कक्षा 12 व्यष्टि अर्थशास्त्र – अध्याय 3: आगम एवं लागत (Revenue & Cost) (NCERT प्रश्न-उत्तर हिंदी में)
इकाई – 3: आगम एवं लागत | School Economics
प्र.1 कुल लागत क्या है ?
उत्तर: किसी फॉर्म को उत्पादन की एक निश्चित मात्रा उत्पादित करने के लिए जो कुवे वहन करना पड़ता है उसे फर्म की कुल लागत कहते हैं।
कुल लागत = स्थिर लागत + परिवर्तनशील लागत
प्र.2 औसत लागत क्या है ?
उत्तर: कुल लागत को वस्तु की उत्पादित मात्रा से भाग देकर औसत लागत प्राप्त की जा सकती हैं।
औसत कुल लागत = (कुल लागत)/(उत्पादन की मात्रा)
प्र.3 सीमांत लागत क्या है ?
उत्तर: अन्य साधनों की मात्रा को स्थिर रखकर परिवर्तनशील साधन की एक अतिरिक्त इकाई के प्रयोग से कुल लागत की मात्रा में होने वाला परिवर्तन सीमांत लागत MC कहा जाता है।
MCn = TCn - TCn-1
प्र.4 आगम क्या है ?
उत्तर: उत्पादक द्वारा वस्तु की निश्चित मात्रा को बेचकर प्राप्त की जाने वाली धनराशि आगम कहलाती है।
प्र.5 सीमांत आगम क्या है ?
उत्तर: उत्पादन की एक अतिरिक्त इकाई से कुल आगम में होने वाली वृद्धि सीमांत आगम कहलाती है।
MRn = TRn - TRn-1
प्र.6 कुल आगम क्या है ?
उत्तर: कुल आगम एक फर्म द्वारा उत्पादन की एक निश्चित मात्रा को बेचकर जो धनराशि प्राप्त करती है उसे कुल आगम कहते हैं।
कुल आगम = वस्तु की बेची गई मात्रा × प्रति इकाई कीमत
प्र.7 औसत आगम क्या है?
उत्तर: फर्म द्वारा वस्तु को बेचकर प्राप्त कुल आगम को वस्तु की बिक्री मात्रा से भाग देकर औसत आगम ज्ञात किया जाता है।
औसत आगम = (कुल आगम)/(वस्तु की बेची गई मात्रा)
प्र.8 पूर्ति का नियम लिखिए।
उत्तर: अन्य बातें स्थिर रहते हुए किसी वस्तु की कीमत में वृद्धि होने पर उसकी पूर्ति में भी वृद्धि होती है तथा कीमत में कमी होने पर उसकी पूर्ति में भी कमी होती है। इसे पूर्ति का नियम कहते हैं। वस्तु की कीमत तथा वस्तु की पूर्ति में सीधा या धनात्मक संबंध होता है।
प्र.9 पूर्ति की लोच से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: पूर्ति की लोच से तात्पर्य किसी वस्तु की कीमत के अनुपात में उसकी मांगी गई मात्रा में हुआ परिवर्तन पूर्ति की लोच कहलाता है।
पूर्ति की लोच = (वस्तु की पूर्ति मात्रा में अनुपातिक परिवर्तन)/(वस्तु की कीमत में अनुपातिक परिवर्तन)
प्र.10 कुल उत्पादन क्या है? एक आगत (साधन) का कुल उत्पाद क्या होता है ?
उत्तर: अन्य सभी आगतों (साधनों) की मात्रा को स्थिर रखकर जब एक साधन आगत की मात्रा में परिवर्तन किया जाता है, तब उस उत्पादन के विभिन्न स्तरों पर प्रयोग के लिए उत्पादन फलन से विभिन्न स्तरों के उत्पादन प्राप्त होते हैं। परिवर्ती आगत (परिवर्तनशील साधन) और निर्गत के बीच के इस संबंध को कुल उत्पाद कहा जाता है।
प्र.11 सीमांत उत्पादन क्या है? एक आगत (साधन) का सीमांत उत्पाद MP क्या होता है ?
उत्तर: अन्य साधनों की मात्रा को स्थिर रखकर परिवर्तनशील साधन की एक अतिरिक्त इकाई के प्रयोग से कुल उत्पादन की मात्रा (दर) में होने वाला परिवर्तन सीमांत उत्पाद MP कहा जाता है।
MPn = TPn - TPn-1
प्र.12 स्थिर लागत क्या है?
उत्तर: स्थिर साधनों को दिया जाने वाला पारितोषिक व्यय स्थिर लागत होता है। यह व्यय अनिवार्य वह होता है जैसे :- भूमि को किराया, मशीन की लागत, चौकीदार का वेतन आदि।
प्र.13 परिवर्तनशील लागत क्या है?
उत्तर: परिवर्तनशील साधनों को दिए जाने वाला पारितोषिक व्यय परिवर्तनशील लागत कहलाता है। जैसे कच्चा माल, बिजली बिल, परिवहन आदि।
प्र.14 लागत फलन क्या है?
उत्तर: लागत फलन का अर्थ: - उत्पादन की मात्रा उत्पत्ति के साधनों की लागत का फलन होती है।
C = f (o)
C = उत्पादन के साधनों की लागत, f = फलन, o = उत्पादन की मात्रा
प्र.15 पूर्ति की लोच को प्रभावित या निर्धारित करने वाले तत्व/कारक या घटक लिखिए।
उत्तर: पूर्ति को प्रभावित करने वाले तत्व निम्नलिखित हैं-
- वस्तु की कीमत: वस्तु की कीमत भी वस्तु की पूर्ति को प्रभावित करती है। ऊंची कीमतों पर पूर्ति अधिक, कम कीमत पर पूर्ति कम होती है।
- अन्य संबंधित वस्तुओं की कीमत: स्थानापन्न एवं पूरक वस्तुओं की कीमतों में परिवर्तन का वस्तु की पूर्ति पर प्रभाव पड़ता है।
- उत्पादन के साधनों की कीमत: वस्तु की पूर्ति उत्पादन के साधनों की कीमत को प्रभावित करती है। उत्पादन के साधनों की कीमत में वृद्धि से पूर्ति में कमी एवं उत्पादन के साधनों में कमी से पूर्ति में वृद्धि होती है।
- तकनीकी ज्ञान: तकनीकी ज्ञान से वस्तु की पूर्ति में वृद्धि होती है।
- शासकीय नीति: करों में वृद्धि वस्तु की पूर्ति में कमी लाती है जबकि करों में कमी से वस्तु की पूर्ति में वृद्धि होती है।
- भविष्य में कीमतों में परिवर्तन की संभावना: भविष्य में वस्तु की कीमत में होने वाले परिवर्तनों की संभावना भी वस्तु की पूर्ति को प्रभावित करती है।
प्र.16 स्थिर लागत और परिवर्तनशील लागत में अंतर बताइए।
उत्तर:
| स्थिर लागत | परिवर्तनशील लागत |
|---|---|
| इसका संबंध उत्पादन के स्थिर साधनों से होता है। | इसका संबंध उत्पादन के परिवर्तनशील साधनों से होता है। |
| इसका संबंध अल्पकाल अवधि से है। | इसका संबंध दीर्घकाल अवधि से है। |
| उत्पादन की मात्रा में परिवर्तन का स्थिर लागतों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। | उत्पादन की मात्रा में परिवर्तन होने पर परिवर्तनशील लागतें भी परिवर्तित हो जाती हैं। |
| उत्पादन स्तर के शून्य होने पर भी कुल स्थिर लागत अपरिवर्तित रहती हैं। | उत्पादन शून्य होने पर अल्पकाल में परिवर्तनशील लागतें भी शून्य हो जाती हैं। |
| स्थिर लागतें कुल लागत में से परिवर्तनशील लागत को घटाने पर प्राप्त होती हैं। | परिवर्तनशील लागत कुल लागत में से स्थिर लागत को घटाने पर प्राप्त होती है। |
प्र.17 उत्पादन फलन क्या है? उत्पादन फलन की संकल्पना को समझाइए।
उत्तर: एक फर्म का उत्पादन फलन उपयोग में लाए गए आगतों (साधनों) तथा फर्म द्वारा उत्पादित निर्गतों (वस्तु की उत्पादित मात्रा) के मध्य फलनात्मक संबंध को व्यक्त करता है।
उत्पादन फलन: Qx = f (A,B,C,D)
Qx = x वस्तु का भौतिक उत्पादन (निर्गत) Outputs
A,B,C,D = उत्पत्ति के साधन (लागत) Inputs
वाटसन: "एक फर्म भौतिक उत्पादन और उत्पादन के भौतिक साधनों के संबंध को उत्पादन फलन कहा जाता है।"
प्र.18 लागत वक्र यू आकार के क्यों होते हैं?
उत्तर: अल्पकालीन सीमांत लागत वक्र यू “U” आकार का इसलिए होता है, कि यह उत्पादन प्रतिफल की तीनों अवस्थाओं को बताता है।
उत्पादन की प्रारंभिक अवस्था में उत्पत्ति की अन्य साधनों को स्थिर रखकर एक साधन की मात्रा को बढ़ाया जाता है, तो उत्पादन बढ़ती हुई दर से प्राप्त होता है। अर्थात सीमांत लागत घटती क्योंकि प्रारंभ में श्रम, तकनीकी, विपणन एवं प्रबंधकीय बचतें प्राप्त होती हैं। एवं एक बिंदु पर सीमांत लागत न्यूनतम हो जाता है, उसके बाद ऊपर उठने लगता है। अर्थात प्रति इकाई सीमांत लागत बढ़ने लगती है जिसके कारण सीमांत लागत यू "U" आकार का हो जाता है।
प्र.19 लागत वक्र की संकल्पनाओं को संक्षिप्त में समझाइए।
उत्तर: लागत संकल्पनाएं या अवधारणाएं
- कुल लागत = कुल स्थिर लागत + कुल परिवर्तनशील लागत
- औसत लागत = औसत स्थिर लागत + औसत परिवर्तनशील लागत
- सीमांत लागत = एक अतिरिक्त इकाई से कुल लागत में होने वाली वृद्धि
प्र.20 अल्पकाल और दीर्घकाल की संकल्पनाओं को समझाइए।
उत्तर:
अल्पकाल: अल्पकाल वह समयावधि है जिसमें उत्पादन के सभी साधनों में परिवर्तन करना संभव नहीं होता। अल्पकाल में उत्पत्ति के अन्य साधनों की मात्रा स्थिर रखकर एक साधन की मात्रा में परिवर्तन किया जाता है।
दीर्घकाल: दीर्घकाल में उत्पत्ति के सभी साधन परिवर्तनशील हो जाते हैं।
अर्थशास्त्र में अल्पकाल को ज्यादा महत्व दिया जाता है क्योंकि अल्पकाल में एक फर्म या उपभोक्ता के व्यवहार का अध्ययन किया जा सकता है।
किन्स: "दीर्घकाल में हम सब मर जाते हैं।"
प्र.21 परिवर्तनशील अनुपातों के नियम को समझाइए।
उत्तर: परिवर्तनशील अनुपात का नियम यह बताता है कि अल्पकाल में अन्य साधनों की मात्रा को स्थिर रखकर जब किसी एक साधन की मात्रा में परिवर्तन किया जाता है तो उत्पादन किस अनुपात में परिवर्तित होता है परिवर्तनशील अनुपात का नियम कहलाता है।
प्र.22 साधन के प्रतिफल से क्या तात्पर्य है।
उत्तर: अल्पकाल में उत्पादन के कुछ साधन स्थिर होते हैं और कुछ साधन परिवर्तनशील इसलिए अल्पकाल में एक फर्म इस बात पर विशेष ध्यान देती है कि स्थिर साधनों के साथ जब परिवर्तनशील साधन की मात्रा में परिवर्तन होता है तब उसका उत्पादन पर क्या प्रभाव पड़ता है।
प्र.23 पैमाने के प्रतिफल का अर्थ बताते हुए, इसकी अवस्थाओं के नाम लिखिए।
उत्तर: दीर्घकाल में उत्पादन के साधनों में समान अनुपात में वृद्धि करने पर उत्पादन किस अनुपात में बढ़ता है यही पैमाने के प्रतिफल का नियम बताता है। अर्थात दीर्घकाल में पैमाने के प्रतिफल सभी साधनों में समान अनुपात में होने वाले परिवर्तनों के फलस्वरूप कुल उत्पादन में होने वाले परिवर्तन से है।
पैमाने के प्रतिफल की तीन अवस्थाएं हैं:-
- पैमाने के बढ़ते प्रतिफल
- पैमाने के स्थिर प्रतिफल
- पैमाने के घटते प्रतिफल
प्र.24 औसत आगम और सीमांत आगम में संबंध बताइए।
उत्तर: पूर्ण प्रतियोगिता में औसत आगम और सीमांत आगम के बीच संबंध
पूर्ण प्रतियोगिता में वस्तु की मांग पूर्णतया लोचदार होती है। क्योंकि पूर्ण प्रतियोगिता में फर्म कीमत प्राप्तकर्ता होती है। उद्योग द्वारा वस्तु का मूल्य निर्धारण किया जाता है और इस निर्धारित कीमत को दिया हुआ मानकर वस्तु की कितनी भी मात्रा का उत्पादन एवं विक्रय कर सकती है।
पूर्ण लोचदार मांग वाले पूर्ण प्रतियोगिता बाजार में औसत आगम एवं सीमांत आगम परस्पर बराबर होते हैं।
सूत्रानुसार: AR = MR(e/e-1)
यदि e=∞ (अनंत)
तब AR = MR
अर्थात पूर्ण प्रतियोगिता में औसत आगम तथा सीमांत आगम परस्पर बराबर होते हैं अब यह रेखा x अक्ष के समानांतर एक आड़ी रेखा के रूप में होती है।
प्र.25 साधन के प्रतिफल और पैमाने के प्रतिफल में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
- अल्पकालीन उत्पादन फलन परिवर्तनशील अनुपात वाला उत्पादन फलन है जबकि दीर्घकालीन उत्पादन फलन पैमाने के प्रतिफल वाला उत्पादन फलन है।
- अल्पकालीन उत्पादन फलन में उत्पादन पैमाना स्थिर होता है जबकि दीर्घकालीन उत्पादन फलन की स्थिति में पैमाना परिवर्तित होता है।
- अल्पकालीन उत्पादन फलन साधन के प्रतिफल को प्रकट करता है जबकि दीर्घकालीन उत्पादन फलन पैमाने के प्रतिफल को प्रकट करता है।
प्र.26 एक आगत (साधन) का कुल उत्पाद क्या होता है ?
उत्तर: अन्य सभी आगतों (साधनों) की मात्रा को स्थिर रखकर जब एक साधन लागत की मात्रा में परिवर्तन किया जाता है, तब उस आगत के विभिन्न स्तरों पर प्रयोग के लिए उत्पादन फलन से विभिन्न स्तरों के उत्पादन प्राप्त होते हैं। परिवर्ती आगत (परिवर्तनशील साधन) और निर्गत के बीच के इस संबंध को कुल उत्पाद कहा जाता है।
प्र.27 एक आगत (साधन) का औसत उत्पाद क्या होता है ?
उत्तर: परिवर्तनशील साधन के प्रति इकाई उत्पादन को औसत उत्पाद AP कहा जाता है। कुल उत्पाद TP में परिवर्तनशील लागत (साधन) से भाग देने पर औसत उत्पाद प्राप्त होता है।
सूत्र: AP = TP/L
AP = औसत उत्पाद, TP = कुल उत्पाद, L = परिवर्तनशील साधन की मात्रा
प्र.28 एक आगत (साधन) का सीमांत उत्पाद MP क्या होता है ?
उत्तर: अन्य साधनों की मात्रा को स्थिर रखकर परिवर्तनशील साधन की एक अतिरिक्त इकाई के प्रयोग से कुल उत्पादन की मात्रा (दर) में होने वाला परिवर्तन सीमांत उत्पाद MP कहा जाता है।
MPn = TPn - TPn-1
MPn = n वी इकाई का सीमांत उत्पाद, TPn = n इकाइयों का कुल उत्पाद, TPn-1 = n-1 इकाइयों का कुल उत्पाद
अन्य सूत्र: MP = ∆TP/∆L
कुल उत्पादन में परिवर्तन/परिवर्तनशील साधन में परिवर्तन की इकाइयों में परिवर्तन
प्र.29 ह्रासमान सीमांत उत्पाद का नियम क्या है ?
उत्तर: ह्रासमान सीमांत उत्पाद अल्पकालीन सिद्धांत है जो परिवर्तनशील अनुपात के नियम की एक अवस्था है।
अल्पकाल में उत्पत्ति के सभी साधन परिवर्तनशील नहीं होते। परिवर्तनशील साधन की मात्रा में निरंतर वृद्धि करने पर एक आदर्श सहयोग बिंदु के बाद सीमांत उत्पाद गिरने लगता है यह साधन की विभाज्यता एवं अन्य साधनों का स्थिर सहयोग के कारण होता है।
परिभाषा:
स्टीगलर के अनुसार: "जब कुछ उत्पत्ति साधनों को स्थिर रखकर एक उत्पत्ति साधन की इकाइयों में समान वृद्धि की जाती है तब एक निश्चित बिंदु के बाद उत्पादन की उत्पन्न होने वाली वृद्धि कम हो जाएगी अर्थात सीमांत उत्पादन घट जाएगा।"
प्र.30 उत्पादन फलन वर्धमान पैमाने के प्रतिफल को कब संतुष्ट करता है। पैमाने के बढ़ते प्रतिफल को समझाइए।
उत्तर: पैमाने के बढ़ते प्रतिफल
जब उत्पत्ति के साधनों को एक निश्चित मात्रा में बढ़ाया जाता है तो उत्पादन बढ़ती हुई दर से प्राप्त होता है। अर्थात साधन वृद्धि की दर से उत्पादन वृद्धि दर अधिक होती है।
उदाहरण अनुसार साधनों में 10% की वृद्धि की जाए तो उत्पादन में भी 10% से अधिक की वृद्धि हो जाएगी।
चित्रानुसार साधनों में 10% वृद्धि करने पर उत्पादन 13% बढ़ रहा है। उत्पादन में अनुपातिक वृद्धि > साधनों में अनुपातिक वृद्धि से अधिक है।
प्र.31 एक उत्पादन फलन स्थिर पैमाने के प्रतिफल को कब संतुष्ट करता है।
उत्तर: पैमाने के प्रतिफल की अवधारणा दीर्घकालीन होती है। जिसमें उत्पत्ति के सभी साधन परिवर्तनशील हैं।
परिभाषा:
वाटसन के अनुसार: "पैमाने के प्रतिफल का संबंध सभी कारकों में समान अनुपात में होने वाले परिवर्तन के फलस्वरूप कुल उत्पादन में होने वाले परिवर्तन से है वह एक दीर्घकालीन अवधारणा है।"
उत्पत्ति के साधनों में जब सामान रूप से वृद्धि की जाती है तो उत्पादन भी समान रूप से ही बढ़ता है इसे स्थिर पैमाने के प्रतिफल कहते हैं।
प्र.32 एक उत्पादन फलन ह्रासमान पैमाने के प्रतिफल को कब संतुष्ट करता है।
उत्तर: पैमाने के घटते प्रतिफल
जब उत्पत्ति के साधनों को एक निश्चित मात्रा में बढ़ाया जाता है तो उत्पादन घटती हुई दर से बढ़ता है। अर्थात साधन वृद्धि दर से उत्पादन वृद्धि की दर कम होती है।
उत्पादन में अनुपातिक वृद्धि < साधनों में अनुपातिक वृद्धि
चित्र अनुसार साधनों में 10% वृद्धि करने पर उत्पादन में 5% की वृद्धि होती है।
प्र.33 परिवर्ती (परिवर्तनशील) अनुपात का नियम क्या है? परिवर्ती अनुपातों के नियम की तीन अवस्थाओं की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: परिवर्तनशील अनुपात का नियम अल्पकाल से संबंधित है। अल्पकाल में अन्य साधनों की मात्रा को स्थिर रखकर जब किसी एक साधन की मात्रा में वृद्धि की जाती है तो उत्पादन की तीन अवस्थाएं प्राप्त होती हैं।
प्रथम अवस्था या बढ़ते प्रतिफल की अवस्था: प्रथम अवस्था वहां तक होगी जहां AP, MP बराबर होंगे अर्थात परिवर्तनशील साधन की औसत उत्पादकता बढ़ती है। ON मात्रा तक और सीमांत उत्पादकता धनात्मक रहती है और AP से अधिक रहती हैं। प्रारंभ में परिवर्तनशील साधन की मात्रा कम होने से उसका पूर्ण दोहन नहीं होता और साधन अविभाज्यता होता है जिससे परिवर्तन संसाधन की मात्रा में वृद्धि से बढ़ती हुई दर से उत्पादन प्राप्त होता है।
द्वितीय अवस्था या घटते प्रतिफल की अवस्था: इस अवस्था में AP और MP दोनों घटने लगते हैं, और MP 0 (शून्य) हो जाता है। मगर कुल उत्पादन TP बढ़ता है। और यह MP के 0 (शून्य) होने तक अधिकतम हो जाती है। इस अवस्था में AP गिरने लगती है। परिवर्तन से साधन की मात्रा बढ़ने पर इस अवस्था में बढ़ती हुई दर से वृद्धि होती है। मगर यह धनात्मक होती है। उत्पादक इस अवस्था तक उत्पादन का निर्णय लेते हैं।
तृतीय अवस्था या ऋणात्मक प्रतिफल की अवस्था: इस अवस्था में कुल उत्पादन गिरने लगता है। MP ऋणात्मक हो जाता है इस अवस्था में परिवर्तनशील साधन की मात्रा में वृद्धि से उत्पादन बढ़ना संभव नहीं है। क्योंकि स्थिर साधनों का संयोग अल्पकाल में बढ़ाया नहीं जा सकता। जिससे ऋणात्मक प्रतिफल या उत्पत्ति ह्रास नियम की अवस्था कहते हैं।
प्र.34 क्या दीर्घकाल में कुल स्थिर लागत हो सकती है ? यदि नहीं तो क्यों ?
उत्तर: दीर्घकाल वह समय अवस्था है जिसमें उत्पत्ति की सभी लागतें परिवर्तनशील हो जाती हैं।
दीर्घकाल में कुल स्थिर लागत नहीं होती, क्योंकि उत्पादक के पास इतना समय रहता है कि वह सभी प्रकार के लागतों को परिवर्तित कर सकता है। अगर उत्पादक को दीर्घकाल तक हानि होती है तो वह उत्पादन को बंद कर बाजार से बाहर जा सकता है। जबकि अल्पकाल में वह हानि के समय भी कुल स्थिर लागतों को उठाता रहता है।
अतः दीर्घकाल में कोई भी लागत स्थिर लागत नहीं होती।
प्र.35 औसत स्थिर लागत वक्र कैसा दिखता है ? यह ऐसा क्यों दिखता है ?
उत्तर: औसत स्थिर लागत, कुल स्थिर लागत को फार्म के कुल उत्पादन की मात्रा से भाग देने पर प्राप्त होता है।
औसत स्थिर लागत = कुल स्थिर लागत / उत्पादन
AFC = TFC / Q
औसत स्थिर लागत वक्र के प्रत्येक बिंदु पर औसत स्थिर लागत और उत्पादन मात्रा का गुणनफल स्थिर और समान रहता है। क्योंकि प्रत्येक बिंदु पर कुल स्थिर लागत स्थिर रहती है, जिसे आयताकार अतिपरवलय भी कहा जाता है।
औसत स्थिर लागत की विशेषताएं:
- बाएं से दाएं नीचे गिरता है। उत्पादन वृद्धि के साथ औसत स्थिर लागत नीचे गिरती है।
- औसत स्थिर लागत प्रारंभ में तेजी से गिरता है, मगर वह कभी भी अक्षों को नहीं छूता अर्थात कभी शून्य नहीं होता।
प्र.36 एक फर्म के औसत स्थिर लागत, औसत परिवर्ती लागत तथा औसत लागत क्या है, वे किस प्रकार संबंधित है ?
उत्तर: अल्पकाल में औसत लागत तीन प्रकार की होती है। औसत लागत या औसत कुल लागत, औसत स्थिर लागत, औसत परिवर्ती लागत
ATF = AFC + AVC
औसत कुल लागत: अगर उत्पादन की कुल लागत को प्रति इकाई उत्पादन से भाग दे दिया जाए तो औसत कुल लागत को प्राप्त होती है। जिसे प्रति इकाई लागत भी कहा जाता है।
औसत कुल लागत = कुल लागत / उत्पादन की मात्रा
ATC = TC/Q
औसत स्थिर लागत: कुल स्थिर लागत में उत्पादन की मात्रा का भाग देकर औसत स्थिर लागत प्राप्त की जा सकती है।
औसत स्थिर लागत = कुल स्थिर लागत / उत्पादन की मात्रा
AFC = TFC /Q
औसत परिवर्तनशील लागत: कुल परिवर्तनशील लागत में उत्पादन की मात्रा का भाग देकर औसत परिवर्तनशील लागत प्राप्त की जा सकती है।
औसत परिवर्तनशील लागत = कुल परिवर्तनशील लागत / उत्पादन की मात्रा
AVC = TVC / Q
प्र.37 अल्पकालीन सीमांत लागत, औसत परिवर्तनशील लागत तथा अल्पकालीन औसत लागत वक्र कैसे दिखाई देता है ?
उत्तर:
सीमांत लागत वक्र: एक अतिरिक्त इकाई से कुल लागत में होने वाली वृद्धि सीमांत लागत कहलाती है। जिसे सूत्र द्वारा ज्ञात किया जा सकता है।
MCn = TCn - TCn-1
MCn = n वी इकाई की सीमांत लागत, TCn = n वी इकाइयों की कुल लागत, TCn-1 = (n-1) इकाइयों की कुल लागत
सीमांत लागत केवल परिवर्तनशील लागत पर निर्भर है। स्थिर लागत पर नहीं।
MCn = TVCn - TVCn-1
औसत परिवर्तनशील लागत वक्र: औसत कुल लागत में उत्पादन की मात्रा का भाग देकर प्राप्त किया जा सकता है।
प्र.38 किस बिंदु पर अल्पकालीन सीमांत लागत वक्र, अल्पकालीन औसत लागत वक्र को काटता है। अपने उत्तर के समर्थन में कारण बताइए।
उत्तर: सीमांत लागत और औसत लागत के संबंध को चित्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
1. सीमांत लागत MC के साथ औसत लागत AC भी गिरती है। AC बिंदु E तक गिरता है, मगर MC, AC से नीचे है। मगर जरूरी नहीं है कि AC के गिरने तक MC भी गिरता रहे। B बिंदु के बाद ऊपर उठने लगता है, मगर AC अब भी गिर रहा है।
2. AC के न्यूनतम होने पर MC वक्र AC को नीचे से काटता है। कटान बिंदु E पर AC = MC होता है।
3. E कटान बिंदु के बाद MC वक्र AC की तुलना में तेजी से बढ़ता है।
प्र.39 औसत आगम और सीमांत आगम में संबंध बताइए।
उत्तर: पूर्ण प्रतियोगिता में औसत आगम और सीमांत आगम के बीच संबंध
पूर्ण प्रतियोगिता में वस्तु की मांग पूर्णतया लोचदार होती है। क्योंकि पूर्ण प्रतियोगिता में फर्म कीमत प्राप्तकर्ता होती है। उद्योग द्वारा वस्तु का मूल्य निर्धारण किया जाता है और इस निर्धारित कीमत को दिया हुआ मानकर वस्तु की कितनी भी मात्रा का उत्पादन एवं विक्रय कर सकती है।
पूर्ण लोचदार मांग वाले पूर्ण प्रतियोगिता बाजार में औसत आगम एवं सीमांत आगम परस्पर बराबर होते हैं।
सूत्रानुसार: AR = MR(e/e-1)
यदि e=∞ (अनंत)
तब AR = MR
अर्थात पूर्ण प्रतियोगिता में औसत आगम तथा सीमांत आगम परस्पर बराबर होते हैं अब यह रेखा x अक्ष के समानांतर एक आड़ी रेखा के रूप में होती है।
प्र.40 सीमांत लागत तथा औसत लागत में पाये जाने वाले संबंध को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: सीमांत लागत तथा औसत लागत में निम्न संबंध है:
- आरंभ में जब औसत लागत वक्र गिरता है तब सीमांत लागत वक्र एक सीमा तक गिरता है किंतु एक अवस्था के बाद बढ़ने लगता है।
- जब औसत लागत न्यूनतम होती है तब सीमांत लागत वक्र औसत लागत वक्र को नीचे से काटता है जहां सीमांत लागत MC = औसत लागत AC होता है।
- जब औसत लागत बढ़ता है तो सीमांत लागत वक्र औसत लागत वक्र से ऊपर होता है एवं साथ ही साथ औसत लागत वक्र से तीव्र गति से बढ़ता है।

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