अर्थशास्र सम्पूर्ण हल

  • व्यष्टि
  • समष्टि
  • अर्थव्यवस्था
  • सांख्यिकी
  • MCQ
  • PAPER
  • GK
  • BOOK
NCERT Solutions: कक्षा 12 समष्टि अर्थशास्त्र | राष्ट्रीय आय लेखांकन (इकाई 2) के प्रश्न-उत्तर

कक्षा 12 समष्टि अर्थशास्त्र – इकाई 2: राष्ट्रीय आय लेखांकन (NCERT प्रश्न-उत्तर हिंदी में)

इकाई – 2: राष्ट्रीय आय लेखांकन | School Economics

प्र.1 सकल राष्ट्रीय उत्पाद से आप क्या समझते हैं? बाजार मूल्य पर

उत्तर: बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद किसी देश की अर्थव्यवस्था में एक वित्तीय वर्ष में उत्पादित अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं का बाजार मूल्य जिसमें विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय को भी शामिल किया जाता है।

प्र.2 आय का चक्रीय प्रवाह क्या है?

उत्तर: आय के चक्रीय प्रवाह से तात्पर्य उस प्रक्रिया से है जिसके अंतर्गत किसी अर्थव्यवस्था में राष्ट्रीय आय चक्राकार रूप में निरंतर एक आर्थिक क्षेत्र से दूसरे आर्थिक क्षेत्र की ओर प्रवाहित होती है।

प्र.3 सकल घरेलू आय तथा सकल राष्ट्रीय आय में अंतर लिखिए। GDP और GNP में अंतर

उत्तर:

GDP GNP
जीडीपी देश के घरेलू क्षेत्र में उत्पादित सभी अंतिम वस्तु एवं सेवाओं का मौद्रिक मूल्य होती है। जीएनपी देश में सामान्य निवासियों द्वारा उत्पादित अंतिम वस्तुओं सेवाओं का बाजार मूल्य होती है।
जीडीपी एक क्षेत्रीय घरेलू धारणा है जो देश की घरेलू सीमा तक ही सीमित है। जीएनपी एक राष्ट्रीय धारणा है जिसका संबंध देश के सामान्य निवासियों से होता है।
जीडीपी में शुद्ध विदेशी साधन आय शामिल नहीं होता। जीएनपी में शुद्ध विदेशी साधन आय शामिल होती है।
जीडीपी एक संकुचित धारणा है। जीएनपी एक विस्तृत धारणा है।

प्र.4 राष्ट्रीय आय की गणना की विधियां लिखिए। राष्ट्रीय आय की मापन की विधियां बताइए

उत्तर: राष्ट्रीय आय मापन की रीतियां निम्नलिखित हैं:

  1. उत्पाद अथवा मूल्यवृद्धि विधि
  2. आय विधि
  3. व्यय विधि

उत्पाद अथवा मूल्यवृद्धि विधि: यह वह विधि है जो एक लेखा वर्ष में देश की घरेलू सीमा के अंदर प्रत्येक उत्पादक उद्यम द्वारा उत्पादन में किए गए योगदान की गणना करके राष्ट्रीय आय को मापती है। उत्पाद मूल्य एक लेखा वर्ष के दौरान किसी फर्म द्वारा उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं का बाजार मूल्य होता है।

आय विधि: इस विधि के अंतर्गत उत्पादन के विभिन्न साधनों द्वारा उनकी सेवा के प्रतिफल के रूप में अर्जित किए जाने वाले भुगतान या साधनों की आय का योग किया जाता है। इस योग में विदेशों से अर्जित शुद्ध आय को भी जोड़ दिया जाता है।

व्यय विधि: व्यय विधि वह विधि है जिसके द्वारा एक लेखा वर्ष में बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद पर किए गए अंतिम व्यय को मापा जाता है। यह अंतिम व्यय बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद के बराबर होता है।

प्र.5 मिश्रित आय किसे कहते हैं? मिश्रित आय क्या है

उत्तर: मिश्रित आय का अर्थ: उत्पादन कार्य को संपन्न करने वाले स्व-नियोजित की मिश्रित आय में श्रमिकों की कुल आय और मध्यवर्ती उद्योगों की अर्जित आय सम्मिलित होती है। यहां आशिक रूप से श्रम आय और आंशिक रूप से पूंजी आय को शामिल किया जाता है।

उदाहरण: इसके अंतर्गत - किसान, दुकानदार, शिक्षक, लोहार, सुतार, दर्जी, डॉक्टर आदि को प्राप्त होने वाली आय को मिश्रित आय माना जाता है।

प्र.6 व्यक्तिगत आय क्या है? व्यक्तिगत आय की गणना कैसे की जाती है

उत्तर: व्यक्तिगत आय का अर्थ: व्यक्तिगत आय से आशय उस आय से है जो किसी देश में 1 वर्ष की अवधि में व्यक्तियों अथवा परिवारों द्वारा वास्तविक रूप से प्राप्त होती है।

व्यक्तिगत आय किसी राष्ट्र में एक वर्ष में प्राप्त सभी स्रोतों से आय है। जिसमें भुगतान किए गए करों को भी शामिल किया जाता है। व्यक्तिगत आय राष्ट्रीय आय के बराबर नहीं होती क्योंकि इसमें हस्तांतरित भुगतान शामिल किए जाते हैं। हस्तांतरित भुगतानों को राष्ट्रीय आय की गणना में शामिल नहीं किया जाता है।

प्र.7 व्यक्तिगत आय की गणना कैसे की जाती है?

उत्तर: व्यक्तिगत आय की गणना:

राष्ट्रीय आय में घटाई/जोड़ी जाने वाली मदें:

राष्ट्रीय आय में घटाई जाने वाली मदें: निगम आयकर, निगमों का अवितरित लाभ, सामाजिक सुरक्षा कटौतियां।

राष्ट्रीय आय में जोड़ी जाने वाली मदें: राष्ट्रीय आय में कटौतियों के घटने के बाद व्यक्तियों को हस्तांतरण भुगतान को जोड़ दिया जाता है। जैसे - पेंशन, बेरोजगारी भत्ता, छात्रवृत्ति आदि।

प्र.8 सकल घरेलू उत्पाद क्या है? GDP किसे कहते हैं? What is gross domestic product? जीडीपी क्या है? बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद क्या है? सकल घरेलू उत्पाद का अर्थ

उत्तर: सामान्यतः एक राष्ट्र में एक वित्तीय वर्ष में उत्पादित समस्त अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं का मौद्रिक मूल्य सकल घरेलू उत्पाद कहलाता है। जिसमें उपभोक्ता एवं पूंजीगत दोनों प्रकार की वस्तुएं शामिल होती हैं।

सकल घरेलू उत्पाद में मूल्य ह्रास का मूल्य भी शामिल होता है।

अन्य रूप में सकल घरेलू उत्पाद को ऐसे भी परिभाषित किया जा सकता है: एक लेखा वर्ष में किसी देश की घरेलू सीमा में सभी उत्पादकों को सामान्यतः निवासियों एवं गैर-निवासियों द्वारा जितनी भी अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन होता है उनकी बाजार कीमत के जोड़ को बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद कहां जाता है।

प्र.9 आर्थिक कल्याण किसे कहते हैं? आर्थिक कल्याण की परिभाषा दीजिए। What is economic welfare?

उत्तर: आर्थिक कल्याण का अर्थ: अर्थशास्त्र में कल्याण से तात्पर्य मनुष्य समाज को प्राप्त होने वाली उन भौतिक सुख सुविधाओं से है जिनके उपभोग से मानसिक सुख की प्राप्ति होती है।

अर्थशास्त्री पीगू ने कल्याण को दो भागों में विभाजित किया है:

  1. आर्थिक कल्याण
  2. अनार्थिक कल्याण

आर्थिक कल्याण की परिभाषा: प्रोफेसर पीगू के अनुसार: "आर्थिक कल्याण मानव कल्याण का वह अंश है जिसको मुद्रा के मापदंड द्वारा मापा जा सकता है आर्थिक कल्याण कहलाता है।"

प्र.10 मूल्य ह्रास क्या है? मूल्य ह्रास की गणना कैसे की जाती है?

उत्तर: मूल्य ह्रास का अर्थ: मूल्यह्रास उत्पादन की प्रक्रिया में मशीनों, उपकरणों, पूंजीगत परिसंपत्तियों में सामान्य टूट-फूट और कल पुर्जों के घिसने के मूल्य में कमी आ जाती है। पूंजीगत वस्तुओं के मूल्य में यह कमियां आकस्मिक रूप से दुर्घटनावस प्रचलन के कारण हो सकती हैं।

मूल्यह्रास की गणना:

शुद्ध विनियोग = कुल विनियोग - मूल्य ह्रास

शुद्ध विनियोग की गणना में मूल्य ह्रास को घटा दिया जाता है।

प्र.11 खुली अर्थव्यवस्था क्या है? खुली अर्थव्यवस्था की परिभाषा दीजिए। What is open economy

उत्तर: खुली अर्थव्यवस्था का अर्थ: खुली अर्थव्यवस्था ऐसी अर्थव्यवस्था है जिसका संबंध आर्थिक रूप से दुनिया के अन्य देशों के साथ होता है। अर्थात किसी ऐसे देश की अर्थव्यवस्था जो अन्य देशों से आयात निर्यात का लेनदेन, उपहारों का आदान-प्रदान तथा अन्य प्रकार के भुगतान को संपन्न करती है। खुली अर्थव्यवस्था कहलाती है।

वर्तमान परिदृश्य में आज विश्व में कोई भी अर्थव्यवस्था बंद नहीं है। अर्थात प्रत्येक अर्थव्यवस्था का दूसरे देशों या शेष विश्व से आर्थिक लेनदेन का संबंध है।

प्र.12 प्रति व्यक्ति आय क्या है? प्रति व्यक्ति आय की परिभाषा दीजिए

उत्तर: प्रति व्यक्ति आय एक देश की प्रति व्यक्ति औसत आय होती है। जब किसी देश की कुल राष्ट्रीय आय में वहां की जनसंख्या का भाग दे दिया जाता है तो उस देश की प्रति व्यक्ति आय ज्ञात हो जाती है।

आर्थिक विकास के मापदंडों के रूप में अर्थशास्त्री प्रति व्यक्ति आय का प्रयोग करते हैं।

प्र.13 प्रति व्यक्ति आय कैसे ज्ञात की जाती है?

उत्तर: प्रति व्यक्ति आय जानने का सूत्र: प्रति व्यक्ति आय = (कुल राष्ट्रीय आय)/(देश की कुल जनसंख्या)

प्र.14 राष्ट्रीय आय का अर्थ लिखिए। राष्ट्रीय आय की परिभाषा दीजिए। राष्ट्रीय आय क्या है

उत्तर: राष्ट्रीय आय का अर्थ: राष्ट्रीय आय किसी राष्ट्र की सामान्यतः एक वित्तीय वर्ष में उत्पादित समस्त अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं का मौद्रिक मूल्य है। जिसमें वस्तुओं सेवाओं के प्रयोग में लाई गई मशीनों का मूल्य ह्रास घटा दिया जाता है। जबकि विदेशों से प्राप्त शुद्ध आय को जोड़ दिया जाता है।

राष्ट्रीय आय की परिभाषा:

प्रोफेसर मार्शल के अनुसार: "किसी देश में पूंजी और श्रम मिलकर प्राकृतिक साधनों पर कार्य करके प्रति वर्ष कुछ भौतिक तथा भौतिक वस्तुएं उत्पन्न करते हैं, जिनमें सभी प्रकार की सेवाएं सम्मिलित हैं। इन सब वास्तविक उत्पादन का योग उस देश की शुद्ध राष्ट्रीय आय कहलाती है।"

प्रोफेसर पीगू के अनुसार: "राष्ट्रीय आय किसी देश की वास्तविक आय का वह भाग है, जिसे मुद्रा में मापा जा सकता है। इसमें विदेशों से प्राप्त आय भी शामिल रहती है।"

प्र.15 दोहरी गणना क्या है? उदाहरण सहित समझाइए। दोहरी गणना से कैसे बचा जा सकता है? दोहरी गणना की समस्या क्या है?

उत्तर: दोहरी गणना का अर्थ: राष्ट्रीय आय के मापन में किसी वस्तु या सेवा का मूल्य एक से अधिक बार शामिल करना दोहरी गणना कहलाता है।

राष्ट्रीय आय के आकलन में एक वस्तु के मूल्य की गणना जब एक बार से अधिक होती है तो उसे दोहरी गणना कहते हैं। इसके फलस्वरूप राष्ट्रीय उत्पाद में अनावश्यक रूप से वृद्धि हो जाती है।

दोहरी गणना को उदाहरण सहित समझाइए: एक किसान गेहूं का उत्पादन करता है तथा उसे एक आटा मिल को भेजता है। किसान के लिए गेहूं की बिक्री अंतिम है। किसान गेहूं बेचकर ₹5000 प्राप्त करता है। उसका गेहूं के उत्पादन पर कोई खर्च नहीं होता। इस प्रकार किसान का ₹5000 के बराबर मूल्य वृद्धि में योगदान किया। लेकिन आटा बनाने वाली मिल के लिए गेहूं एक मध्यवर्ती वस्तु है। आटा मिल गेहूं को मैदा में बदलकर बेकरी वाले को 8000 में बेचती है। आटा मिल के लिए मैदा अंतिम वस्तु है। लेकिन बेकरी वाले के लिए वह मध्यवर्ती वस्तु है। बेकरी वाला डबल रोटी बनाकर दुकानदार को 10,500 में बेचता है। बेकरी वाले के लिए डबल रोटी अंतिम वस्तु है लेकिन दुकानदार के लिए मध्यवर्ती वस्तु है। दुकानदार ने डबल रोटी को उपभोक्ताओं को 12000 में बेचा।

उत्पादन का मूल्य = 5000₹ + 8000₹ + 10500₹ + 12000₹ = 35000 कुल मूल्य।

दिए गए उदाहरण में गणना में प्रत्येक स्तर पर पिछली मूल्य वृद्धि को शामिल किया है। मैदे के मूल्य में गेहूं का मूल्य, डबल रोटी के मूल्य में गेहूं का मूल्य तथा आटा मिल की सेवा मूल्य शामिल है। अंत में दुकानदार के द्वारा बेची गई डबल रोटी के मूल्य में गेहूं का मूल्य, आटे मिल और बेकरी वालों की सेवाओं का मूल्य शामिल है। इस प्रकार गेहूं का मूल्य चार बार जोड़ा गया है। आटा मिल की सेवा को तीन बार, बेकरी की सेवा को दो बार गणना में शामिल किया गया।

अतः एक ही वस्तु के मूल्य की गणना कई बार हो रही है, जो राष्ट्रीय उत्पाद में अत्यधिक वृद्धि कर देगी जो सही नहीं है।

प्र.16 राष्ट्रीय आय में दोहरी गणना को रोकने के उपाय बताइए। दोहरी गणना की समस्या से कैसे बचा जाए।

उत्तर:

  • राष्ट्रीय आय में दोहरी गणना से बचने के लिए वस्तुओं एवं सेवाओं का अंतिम मौद्रिक मूल्य शामिल किया जाए।
  • अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न राष्ट्रीय आय मापन की विधियों का प्रयोग किया जाए।
  • दोहरी गणना से बचने के लिए अंतिम उत्पाद विधि एवं मूल्य वृद्धि विधि दोनों का प्रयोग किया गया।
  • मध्यवर्ती वस्तुओं के मूल्यों को मूल्यवृद्धि में शामिल नहीं करना चाहिए।
  • पुरानी वस्तुओं के क्रय विक्रय को गणना में शामिल नहीं करना चाहिए।

प्र.17 किसी देश के कल्याण के निर्देशांक के रूप में सकल घरेलू उत्पाद की कुछ सीमाओं को लिखिए।

उत्तर: किसी देश के आर्थिक कल्याण के सूचक के रूप में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के कुछ व्यवहारिक सीमाएं हैं जो निम्नलिखित हैं:

  1. जीडीपी में वृद्धि किसी भी देश के जीवन स्तर में वृद्धि को अनिवार्य रूप से प्रदर्शित नहीं करती। जनसंख्या में तीव्र वृद्धि से आर्थिक कल्याण कमतर रहेगा।
  2. जीडीपी में वृद्धि के दौरान कुछ ही लोगों की आय बढ़ रही हो तो यह आर्थिक कल्याण को ठीक से माप नहीं करती।
  3. वस्तु विनिमय का आकलन मुद्रा अर्थव्यवस्था में नहीं हो पाता जिससे जीडीपी का सही से माप नहीं हो पाता।
  4. जीडीपी की माप में अन्य घटकों जैसे: प्रदूषण, खनिज पदार्थों का अत्यधिक दोहन आदि का आकलन नहीं हो पाता।

प्र.18 व्यय योग्य वैयक्तिक आय क्या है?

उत्तर: वैयक्तिक आय = राष्ट्रीय आय - निगम कर - अवितरित व्यवसायिक लाभ - सामाजिक सुरक्षा अंशदान + अंतरंण भुगतान

प्र.19 प्रति व्यक्ति आय से आप क्या समझते हैं?

उत्तर: प्रति व्यक्ति आय किसी राष्ट्र की औसत आय होती है अर्थात उस राष्ट्र की कुल आय में जनसंख्या का भाग देने पर उस राष्ट्र की प्रति व्यक्ति आय प्राप्त हो जाती है।

उदाहरण के लिए भारत की 2011 में कुल राष्ट्रीय आय साठ लाख करोड़ रुपए थी तथा जनसंख्या 120 करोड़ थी जिससे प्रति व्यक्ति आय ₹50000 होगी।

प्र.20 साधन आय से क्या आशय है? घरेलू आय में क्या शामिल नहीं होता?

उत्तर: जब किसी साधन को उसकी सेवाओं के प्रतिफल में कोई पारितोषिक मिलता है तो साधन आय कहते हैं। यह एक प्रकार की अर्जित आय है।

प्र.21 बाजार मूल्य पर सकल घरेलू उत्पाद का क्या अर्थ है?

उत्तर: एक देश की घरेलू सीमा में उत्पादित समस्त अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के बाजार मूल्य को सकल घरेलू उत्पाद कहते हैं।

प्र.22 बाजार मूल्य पर शुद्ध घरेलू उत्पाद का क्या अर्थ है? या शुद्ध घरेलू उत्पाद का क्या अर्थ है?

उत्तर: बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद में से यदि हम मूल्य ह्रास घटा दें तो हमें बाजार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद प्राप्त हो जाएगा।

NDPmp = GDPmp - मूल्य ह्रास

प्र.23 बाजार मूल्य पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद का क्या अर्थ है?

उत्तर: बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद से तात्पर्य एक अर्थव्यवस्था में एक लेखा वर्ष में उत्पादित समस्त अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के मौद्रिक मूल्य के योग से है। जिसमें विदेशों से शुद्ध अर्जित आय भी सम्मिलित रहती है।

GNPmp = GDPmp + विदेशों से शुद्ध आय

प्र.24 बाजार मूल्य पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद का क्या अर्थ है?

उत्तर: बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद ज्ञात करने के लिए बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद GNPmp में से मूल्यह्रास घटाया जाता है।

NNPmp = GNPmp - मूल्यह्रास

प्र.25 साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद या सकल राष्ट्रीय आय का क्या अर्थ है?

उत्तर: साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद याद करने के लिए किसी देश के सामान्य निवासियों द्वारा 1 वर्ष में साधन लागत पर की गई सकल मूल्य वृद्धि तथा विदेशों से शुद्ध साधन आय को जोड़ा जाता है।

GNPfc = GDPfc + विदेशी शुद्ध साधन आय

प्र.26 साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद का क्या अर्थ है? या राष्ट्रीय आय

उत्तर: राष्ट्रीय आय एक देश के सामान्य निवासियों द्वारा देश की घरेलू सीमा तथा शेष विश्व से 1 वर्ष में मजदूरी, लगान, ब्याज तथा लाभ के रूप में अर्जित साधन आय है। यह घरेलू साधन आय और विदेशों से अर्जित शुद्ध साधन आय का योग है।

NNPfc or NI = NDPfc + विदेशी शुद्ध साधन आय

प्र.27 साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद या शुद्ध घरेलू आय ज्ञात कीजिए।

उत्तर: साधन लागत से आशय उत्पादन के साधनों को प्राप्त होने वाली आय से है। यह आय किसी देश की घरेलू सीमा में सभी उत्पादकों द्वारा एक लेखा वर्ष में मजदूरी, लगान, ब्याज तथा लाभ के रूप में अर्जित साधन आय का जोड़ है।

NDPfc = NDPmp - अप्रत्यक्ष कर + आर्थिक सहायता

प्र.28 साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद या सकल घरेलू आय कैसे ज्ञात की जाती है?

उत्तर: साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद में यदि हम मूल्य ह्रास को जोड़ दें तो हमें साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद ज्ञात हो जाएगा।

GDPfc = NDPfc + मूल्य ह्रास

प्र.29 राष्ट्रीय प्रयोज्य आय क्या है?

उत्तर: राष्ट्रीय प्रयोज्य आय = राष्ट्रीय आय (साधन लागत पर शुद्ध घरेलू आय + विदेशों से शुद्ध साधन आय) + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + शेष विश्व से शुद्ध चालू हस्तांतरण

प्र.30 नाममात्र की सकल घरेलू उत्पाद का क्या अर्थ है?

उत्तर: नाममात्र के सकल घरेलू उत्पाद से तात्पर्य चालू मूल्यों पर सकल घरेलू उत्पाद से लिया जाता है।

प्र.31 वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद का क्या आशय है?

उत्तर: वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद को स्थिर मूल्यों पर सकल घरेलू उत्पाद भी कहते हैं।

प्र.32 मूल्य वृद्धि रीति से राष्ट्रीय आय की गणना का क्या आशय है?

उत्तर: उत्पाद अथवा मूल्यवृद्धि विधि – यह वह विधि है जो एक लेखा वर्ष में देश की घरेलू सीमा के अंदर प्रत्येक उत्पादक उद्यम द्वारा उत्पादन में किए गए योगदान की गणना करके राष्ट्रीय आय को मापती है।

उत्पाद मूल्य एक लेखा वर्ष के दौरान किसी फर्म द्वारा उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं का बाजार मूल्य होता है।

प्र.33 राष्ट्रीय आय की गणना की आय रीति क्या है?

उत्तर: आय विधि - इस विधि के अंतर्गत उत्पादन के विभिन्न साधनों द्वारा उनकी सेवा के प्रतिफल के रूप में अर्जित किए जाने वाले भुगतान या साधनों की आय का योग किया जाता है। इस योग में विदेशों से अर्जित शुद्ध आय को भी जोड़ दिया जाता है।

प्र.34 व्यय रीति से राष्ट्रीय आय की गणना से आप क्या समझते हैं?

उत्तर: व्यय विधि वह विधि है जिसके द्वारा एक लेखा वर्ष में बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद पर किए गए अंतिम व्यय को मापा जाता है। यह अंतिम व्यय बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद के बराबर होता है।

प्र.35 सकल घरेलू उत्पाद GDP तथा सकल राष्ट्रीय उत्पाद NDP में अंतर कीजिए।

उत्तर:

सकल घरेलू उत्पाद GDP सकल राष्ट्रीय उत्पाद NDP
सकल घरेलू उत्पाद GDP देश के घरेलू क्षेत्र में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं के मौद्रिक मूल्य को बताता है। सकल राष्ट्रीय उत्पाद GNP देश में सामान्य निवासियों द्वारा उत्पादित अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं का बाजारी मूल्य होता है।
सकल घरेलू उत्पाद GDP एक क्षेत्रीय घरेलू धारणा है जो देश के घरेलू क्षेत्र तक सीमित होती है। सकल राष्ट्रीय उत्पाद GNP एक राष्ट्रीय धारणा है जिसका संबंध देश के सामान्य निवासियों के साथ होता है।
सकल घरेलू उत्पाद GDP = शुद्ध घरेलू उत्पाद GNP - शुद्ध विदेशी साधन आय अर्थात इस धारणा में शुद्ध विदेशी साधन आय शामिल नहीं होती। सकल राष्ट्रीय उत्पाद GNP = सकल घरेलू उत्पाद GDP + शुद्ध विदेशी साधन आय अर्थात इस धारणा में शुद्ध विदेशी साधन आय शामिल होती है।
सकल घरेलू उत्पाद GDP एक संकुचित धारणा है जो केवल घरेलू क्षेत्र तक सीमित होती है। सकल राष्ट्रीय उत्पाद GNP एक विस्तृत धारणा है क्योंकि इसमें विदेशी साधन आय सम्मिलित होती है।

प्र.36 हरित GNP क्या है? Green GNP

उत्तर: हरित GNP स्थाई आर्थिक वृद्धि (sustainable economic growth) को सूचित करता है। स्थिर आधार वर्ष का जीएनपी GNP उत्पादन के दौरान देश में होने वाले पर्यावरणीय प्रदूषण एवं प्राकृतिक संसाधनों के नष्ट होने की प्रक्रिया को अपनी गणना में सम्मिलित नहीं करता।

बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण एवं प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक विदोहन के साथ जीएनपी में होने वाली वृद्धि को स्थाई आर्थिक विकास की श्रेणी में नहीं माना जा सकता। अतः हरित जीएनपी उस जीएनपी को सूचित करता है जो देश में प्राकृतिक संसाधनों के उचित स्थाई प्रयोग एवं पर्यावरण प्रदूषण पर नियंत्रण करने में सहायता देता है।

कुछ विशिष्ट प्राचलों (parameters) जिसे प्राकृतिक साधनों के अत्यधिक प्रयोग एवं पर्यावरण प्रदूषण के साथ किया गया जीएनपी आकलन हरित जीएनपी कहलाता है।

प्र.37 राष्ट्रीय आय का महत्व लिखिए।

उत्तर: राष्ट्रीय आय का महत्व निम्नलिखित है:

  1. तुलनात्मक अध्ययन में सुविधा: विभिन्न देशों के राष्ट्रीय आय के आंकड़े उनकी प्रगति का तुलनात्मक अध्ययन किया जा सकता है।
  2. करारोपण में सहायक: राष्ट्रीय आय के आधार पर कर नीति का निर्धारण किया जाता है। राष्ट्रीय आय के द्वारा लोगों की कर देय क्षमता का पता लगाया जा सकता है तथा कर की राशि को घटाया जा सकता है।
  3. नियोजन में सहायक: राष्ट्रीय आय के आंकड़ों के आधार पर ही उत्पादन और उपभोग बचत तथा विनियोग संबंधी आर्थिक योजनाएं बनाई जा सकती हैं।
  4. व्यवसायिक संतुलन: राष्ट्रीय आय द्वारा विभिन्न व्यवसायों का विकास संतुलन तथा उन पर निर्भरता का पता लगाया जा सकता है।
  5. राष्ट्रीय कल्याण का मापदंड: राष्ट्रीय आय राष्ट्रीय कल्याण के मापदंड के रूप में भी काम करती है।
  6. नीति निर्धारण में सहायक: राष्ट्रीय आय से संबंधित आंकड़े उद्योग नीति, आयात निर्यात नीति, प्रशुल्क नीति, मजदूरी नीति आदि के निर्माण में सहायक हैं।
  7. जीवन स्तर का ज्ञान: देश की राष्ट्रीय आय आधार पर लोगों के जीवन स्तर की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

Post a Comment

और नया पुराने
click
в