापार, शिक्षा आदि के उद्देश्य से कोई विदेशी अगर हमारे देश आता है तो लेनदारी एवं हमारे नागरिकों द्वारा विदेशी भ्रमण पर देनदारी बनती है।
- विशेषज्ञों की सेवाएं - विशेषज्ञों द्वारा दी गई सेवाओं पर लेनदारी एवं ली गई सेवाओं पर देनदारी होती है।
- एकपक्षीय लेनदेन - विदेशों से प्राप्त दान, उपहार को भुगतान शेष के लेनदारी एवं विश्व को दिए दान, उपहार को भुगतान शेष की देनदारी पक्ष में रखा जाता है।
प्र.26 विनिमय दर की ब्रिटेन वुड्स प्रणाली को समझाइए। विनिमय दर की समंजनीय सीमा प्रणाली क्या है।
उत्तर: विनिमय दर की ब्रिटेन वुड्स प्रणाली - ब्रिटेन वुड्स सम्मेलन के परिणाम के स्वरूप में अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली में अनेक महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए जिसके आधार पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की स्थापना हुई। इस कोष के माध्यम से विभिन्न सदस्य देशों की मुद्राओं का समता मूल्य स्थापित कर के सदस्य देशों से यह अपेक्षा की गई कि स्वर्ण या डॉलर में अपनी मुद्रा का मूल्य बनाए रखें। ब्रिटेन वुड्स सुधारों के अंतर्गत स्वर्ण को रिजर्व का आधार माना गया, किंतु अमेरिकी डॉलर को मुख्य रिजर्व मुद्रा की भूमिका के लिए चुना गया।
प्र.27 लोचपूर्ण विनिमय दर के विपक्ष में चार तर्क दीजिए। परिवर्तनशील या लोचपूर्ण विनिमय दर के दोष बताइए।
उत्तर: लोचपूर्ण विनिमय दर के विपक्ष में तर्क:
- पिछड़े राष्ट्रों के लिए अनुपयुक्त - लोचपूर्ण विनिमय दर अल्पविकसित एवं पिछड़े राष्ट्रों के लिए अनुपयुक्त होती है, क्योंकि आयात अधिक एवं निर्यात कम होने से इन राष्ट्रों की भुगतान संतुलन में प्रतिकूलता आती है।
- बाह्य मूल्यों में अस्थिरता - विनिमय दर की अस्थिरता से मुद्रा का मूल्य बदलता रहता है, जिससे अनिश्चितता बनी रहती हैं।
- सट्टेबाजी को बढ़ावा - मुद्रा बाजार में मुद्रा के मूल्य में अत्यधिक उच्चावचन होता है, जिससे सट्टेबाजी की क्रियाओं को बढ़ावा मिलता है।
- मुद्रास्फीति का भय - मुद्रा के मूल्यों में अत्यधिक उच्चावचनों से मुद्रा स्फीति का भय बना रहता है। महंगाई बढ़ने से जनता को कई आर्थिक परेशानियां होती है।
प्र.28 स्थिर विनिमय दर के विपक्ष में चार तर्क दीजिए। स्थिर विनिमय दर के दोष बताइए।
उत्तर: स्थिर विनिमय दर के विपक्ष में तर्क:
- विनिमय दर को स्थिर बनाए रखना कठिन - सरकार द्वारा विनिमय दर को स्थिर बनाए रखने पर कई व्यावहारिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव से विनिमय दर को ज्यादा समय तक स्थिर रख पाना संभव नहीं होता।
- भ्रष्टाचार को बढ़ावा - स्थिर विनिमय की स्थिति में भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है एवं सरकारी अधिकारियों द्वारा विदेशी मुद्रा के क्रय विक्रय में प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष तरीकों से भ्रष्टाचार किया जाता है।
- वास्तविक विनिमय दर का ज्ञान नहीं - सरकार द्वारा विनिमय दर का निर्धारण होने से राष्ट्र की मुद्रा की वास्तविक विनिमय दर का पता नहीं चल पाता।
- राष्ट्र हितों की अवहेलना - विनिमय दर को स्थिर बनाए रखने से कई बार सरकार को अनचाहे निर्णय लेने पड़ते हैं, जिससे अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
प्र.29 लोचपूर्ण विनिमय दर के पक्ष में चार तर्क दीजिए। लोचपूर्ण विनिमय दर प्रणाली के गुण लिखिए/बताइए। लोचपूर्ण (परिवर्तनशील) विनिमय दर प्रणाली के समर्थन में तर्क।
उत्तर: लोचपूर्ण विनिमय दर के पक्ष में तर्क:
- सरल प्रणाली - लोणपूर्ण या परिवर्तनशील विनिमय दर प्रणाली में विनिमय दर का निर्धारण बाजार की मांग एवं पूर्ति की शक्तियों के द्वारा होता है। अतः इसमें बाह्य हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती।
- स्वतंत्र आर्थिक नीति - लोचपूर्ण विनिमय दर निर्धारण में विदेशी हस्तक्षेप की संभावना खत्म हो जाती है। तथा राष्ट्र की विदेशियों पर निर्भरता भी नहीं रहती। स्वतंत्र आर्थिक नीति निर्धारण में लोचपूर्ण विनिमय दर विशेष सहायक होती है।
- भुगतान संतुलन में सुधार - लोचपूर्ण विनिमय दर भुगतान संतुलन को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
- सतत समायोजन - लोचपूर्ण विनिमय दर का निर्धारण बाजार की मांग एवं पूर्ति की शक्तियों द्वारा होता है, जिससे विनिमय दर का सतत समायोजन होता रहता है।
प्र.30 स्थिर विनिमय दर के पक्ष में चार तर्क दीजिए। स्थिर या बंधी विनिमय दर का अर्थ लिखिए तथा स्थिर विनिमय दर के गुण बताइए। स्थिर विनिमय दर से आप क्या समझते हैं? इसके पक्ष में कौन से तर्क दिए जा सकते हैं।
उत्तर: स्थिर या बंधी विदेशी विनिमय दर का अर्थ: स्थिर विनिमय दर मुद्रा विनिमय दर कि वह प्रणाली है जिसमें विनिमय दर का निर्धारण सरकार द्वारा किया जाता है। सरकार या मुद्रिक अधिकारियों द्वारा कानून बनाकर या मुद्रा बाजारों में हस्तक्षेप कर विनिमय दर को निश्चित कर दिया जाता है।
स्थिर विनिमय दर के पक्ष में तर्क:
- विदेशी विनिमय दर स्थिर रहना - विदेशी विनिमय दर स्थिर रहती है। जिससे विदेशी बाजार में वृद्धि होती हैं।
- सट्टा बाजार पर रोक - सरकार द्वारा विदेशी विनिमय दर निर्धारण से सट्टा बाजार पर रोक लग जाता है।
- पूंजी निर्माण और आर्थिक विकास को बढ़ावा - स्थिर विनिमय दर से देश में पूंजी निर्माण और आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिलता है।
- विश्व के साथ सामंजस्य - स्थिर विनिमय दर से विश्व के अन्य देशों के साथ सामंजस्य बना रहता है।
- बाजार की अनिश्चितता में नियंत्रण - स्थिर विनिमय दर बाजार की अनिश्चितता पर नियंत्रण लगाती हैं।
- विदेशी व्यापार को बढ़ावा - स्थिर विनिमय दर विदेशी व्यापार को बढ़ावा देती है।
प्र.31 विदेशी विनिमय दर को विस्तार से समझाइए। FOREIGN EXCHANGE RATE विदेशी विनिमय दर का अर्थ/तात्पर्य/परिभाषा लिखिए/बताइए।
उत्तर: क्राउथर के अनुसार: "विनिमय दर एक देश की इकाई मुद्रा के बदले दूसरे देश की मुद्रा की मिलने वाली इकाइयों की माप है।"
अर्थ: विनिमय दर का तात्पर्य है कि एक देश की मुद्रा के बदले अन्य देश की कितनी मुद्राएं प्राप्त की जा सकती है।
उदाहरण: एक अमेरिकन डॉलर को प्राप्त करने के लिए कितने भारतीय रुपए का भुगतान करना पड़ेगा अगर कोई भारतीय $1 डालर के लिए ₹71 रुपए देता है तो विनिमय दर $1 डालर बराबर ₹75 होगी।
💰$1 = ⚖️₹75
प्र.32 चालू खाता तथा पूंजी खाता में अंतर बताइए। भुगतान संतुलन (शेष) के चालू खाता और पूंजी खाता में अंतर
उत्तर:
| चालू खाता | पूंजी खाता |
|---|---|
| चालू खाते में वस्तुओं के आयात निर्यात के भुगतान को दर्शाया जाता है। | जबकि पूंजी खाते में एक देश के नागरिकों का अन्य विश्व के नागरिकों के साथ पूंजीगत लेन देन दर्शाया जाता है। |
| चालू खाते की मदें प्रवाह की प्रतिनिधित्व करती है। | पूंजी खाते की मदें स्टाक की अवधारणा को बताती हैं। |
| चालू खाते का लेनदेन देश की चालू आय में परिवर्तन लाता है। | जबकि पूंजी खाते का लेनदेन पूंजीगत स्टॉक में परिवर्तन को बताता है। |
प्र.33 व्यापार संतुलन एवं भुगतान संतुलन में अंतर स्पष्ट कीजिए या भेद बताइए।
उत्तर:
| व्यापार संतुलन | भुगतान संतुलन |
|---|---|
| व्यापार संतुलन एक वर्ष में एक देश द्वारा आयात निर्यात वस्तुएं या दृश्य मदें व्यापार संतुलन में शामिल होती है। | भुगतान संतुलन में एक वर्ष में एक देश द्वारा दृश्य तथा दृश्य वस्तुओं का लेनदेन शामिल किया जाता है। |
| व्यापार संतुलन भुगतान संतुलन का ही अंग है। | जबकि भुगतान संतुलन में सभी मुद्दों को शामिल किया जाता है। |
| व्यापार संतुलन से देश की आर्थिक समृद्धि का सही सही अनुमान नहीं लगाया जा सकता। | भुगतान संतुलन अर्थव्यवस्था की समृद्धि का ज्यादा सटीक सूचक है। |
| व्यापार संतुलन अनुकूल या प्रतिकूल हो सकता है। | जबकि भुगतान संतुलन लेखा में हमेशा असंतुलित ही दर्शा जाता है। |
| व्यापार संतुलन संकुचित अवधारणा है। | जबकि भुगतान संतुलन विस्तृत अवधारणा है। |
| व्यापार संतुलन की प्रतिकूलता कम प्रभावी होती है। | जबकि भुगतान संतुलन की प्रतिकूलता अधिक प्रभावी होती है। |
प्र.34 अवमूल्यन और मूल्यह्रास में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अवमूल्यन: अवमूल्यन वह प्रक्रिया है जिसमें सरकार स्वयं जानबूझकर अपनी घरेलू मुद्रा का मूल्य विदेशी मुद्रा में घटा देती है। अवमूल्यन का उद्देश्य प्रतिकूल भुगतान संतुलन की स्थिति में सुधार लाना है। अवमूल्यन देश के निर्यात को बढ़ाने में तथा आयातों को बढ़ाने में सहायक होता है।
मूल्यह्रास: बिना सरकारी हस्तक्षेप किए हुए अंतरराष्ट्रीय बाजार में जब मुद्रा का मूल्य बाजार की मांग एवं पूर्ति की शक्तियों के द्वारा स्वत: ही कम हो जाए तो मूल्यह्रास कहलाता है।
प्र.35 पूंजीगत हस्तांतरण का क्या आशय है?
उत्तर: पूंजीगत हस्तांतरण से आशय उन लेन-देनों से है जिनमें एक देश की परिसंपत्तियों और दायित्वों में परिवर्तन होता है। इसमें विदेशी निवेश, ऋण, और अन्य पूंजीगत लेन-देन शामिल होते हैं।
प्र.36 भारत के विदेशी व्यापार की चार विशेषताएं लिखिए।
उत्तर: भारत के विदेशी व्यापार की विशेषताएं:
- विविध निर्यात सामग्री - भारत विविध प्रकार की वस्तुओं का निर्यात करता है जिसमें कृषि उत्पाद, वस्त्र, रत्न और आभूषण, इंजीनियरिंग सामान आदि शामिल हैं।
- तेल आयात पर निर्भरता - भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए कच्चे तेल के आयात पर काफी हद तक निर्भर है।
- सेवा क्षेत्र का महत्व - सॉफ्टवेयर, आईटी और बीपीओ सेवाओं का निर्यात भारत के विदेशी व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- व्यापार घाटा - भारत को अक्सर व्यापार घाटे का सामना करना पड़ता है क्योंकि आयात का मूल्य निर्यात से अधिक होता है।
प्र.37 खुली अर्थव्यवस्था तथा बंद अर्थव्यवस्था का अर्थ बताइए।
उत्तर:
खुली अर्थव्यवस्था: खुली अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जो अन्य देशों के साथ वस्तुओं, सेवाओं और पूंजी का आदान-प्रदान करती है। इसमें आयात, निर्यात और विदेशी निवेश शामिल होते हैं।
बंद अर्थव्यवस्था: बंद अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जो अन्य देशों के साथ कोई आर्थिक संबंध नहीं रखती। इसमें न तो आयात-निर्यात होता है और न ही विदेशी निवेश।

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