कक्षा 12 व्यष्टि अर्थशास्त्र – अध्याय 2: उपभोक्ता व्यवहार का सिद्धांत (NCERT प्रश्न-उत्तर हिंदी में)
इकाई – 2: उपभोक्ता व्यवहार का सिद्धांत | School Economics
प्र.1 उपभोक्ता का अर्थ बताइये
उत्तर: उपभोक्ता उस व्यक्ति को कहते हैं जो विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं का उपभोग करता है एवं उनसे संतुष्टि प्राप्त करता है जैसे: गेहूं, पंखा, टीवी, फ्रिज आदि।
प्र.2 कुल उपयोगिता अधिकतम कब होती है?
उत्तर: उपयोगिता के सिद्धांत अनुसार जब कुल उपयोगिता अधिकतम होती है तब सीमांत उपयोगिता शून्य हो जाती है। सीमांत उपयोगिता का शून्य होना उपभोक्ता की पूर्ण संतुष्टि को बताता है।
प्र.3 उदासीनता वक्र नकारात्मक ढाल क्यों बनाते हैं?
उत्तर: उदासीनता वक्र दो वस्तुओं के उन संयोगों को बताता है जिनके बीच उपभोक्ता उदासीन होता है। उपभोक्ता जब एक वस्तु का उपभोग बढ़ाता है तब उसे दूसरी वस्तु के उपभोग को त्यागना पड़ता है। प्रतिस्थापन की दर में परिवर्तन के कारण उदासीनता वक्र का ढाल ऋणात्मक होता है।
प्र.4 सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम के दो व्यावहारिक महत्व बताइए।
उत्तर:
- उपभोक्ता बचत का आधार: अनुमानित व्यय एवं वास्तविक व्यय का अंतर उपभोक्ता की बचत होता है। उपभोग बढ़ने पर बचत कम होती जाती है, जो सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम को फॉलो करता है।
- कर प्रणाली में उपयोगी: प्रगतिशील कर प्रणाली सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम पर आधारित है। अमीरों की बढ़ती आय पर सरकार अधिक कर प्राप्त करती है तथा आय के वितरण में समानता लाने का प्रयास करती है।
प्र.5 उपभोक्ता संतुलन का अर्थ बताइये।
उत्तर: एक उपभोक्ता संतुलन की अवस्था में तब होता है जब अपनी सीमित आय की सहायता से वस्तुओं को उनके दी गई कीमतों पर खरीद कर अधिकतम संतुष्टि प्राप्त करता है।
प्र.6 धनात्मक और ऋणात्मक उपयोगिता से क्या तात्पर्य है?
उत्तर: उपभोक्ता की पूर्ण संतुष्टि पर सीमांत उपयोगिता शून्य हो जाती है। सीमांत उपयोगिता वहां तक धनात्मक रहती है। इसके बाद भी उपभोक्ता उपभोग जारी रखता है तो सीमांत उपयोगिता ऋणात्मक हो जाती है।
प्र.7 श्रेष्ठ वस्तु क्या है? सामान्य वस्तु क्या है?
उत्तर: श्रेष्ठ या सामान्य वस्तु: सामान्य वस्तुएं अथवा श्रेष्ठ वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जिनमें कीमत एवं मांगी गई मात्रा में धनात्मक संबंध होता है। श्रेष्ठ वस्तुओं के संबंध में आय मांग वक्र धनात्मक ढाल वाला होता है, अर्थात बाएं से दाएं ऊपर चढ़ता हुआ। आय मांग वक्र यह बताता है कि उपभोक्ता की आय में वृद्धि उसकी मांग में भी वृद्धि करती है तथा इसके विपरीत आय की प्रत्येक कमी सामान्य दशा में मांग में भी कमी करती है।
प्र.8 घटिया वस्तु क्या है? निम्न वस्तु क्या है?
उत्तर: घटिया या निम्न वस्तु: घटिया वस्तुएं वे वस्तुएं होती हैं जिन्हें उपभोक्ता हीन दृष्टि से देखता है और आय स्तर के पर्याप्त न होने पर उपभोग करता है जैसे मोटा अनाज, वनस्पति घी, मोटा कपड़ा आदि। ऐसी दशा में जैसे-जैसे उपभोक्ता की आय में वृद्धि होती है, वैसे-वैसे उपभोक्ता इन घटिया वस्तुओं का उपभोग घटाकर श्रेष्ठ वस्तुओं के उपभोग में वृद्धि करने लगता है। अर्थात, घटिया वस्तुओं के लिए आय मांग वक्र ऋणात्मक ढाल वाला, बाएं से दाएं नीचे गिरता हुआ होता है।
प्र.9 उपयोगिता का अर्थ बताइए। उपयोगिता क्या है?
उत्तर: उपयोगिता का तात्पर्य किसी वस्तु या सेवा के उपभोग से प्राप्त होने वाली संतुष्टि से है। दूसरे शब्दों में, वस्तु विशेष में किसी उपभोक्ता की आवश्यकता विशेष की संतुष्टि की क्षमता को उपयोगिता कहलाती है।
प्र.10 सीमांत उपयोगिता क्या है?
उत्तर: सीमांत उपयोगिता का अर्थ: एक अतिरिक्त इकाई के उपभोग से कुल उपयोगिता में होने वाली वृद्धि सीमांत उपयोगिता कहलाती है।
परिभाषा (प्रोफेसर मोल्डिंग): "किसी वस्तु की दी हुई मात्रा की सीमांत उपयोगिता कुल उपयोगिता में होने वाली वृद्धि है जो उसके उपभोग में एक अतिरिक्त इकाई के बढ़ने के परिणामस्वरूप होती है।"
सूत्र: MUn = TUn - TUn-1
प्र.11 पूरक वस्तुओं को परिभाषित कीजिए। ऐसी दो वस्तुओं के उदाहरण दीजिए, जो एक-दूसरे के पूरक हैं।
उत्तर: पूरक वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो एक साथ प्रयोग में लाई जा सकती हैं। जैसे: कार-पेट्रोल, पेन-स्याही आदि।
"अन्य बातें समान रहने पर एक वस्तु के मूल्य में परिवर्तन होने पर दूसरी वस्तु की मांग में विपरीत परिवर्तन होगा।" अर्थात, पेट्रोल के मूल्य में वृद्धि पर कार की मांग कम हो जाएगी।
उदाहरण: पेट्रोल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि होने पर कार की मांग कम हो जाएगी, क्योंकि कार और पेट्रोल एक-दूसरे के पूरक हैं।
प्र.12 स्थानापन्न वस्तुओं को परिभाषित कीजिए। ऐसी दो वस्तुओं के उदाहरण दीजिए, जो एक-दूसरे के स्थानापन्न हैं।
उत्तर: स्थानापन्न वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो एक-दूसरे के स्थान पर एक ही उद्देश्य के लिए प्रयोग की जा सकती हैं।
उदाहरण: चाय-कॉफी, गुड़-शक्कर, मैंगो जूस-ऑरेंज जूस आदि।
"अन्य बातें समान रहने पर एक वस्तु के मूल्य में परिवर्तन होने के परिणामस्वरूप दूसरी वस्तु की मांग में सीधा परिवर्तन होगा जबकि दूसरी वस्तु की कीमत स्थिर रहती है।" अर्थात, एक वस्तु की कीमत और दूसरी वस्तु की मांग में सीधा संबंध होता है।
प्र.13 एकदिष्ट अधिमान से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: एक उपभोक्ता दो वस्तुओं के विभिन्न बंडलों में से उस बंडल या संयोग को अधिमान देता है जिसमें इन वस्तुओं में से कम से कम एक वस्तु की अधिक मात्रा हो, दूसरी वस्तु की मात्रा भी कम न हो। एकदिष्ट अधिमान किन्हीं दो संयोगों में से उस संयोग को चुनना है जिसमें दूसरी वस्तु की मात्रा कम न हो।
प्र.14 उपभोक्ता की बजट सेट से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: उपभोक्ता का बजट सेट सभी बंडलों (संयोगों) का संग्रह है जिसे उपभोक्ता विद्यमान बाजार कीमतों पर अपनी आय से खरीद सकता है।
प्र.15 बजट रेखा क्या है?
उत्तर: बजट रेखा उपभोक्ता की इच्छा एवं क्षमता (आय) के आधार पर वस्तुओं के विभिन्न संयोगों को प्राप्त करने की रेखा है।
प्र.16 मांग की लोच के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर: मांग की लोच के तीन प्रकार हैं, जो निम्नलिखित हैं:
- मांग की कीमत लोच: मांग की कीमत लोच वस्तु की कीमत में प्रतिशत परिवर्तन के अनुपात में मांगी गई मात्रा में होने वाले परिवर्तन की माप है।
सूत्र: मांग की कीमत लोच = मांग में अनुपातिक परिवर्तन / कीमत में अनुपातिक परिवर्तन। वस्तु की कीमत और मांगी गई मात्रा में विपरीत संबंध होता है।
- मांग की आय लोच: उपभोक्ता की आय के अनुपात की तुलना में मांगी गई मात्रा में होने वाले परिवर्तन को मांग की आय लोच से जाना जाता है। उपभोक्ता की आय और मांगी गई मात्रा में सीधा संबंध पाया जाता है।
- मांग की क्रॉस लोच: एक वस्तु की कीमत में परिवर्तन का दूसरी वस्तु की मांग पर प्रभाव को मांग की क्रॉस लोच से जाना जाता है। प्रतिस्थापन वस्तुओं की मांग एक-दूसरे के बदले की जाती है (जैसे चाय-कॉफी), जबकि पूरक वस्तुओं की मांग एक साथ की जाती है (जैसे कार-पेट्रोल)।
प्र.17 उपयोगिता ह्रास नियम के अपवाद लिखिए।
उत्तर: उपयोगिता ह्रास नियम की कुछ आलोचनाएं एवं अपवाद निम्नलिखित हैं:
- छोटी इकाइयों पर: वस्तु के उपभोग इकाइयां बहुत छोटी होने पर यह नियम लागू नहीं होता। जैसे, प्यासे व्यक्ति को बूंद-बूंद करके पानी पिलाने पर उसकी सीमांत उपयोगिता बढ़ती जाती है, परंतु संतुष्टि प्राप्त नहीं होती।
- दुर्लभ वस्तुओं पर: दुर्लभ और शान-शौकत की वस्तुओं पर यह नियम लागू नहीं होता। हालांकि, एक सीमा के बाद उपयोगिता घटती है।
- शराब के उपभोग में: शराब के उपभोग में यह नियम लागू नहीं होता, क्योंकि मानसिक दशा सामान्य नहीं रहती। फिर भी, एक सीमा के बाद सीमांत उपयोगिता ऋणात्मक हो जाती है।
- मुद्रा के संचय में: मुद्रा के संचय में यह नियम लागू नहीं होता, क्योंकि व्यक्ति अधिक धन चाहता है। लेकिन एक सीमा के बाद मुद्रा की सीमांत उपयोगिता भी घटती है।
- कविता/गीत में: मधुर कविता या गीत को बार-बार सुनने पर उपयोगिता बढ़ती है, लेकिन एक सीमा के बाद यह भी घटने लगती है।
प्र.18 मांग की लोच को प्रभावित करने वाले प्रमुख तत्वों/घटकों/कारकों को समझाइये।
उत्तर: मांग की लोच को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं:
- वस्तु की प्रकृति: अनिवार्य वस्तुओं (जैसे नमक, मिट्टी का तेल) की मांग बेलोचदार होती है, जबकि विलासिता की वस्तुओं (जैसे टीवी, सोना) की मांग लोचदार होती है।
- स्थानापन्न वस्तुओं की उपलब्धता: जिन वस्तुओं के निकट स्थानापन्न (जैसे चाय-कॉफी) उपलब्ध हैं, उनकी मांग अधिक लोचदार होती है।
- वस्तु का प्रयोग: जिन वस्तुओं का प्रयोग अनेक कार्यों में होता है (जैसे बिजली), उनकी मांग अधिक लोचदार होती है।
- उपभोक्ता की आदत: जिन वस्तुओं की आदत पड़ जाती है (जैसे सिगरेट), उनकी मांग बेलोचदार होती है।
- क्रेताओं का आय स्तर: उच्च आय वाले उपभोक्ता कीमत बढ़ने पर भी मांग कम नहीं करते।
- समय अवधि: अल्पकाल में मांग बेलोचदार होती है, जबकि दीर्घकाल में लोचदार होती है।
प्र.19 उपयोगिता की विशेषताएं बताइए।
उत्तर: उपयोगिता की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
- मनोवैज्ञानिक धारणा: उपयोगिता का कम या अधिक होना उपभोक्ता की मानसिक दशा पर निर्भर करता है।
- व्यक्तिनिष्ठ: एक ही वस्तु से अलग-अलग व्यक्तियों को अलग-अलग उपयोगिता प्राप्त हो सकती है।
- सापेक्षिक: समय और स्थान के अनुसार उपयोगिता में परिवर्तन आ जाता है।
- लाभदायकता से संबंध नहीं: उपयोगिता का लाभदायकता से कोई संबंध नहीं; यह उपभोग से मिलने वाली संतुष्टि से संबंधित है।
- माप कठिन: उपयोगिता की माप अनुमानित होती है, क्योंकि संतुष्टि को मापना कठिन है।
प्र.20 मांग का नियम लिखिए। मांग के नियम की सचित्र व्याख्या कीजिए।
उत्तर: प्रोफेसर मार्शल के अनुसार: "यदि अन्य बातें समान रहें तो किसी वस्तु के मूल्य कम होने पर उसकी मांग बढ़ जाती है और मूल्य अधिक होने पर उसकी मांग कम हो जाती है।"
मांग का नियम वस्तु की कीमत और मांगी जाने वाली मात्रा में विपरीत संबंध को बताता है।
सचित्र व्याख्या: मांग वक्र नीचे की ओर ढाल वाला होता है, जो कीमत और मांग के बीच विपरीत संबंध को दर्शाता है।
[नोट: चित्र के लिए मैं Chart.js कॉन्फिग प्रदान कर सकता हूँ, यदि आप चाहें।]
प्र.21 मांग की कीमत लोच का अर्थ लिखिए। मांग की कीमत लोच की श्रेणियां या प्रकार लिखिए।
उत्तर: मांग की कीमत लोच का अर्थ: मांग की कीमत लोच किसी वस्तु की कीमत में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन के परिणामस्वरूप उस वस्तु की मांग में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन का अनुपात बताती है।
मांग की कीमत लोच की श्रेणियां:
- सापेक्षत: लोचदार मांग (e > 1): कीमत में परिवर्तन के अनुपात में मांगी गई मात्रा में अधिक परिवर्तन होता है।
- सापेक्षत: बेलोचदार मांग (e < 1): कीमत में परिवर्तन के अनुपात में मांगी गई मात्रा में कम परिवर्तन होता है।
- इकाई लोचदार मांग (e = 1): कीमत में परिवर्तन के अनुपात में मांगी गई मात्रा में बराबर परिवर्तन होता है।
- पूर्ण बेलोचदार मांग (e = 0): कीमत में परिवर्तन के बावजूद मांगी गई मात्रा में कोई परिवर्तन नहीं होता।
- पूर्ण लोचदार मांग (e = ∞): कीमत में मामूली परिवर्तन से मांगी गई मात्रा में अनंत परिवर्तन होता है।
प्र.22 बजट रेखा की प्रवणता नीचे की ओर क्यों होती है? समझाइए।
उत्तर: बजट रेखा की प्रवणता एक वस्तु की मात्रा में परिवर्तन के परिणामस्वरूप दूसरी वस्तु की मात्रा में परिवर्तन की दर को मापती है। जब एक वस्तु की मात्रा में वृद्धि की जाती है, तो दूसरी वस्तु की मात्रा में उतनी ही मूल्य की कमी हो जाती है।
सूत्र: प्रवणता = -P1/P2
जहाँ P1 और P2 क्रमशः पहली और दूसरी वस्तु की कीमतें हैं।
प्र.23 सीमांत उपयोगिता, कुल उपयोगिता, और औसत उपयोगिता में संबंध बताइये।
उत्तर: कुल उपयोगिता, सीमांत उपयोगिता, और औसत उपयोगिता में निम्नलिखित संबंध है:
- प्रथम अवस्था: कुल उपयोगिता मोड़ के बिंदु तक बढ़ती हुई दर से बढ़ती है। सीमांत उपयोगिता भी तेजी से बढ़ती है, और औसत उपयोगिता धनात्मक रूप से बढ़ती है।
- दूसरी अवस्था: कुल उपयोगिता अधिकतम हो जाती है। सीमांत उपयोगिता घटने लगती है, और औसत उपयोगिता भी घटती है, पर दोनों धनात्मक रहते हैं।
- तृतीय अवस्था: कुल उपयोगिता गिरने लगती है। सीमांत उपयोगिता ऋणात्मक हो जाती है, और औसत उपयोगिता भी गिरती है, लेकिन धनात्मक रहती है।
प्र.24 उदासीनता वक्र क्षैतिज या लंबवत अक्ष को स्पर्श क्यों नहीं करते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: उदासीनता वक्र दो वस्तुओं के ऐसे संयोगों को बताता है जिन पर उपभोक्ता उदासीन होता है। यदि उदासीनता वक्र किसी एक अक्ष (X या Y) को स्पर्श करता है, तो उस अक्ष पर एक वस्तु की मात्रा शून्य हो जाएगी, और दूसरी वस्तु पर संपूर्ण व्यय होगा। यह उदासीनता वक्र के सिद्धांत के विरुद्ध है, क्योंकि उपभोक्ता दोनों वस्तुओं के संयोजन से संतुष्टि प्राप्त करता है।
प्र.25 सम-सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम को एक उदाहरण द्वारा समझाइए।
उत्तर: सम-सीमांत उपयोगिता नियम बताता है कि एक उपभोक्ता अधिकतम संतुष्टि प्राप्त करने के लिए अपनी आय को विभिन्न वस्तुओं पर इस प्रकार व्यय करेगा कि प्रत्येक वस्तु पर खर्च की गई रुपये की अंतिम इकाई से प्राप्त होने वाली सीमांत उपयोगिता बराबर हो जाए।
उदाहरण: माना एक उपभोक्ता दो वस्तुओं, अमरूद और केला, पर ₹12 खर्च करता है।
| इकाइयाँ | अमरूद की सीमांत उपयोगिता | केला की सीमांत उपयोगिता |
|---|---|---|
| 1 | 100 | 80 |
| 2 | 80 | 40 |
| 3 | 60 | 30 |
| 4 | 40 | 20 |
| 5 | 20 | 10 |
इस स्थिति में, उपभोक्ता 4 इकाई अमरूद और 2 इकाई केला खरीदता है, क्योंकि 40/2 = 40/2 = 20।
गणना:
- 4 इकाई अमरूद की लागत: 4 × 2 = ₹8
- 2 इकाई केला की लागत: 2 × 2 = ₹4
- कुल व्यय: ₹8 + ₹4 = ₹12 (जो आय के बराबर है)
प्र.26 एक उपभोक्ता दो वस्तुओं का उपभोग करने के लिए इच्छुक है। दोनों वस्तुओं की कीमत क्रमशः ₹4 और ₹5 है। उपभोक्ता की आय ₹20 है। (1) बजट रेखा के समीकरण को लिखिए। (2) उपभोक्ता यदि अपनी संपूर्ण आय वस्तु 1 पर व्यय कर दे, तो वह उसकी कितनी मात्रा का उपयोग कर सकता है? (3) यदि वह अपनी संपूर्ण आय वस्तु 2 पर व्यय कर दे, तो वह उसकी कितनी मात्रा का उपभोग कर सकता है? (4) बजट रेखा की प्रवणता क्या है?
उत्तर:
- बजट रेखा का समीकरण: P1X1 + P2X2 = M
4X1 + 5X2 = 20 - वस्तु 1 (X1) पर संपूर्ण आय व्यय करने पर:
4X1 + 5 × 0 = 20
4X1 = 20
X1 = 5 इकाइयाँ - वस्तु 2 (X2) पर संपूर्ण आय व्यय करने पर:
4 × 0 + 5X2 = 20
5X2 = 20
X2 = 4 इकाइयाँ - बजट रेखा की प्रवणता:
प्रवणता = -P1/P2 = -4/5 = -0.8
प्र.27 यदि उपभोक्ता की आय बढ़कर ₹40 हो जाती है, परंतु कीमत अपरिवर्तित रहती है, तो बजट रेखा में क्या परिवर्तन होता है?
उत्तर: नया समीकरण: 4X1 + 5X2 = 40
- वस्तु 1 (X1) पर: 4X1 + 5 × 0 = 40
X1 = 10 इकाइयाँ - वस्तु 2 (X2) पर: 4 × 0 + 5X2 = 40
X2 = 8 इकाइयाँ
उपभोक्ता की आय में वृद्धि से बजट रेखा बाएं से दाएं समानांतर खिसक जाएगी।
प्र.28 यदि वस्तु 2 की कीमत में ₹1 की गिरावट आ जाए, परंतु वस्तु 1 की कीमत और उपभोक्ता की आय में कोई परिवर्तन नहीं हो, तो बजट रेखा में क्या परिवर्तन आएगा?
उत्तर: पुराना समीकरण: 4X1 + 5X2 = 20
नई कीमत (P2 = 5 - 1 = 4): नया समीकरण: 4X1 + 4X2 = 20
- वस्तु 2 (X2) पर: 4 × 0 + 4X2 = 20
X2 = 5 इकाइयाँ
बजट रेखा की प्रवणता बदल जाएगी और यह दाएं की ओर झुकेगी।
प्र.29 अगर कीमतें और उपभोक्ता की आय दोनों दोगुनी हो जाएं, तो बजट सेट कैसा होगा?
उत्तर: पुराना समीकरण: 4X1 + 5X2 = 20
नया समीकरण: 2(4X1) + 2(5X2) = 2 × 20
8X1 + 10X2 = 40
- वस्तु 1 (X1) पर: 8X1 = 40
X1 = 5 इकाइयाँ - वस्तु 2 (X2) पर: 10X2 = 40
X2 = 4 इकाइयाँ
चूंकि X1 और X2 की इकाइयाँ पूर्ववत हैं, बजट सेट में कोई परिवर्तन नहीं होगा।
प्र.30 मान लीजिए कि कोई उपभोक्ता अपनी पूरी आय को व्यय करके वस्तु 1 (X) की 6 इकाइयाँ तथा वस्तु 2 (Y) की 8 इकाइयाँ खरीद सकता है। दोनों वस्तुओं की कीमतें क्रमशः ₹6 और ₹8 हैं। उपभोक्ता की आय कितनी है?
उत्तर: बजट रेखा का समीकरण: M = P1X1 + P2X2
M = 6 × 6 + 8 × 8 = 36 + 64 = ₹100
उपभोक्ता की आय ₹100 है।
प्र.31 मान लीजिए, उपभोक्ता दो ऐसी वस्तुओं का उपभोग करना चाहता है जो केवल पूर्णांक इकाइयों में उपलब्ध हैं। दोनों वस्तुओं की कीमत ₹10 के बराबर है तथा उपभोक्ता की आय ₹40 है। (1) वे सभी बंडल (संयोग) लिखिए, जो उपभोक्ता के लिए उपलब्ध हैं। (2) जो बंडल उपभोक्ता के लिए उपलब्ध हैं, उनमें से वे बंडल कौन से हैं जिन पर उपभोक्ता के पूरे ₹40 व्यय हो जाएंगे।
उत्तर:
- उपलब्ध बंडल:
बजट रेखा: 10X1 + 10X2 = 40
X1 = 40/10 = 4, X2 = 40/10 = 4
उपलब्ध बंडल: (0,0), (0,1), (0,2), (0,3), (0,4), (1,0), (1,1), (1,2), (1,3), (2,0), (2,1), (2,2), (3,0), (3,1), (4,0) - पूरे ₹40 व्यय करने वाले बंडल:
बजट रेखा: 10X1 + 10X2 = 40
बंडल: (4,0), (3,1), (2,2), (1,3), (0,4)
प्र.32 यदि एक उपभोक्ता के अधिमान एकदिष्ट हैं, तो क्या वह बंडल (10,8) और बंडल (8,6) के बीच तटस्थ हो सकता है?
उत्तर: यदि एक उपभोक्ता के अधिमान एकदिष्ट हैं, तो वह बंडल (10,8) और (8,6) के बीच तटस्थ नहीं हो सकता, क्योंकि बंडल (10,8) में दोनों वस्तुओं की मात्रा अधिक है, जो उसे उच्च अधिमान प्रदान करता है।
प्र.33 मान लीजिए, उपभोक्ता के अधिमान एकदिष्ट हैं। बंडल (10,10), (10,9), और (9,9) पर उसके अधिमान श्रेणीकरण के विषय में आप क्या बता सकते हैं?
उत्तर: एकदिष्ट अधिमान में उपभोक्ता उस बंडल को प्राथमिकता देगा जिसमें कम से कम एक वस्तु की मात्रा अधिक हो और दूसरी वस्तु की मात्रा कम न हो। इसलिए, अधिमान क्रम इस प्रकार होगा:
- (10,10) > (10,9) > (9,9)
बंडल (10,10) उच्चतम अधिमान पर है, इसके बाद (10,9), और सबसे कम (9,9)।
प्र.34 मान लीजिए कि आपका मित्र बंडल (5,6) और (6,6) के बीच तटस्थ है। क्या आपके मित्र के अधिमान एकदिष्ट हैं?
उत्तर: यदि मित्र बंडल (5,6) और (6,6) के बीच तटस्थ है, तो उसके अधिमान एकदिष्ट नहीं हैं, क्योंकि बंडल (6,6) में दोनों वस्तुओं की मात्रा अधिक है, जो एकदिष्ट अधिमान के अनुसार अधिक संतुष्टि प्रदान करता है।
प्र.35 मान लीजिए कि बाजार में एक ही वस्तु के लिए दो उपभोक्ता हैं तथा उनके मांग फलन इस प्रकार हैं: D1(p) = 20 - p (p ≤ 20 के लिए, अन्यथा 0); D2(p) = 30 - 2p (p ≤ 15 के लिए, अन्यथा 0)। बाजार मांग फलन को ज्ञात कीजिए।
उत्तर: बाजार मांग फलन दो उपभोक्ताओं की मांग का योग है:
D1(p) = 20 - p (p ≤ 20)
D2(p) = 30 - 2p (p ≤ 15)
बाजार मांग: D(p) = D1(p) + D2(p) = (20 - p) + (30 - 2p) = 50 - 3p (p ≤ 15 के लिए)
15 < p ≤ 20 के लिए: D(p) = 20 - p (क्योंकि D2(p) = 0)
p > 20 के लिए: D(p) = 0
प्र.36 मान लीजिए, वस्तु के लिए 20 उपभोक्ता हैं तथा उनके मांग फलन एक जैसे हैं: d(p) = 10 - 3p (p ≤ 10/3 के लिए, अन्यथा 0)। बाजार मांग फलन क्या है?
उत्तर: प्रत्येक उपभोक्ता का मांग फलन: d(p) = 10 - 3p (p ≤ 10/3)
20 उपभोक्ताओं के लिए बाजार मांग: D(p) = 20 × (10 - 3p) = 200 - 60p (p ≤ 10/3)
p > 10/3 के लिए: D(p) = 0
प्र.37 एक ऐसे बाजार को लीजिए, जहाँ केवल दो उपभोक्ता हैं तथा उनकी मांगें इस प्रकार हैं: तालिका के आधार पर वस्तु के लिए बाजार मांग की गणना कीजिए।
उत्तर: तालिका के आधार पर:
| कीमत (₹) | उपभोक्ता 1 की मांग | उपभोक्ता 2 की मांग | बाजार मांग |
|---|---|---|---|
| 1 | 9 | 24 | 33 |
| 2 | 8 | 20 | 28 |
| 3 | 7 | 18 | 25 |
| 4 | 6 | 16 | 22 |
| 5 | 5 | 14 | 19 |
| 6 | 4 | 12 | 16 |
बाजार मांग = उपभोक्ता 1 की मांग + उपभोक्ता 2 की मांग। कीमत वृद्धि के साथ मांग कम होती है, जो मांग के नियम को दर्शाता है।
प्र.38 एक वस्तु की मांग पर विचार करें। ₹4 की कीमत पर उस वस्तु की 25 इकाइयाँ मांगी जाती हैं। मान लीजिए वस्तु की कीमत बढ़कर ₹5 हो जाती है, और परिणामस्वरूप मांग घटकर 20 इकाइयाँ हो जाती है। कीमत लोच की गणना कीजिए।
उत्तर: कीमत लोच = (∆Q/Q) × (P/∆P)
पूर्व कीमत (P) = ₹4, पूर्व मात्रा (Q) = 25
नई कीमत = ₹5, नई मात्रा = 20
∆Q = 20 - 25 = -5, ∆P = 5 - 4 = 1
लोच = (-5/25) × (4/1) = -0.2 × 4 = -0.8
कीमत लोच = 0.8 (पूर्णांक मान)
प्र.39 मांग वक्र D(p) = 10 - 3p को लीजिए। कीमत 5/3 पर लोच क्या है?
उत्तर: मांग वक्र: D(p) = 10 - 3p
कीमत (p) = 5/3
मांग (Q) = 10 - 3(5/3) = 10 - 5 = 5
लोच = |(dQ/dp) × (p/Q)|
dQ/dp = -3 (मांग वक्र का अवकलन)
लोच = |-3 × (5/3)/5| = |-3 × 1/3| = 1
कीमत लोच = 1 (इकाई लोचदार)
प्र.40 मान लीजिए किसी वस्तु की मांग की कीमत लोच -0.2 है। यदि वस्तु की कीमत में 5% की वृद्धि होती है, तो वस्तु के लिए मांग में कितने प्रतिशत कमी आएगी?
उत्तर: कीमत लोच (ed) = -0.2, कीमत में परिवर्तन (%∆P) = 5%
लोच = %∆Q/%∆P
-0.2 = %∆Q/5
%∆Q = -0.2 × 5 = -1%
मांग में 1% की कमी आएगी।
प्र.41 मान लीजिए किसी वस्तु की मांग की कीमत लोच -0.2 है। यदि वस्तु की कीमत में 10% की वृद्धि होती है, तो उस वस्तु पर होने वाला व्यय किस प्रकार प्रभावित होगा?
उत्तर: कीमत लोच (ed) = -0.2, कीमत में परिवर्तन (%∆P) = 10%
लोच = %∆Q/%∆P
-0.2 = %∆Q/10
%∆Q = -0.2 × 10 = -2%
कुल व्यय = कीमत × मात्रा
%∆E = %∆P + %∆Q = 10% + (-2%) = 8%
व्यय में 8% की वृद्धि होगी।
प्र.42 मान लीजिए कि किसी वस्तु की कीमत में 4% की गिरावट होने के परिणामस्वरूप उस पर होने वाले व्यय में 2% की वृद्धि हो गई। आप मांग की लोच के बारे में क्या कहेंगे?
उत्तर: कीमत में कमी (%∆P) = -4%, व्यय में वृद्धि (%∆E) = 2%
%∆E = %∆P + %∆Q
2 = -4 + %∆Q
%∆Q = 2 + 4 = 6%
लोच = %∆Q/%∆P = 6/(-4) = -1.5
मांग की लोच = 1.5 (सापेक्षत: लोचदार)

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