NCERT Solutions: कक्षा 12 समष्टि अर्थशास्त्र | परिचय (इकाई 1) के सभी प्रश्न-उत्तर
इकाई – 1: परिचय | School Economics
प्र.1 समष्टि अर्थशास्त्र का क्या आशय है?
उत्तर: समष्टि अर्थशास्त्र, अर्थशास्त्र के आर्थिक विश्लेषण की वह शाखा है, जिसमें अर्थव्यवस्था के बड़े भागों का अध्ययन किया जाता है। अर्थात इसके अंतर्गत ऐसे विशाल समूह का अध्ययन किया जाता है जो संपूर्ण अर्थव्यवस्था को प्रदर्शित करते हैं जैसे कुल रोजगार, कुल आय, कुल उत्पादन, कुल विनियोग, कुल बचत, कुल उपभोग, कुल पूर्ति, कुल मांग, सामान्य कीमत स्तर इत्यादि।
प्र.2 समष्टि अर्थशास्त्र की परिभाषा लिखिए।
उत्तर: प्रोफेसर बोल्डिंग के अनुसार: "व्यापक अर्थशास्त्र व्यक्तिगत मात्राओं का अध्ययन नहीं करता बल्कि इन मात्राओं के समूह का अध्ययन करता है, व्यक्तिगत आयों का नहीं अपितु राष्ट्रीय आय का; व्यक्तिगत कीमतों का नहीं बल्कि सामान्य कीमत स्तर का; व्यक्तिगत उत्पादन का नहीं बल्कि राष्ट्रीय उत्पादन का।"
प्र.3 समष्टि अर्थशास्त्र में किन मुद्दों का विवेचन किया जाता है?
उत्तर: समष्टि अर्थशास्त्र में अर्थव्यवस्था के बड़े भागों का अध्ययन किया जाता है। अर्थात इसके अंतर्गत ऐसे विशाल समूह का अध्ययन किया जाता है जो संपूर्ण अर्थव्यवस्था को प्रदर्शित करते हैं जैसे कुल रोजगार, कुल आय, कुल उत्पादन, कुल विनियोग, कुल बचत, कुल उपभोग, कुल पूर्ति, कुल मांग, सामान्य कीमत स्तर, सामूहिक मांग और सामूहिक पूर्ति, राष्ट्रीय आय, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, बचत, विदेशी विनिमय भुगतान आदि के विस्तृत अध्ययन में सहायक।
प्र.4 पूंजीगत वस्तुएं क्या होती हैं?
उत्तर: पूंजीगत वस्तुओं से आशय स्थाई संपत्तियों से है जैसे यंत्र एवं मशीनरी आदि जिनका उपयोग उत्पादक उत्पादन प्रक्रिया के लिए बार-बार वर्षों तक करता रहता है। पूंजीगत वस्तुएं सदैव ऊंचे मूल्य वाली होती हैं।
प्र.5 उपभोक्ता वस्तुओं से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: उपभोक्ता वस्तुएं उन वस्तुओं को कहते हैं जिनका मानवीय आवश्यकता की संतुष्टि के लिए सीधा उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए रेडियो, टेलीविजन, मोबाइल, स्कूटर, वाशिंग मशीन, कपड़े, फर्नीचर, दूध, ब्रेड आदि।
प्र.6 अंतिम वस्तुओं का क्या आशय है?
उत्तर: अंतिम वस्तुओं का अभिप्राय उन वस्तुओं से है जिनका प्रयोग उपभोक्ता द्वारा होता है और उन्हें फर्मों द्वारा उत्पादन प्रक्रिया में कच्चे माल अर्थात आगत के रूप में प्रयोग नहीं किया जाता बल्कि प्रत्यक्ष रूप में घरेलू क्षेत्र में उपयोग किया जाता है। राष्ट्रीय आय की गणना में अंतिम वस्तुओं की गणना ही शामिल की जाती है।
प्र.7 मध्यवर्ती वस्तुओं का क्या आशय है?
उत्तर: मध्यवर्ती वस्तु एक फर्म का ऐसा उत्पाद है जिसे दूसरी वस्तु की उत्पादन प्रक्रिया में कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाता है। ऐसी वस्तुओं को राष्ट्रीय आय की गणना में सम्मिलित नहीं किया जाता।
प्र.8 स्टॉक चर से क्या है? स्टॉक चर की परिभाषा दीजिए। स्टॉक चर का उदाहरण बताइए।
उत्तर:
स्टॉक चर का अर्थ: स्टॉक चर का अर्थ किसी एक विशेष समय बिंदु पर मापी जाने वाली आर्थिक चर की मात्रा है।
- स्टॉक का कोई समय परिमाप नहीं होता।
- स्टॉक एक स्थैतिक अवधारणा है।
- अर्थशास्त्र की कुछ अवधारणाओं का स्टॉक से संबंधित पहलू नहीं होता जैसे- आयात निर्यात।
स्टॉक की परिभाषा: प्रोफेसर शपीरो के अनुसार: "स्टॉक वह मात्रा है जिसकी माप समय के निर्दिष्ट बिंदु पर की जाती है।"
स्टॉक चर का उदाहरण: मुद्रा की मात्रा, श्रम बल, देश की जनसंख्या, गोदाम में रखा गया गेहूं आदि।
प्र.9 प्रवाह चर किसे कहते हैं? प्रवाह चर की परिभाषा दीजिए। प्रवाह चर का उदाहरण बताएं।
उत्तर:
प्रवाह चर का अर्थ: प्रवाह का अर्थ एक आर्थिक चर की वह मात्रा है जिसे किसी समय अवधि के दौरान मापा जाता है।
- प्रवाह का समय परिमाप होता है जैसे प्रति घंटा, प्रतिदिन, प्रति माह, प्रति वर्ष आदि।
- प्रवाह एक गत्यात्मक अवधारणा है।
- आयात निर्यात को केवल प्रवाह अवधारणाओं के रूप में ही प्रयोग किया जाता है।
प्रवाह चर की परिभाषा: प्रोफेसर शपीरो के अनुसार: "प्रवाह वह मात्रा है जो कि केवल समय के एक निर्दिष्ट काल में मापी जा सकती है।"
प्रवाह चर का उदाहरण: नदी का जल, चलती गाड़ी की गति, पानी की टंकी से रिसाव, गेहूं का विक्रय आदि।
प्र.10 मौद्रिक प्रवाह किसे कहते हैं?
उत्तर: मौद्रिक प्रवाह का आशय उत्पादक फर्मों से ग्राहकों को साधन की सेवा के बदले किए जाने वाले भुगतान से है तथा उपभोग व्यय के रूप में ग्राहकों से उत्पादक फर्मों को वस्तुओं तथा सेवाओं के बदले किए जाने वाले भुगतान से है। अर्थात उत्पादकों से गृहस्थों, और गृहस्थों से उत्पादकों को होने वाला भुगतान मौद्रिक प्रवाह है।
प्र.11 भौतिक प्रवाह क्या होता है? या वास्तविक प्रवाह से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: भौतिक प्रवाह या वास्तविक प्रवाह से आशय साधनों की सेवाओं का गृहस्थों की ओर से उत्पादक फर्मों की ओर जाना तथा माल तथा सेवाओं का प्रवाह उत्पादक फर्मों से गृहस्थों की ओर आना उसे भौतिक या वास्तविक प्रवाह कहा जाता है।
प्र.12 सकल विनियोग किसे कहते हैं?
उत्तर: सकल विनियोग से आशय वर्ष में स्थाई संपत्तियों के क्रय तथा स्टॉक पर किया गया व्यय है। इनमें उन संपत्तियों के क्रय की राशि भी शामिल है जो नष्ट हुई या प्रयोग से बाहर हुई संपत्तियों के स्थान पर खरीदी गई हैं। ह्रास के कारण स्थाई संपत्ति का प्रतिस्थापन भी सकल विनियोग का ही एक अंग है।
प्र.13 शुद्ध विनियोग का अर्थ क्या है?
उत्तर: शुद्ध विनियोग से तात्पर्य स्थाई संपत्ति में अगर कोई ह्रास या घिसावट के कारण प्रतिस्थापन व्यय होता है तो उसे सकल विनियोग से घटा देने पर शेष बची हुई राशि शुद्ध विनियोग कहलाती है। शुद्ध विनियोग पूंजी के स्टॉक में वृद्धि करता है।
शुद्ध विनियोग = सकल विनियोग - ह्रास
प्र.14 ह्रास किसे कहते हैं? ह्रास या घिसावट व्यय क्या है?
उत्तर: उत्पादन प्रक्रिया के दौरान स्थाई परिसंपत्तियों में होने वाली टूट-फूट या घिसावट आदि मूल्य ह्रास कहलाती है। यह सामान्य टूट-फूट या दुर्घटनाजन्य हो सकती है।
प्र.15 सकल विनियोग तथा शुद्ध विनियोग में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: फर्म अथवा अर्थव्यवस्था द्वारा उत्पादकीय उपकरणों पर किया गया कुल व्यय सकल विनियोग को बताता है। यदि हम सकल विनियोग में से गिरावट अथवा मूल्य ह्रास घटा दें तो हमें शुद्ध विनियोग प्राप्त होता है। सकल विनियोग कभी भी ऋणात्मक नहीं होता।
सकल विनियोग = शुद्ध विनियोग + ह्रास
शुद्ध विनियोग = सकल विनियोग - ह्रास
प्र.16 समष्टि अर्थशास्त्र का क्या महत्व है? लिखिए।
उत्तर: समष्टि अर्थशास्त्र का महत्व निम्नलिखित हैं:
- संपूर्ण अर्थव्यवस्था के अध्ययन में सहायक।
- आर्थिक नीतियों के निर्माण में सहायक।
- आर्थिक विकास का अध्ययन।
- मौद्रिक समस्याओं जैसे मुद्रा प्रसार एवं मुद्रा संकुचन का अध्ययन एवं विश्लेषण।
- योजनाओं के निर्माण में सहायक।
- सामूहिक व्यवहारों का मूल्यांकन संभव।
- साधनों के वितरण में महत्व।
- व्यष्टि अर्थशास्त्र के विकास में सहायक।
- आर्थिक समस्याओं जैसे गरीबी, बेरोजगारी आदि के समाधान में सहायक।
- सामूहिक मांग और सामूहिक पूर्ति, कीमत स्तर, राष्ट्रीय आय, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, बचत, विदेशी विनिमय भुगतान आदि के विस्तृत अध्ययन में सहायक।
प्र.17 समष्टि अर्थशास्त्र की सीमाओं को समझाइए।
उत्तर:
- निष्कर्ष व्यावहारिक नहीं होते: समष्टि अर्थशास्त्र के द्वारा प्राप्त निष्कर्ष प्रायः व्यवहारिक नहीं होते।
- व्यक्तिगत इकाइयों की उपेक्षा: समष्टि अर्थशास्त्र अपने विश्लेषण में व्यक्तिगत इकाइयों की उपेक्षा करता है।
- समूह की संरचना पर बल नहीं: समष्टि अर्थशास्त्र छोटी-छोटी इकाइयों की बनावट और संरचना की उपेक्षा करता है।
- सही प्रतिनिधित्व नहीं: सामूहिक मात्राएं व्यक्तिगत मात्राओं का सही प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं।
प्र.18 समष्टि अर्थशास्त्र की विशेषताएं लिखिए।
उत्तर:
- व्यापक दृष्टिकोण: समष्टि अर्थशास्त्र में राष्ट्रीय और विश्व स्तरीय आर्थिक समस्याओं का हल ढूंढा जाता है, सूक्ष्म इकाइयों का नहीं।
- गतिशील अर्थव्यवस्था को महत्व: समष्टि अर्थशास्त्र गतिशील अर्थव्यवस्था को अधिक महत्व प्रदान करता है।
- व्यापक विश्लेषण: समष्टि अर्थशास्त्र में व्यापक विश्लेषण पर विशेष बल दिया जाता है। इसमें सरकार के मौद्रिक एवं राजकोषीय नीतियों के प्रभाव की विवेचना की जाती है।
- सामूहिक हितों पर बल: समष्टि अर्थशास्त्र में व्यक्ति की अपेक्षा समूह पर अधिक ध्यान दिया जाता है।
- परस्पर निर्भरता: व्यष्टि अर्थशास्त्र और समष्टि अर्थशास्त्र में परस्पर निर्भरता है।
प्र.19 उपभोक्ता वस्तुओं तथा पूंजीगत वस्तुओं में क्या अंतर है? समझाइए।
उत्तर:
| उपभोक्ता वस्तुएं | पूंजीगत वस्तुएं |
|---|---|
| उपभोक्ता वस्तुएं उन वस्तुओं को कहते हैं जिनका मानवीय आवश्यकता की संतुष्टि के लिए सीधा उपयोग किया जाता है। | पूंजीगत वस्तुओं से आशय स्थाई संपत्तियों से है जैसे यंत्र एवं मशीनरी आदि जिनका उपयोग उत्पादक उत्पादन प्रक्रिया के लिए बार-बार वर्षों तक करता रहता है। |
| उदाहरण: रेडियो, टेलीविजन, मोबाइल, स्कूटर, वाशिंग मशीन, कपड़े, फर्नीचर, दूध, ब्रेड आदि। | उदाहरण: यंत्र, मशीनरी आदि। |
| इनका उपयोग प्रत्यक्ष उपभोग के लिए होता है। | ये उत्पादन प्रक्रिया में उपयोग की जाती हैं। |
| ये सामान्यतः कम मूल्य वाली हो सकती हैं। | ये सदैव ऊंचे मूल्य वाली होती हैं। |
प्र.20 अर्थव्यवस्था के चार क्षेत्र क्या हैं? अंतर क्षेत्रीय प्रवाह को समझाइए।
उत्तर:
अर्थव्यवस्था के चार क्षेत्र:
- गृहस्थ क्षेत्र: वस्तुओं तथा सेवाओं के उपभोक्ताओं को इस क्षेत्र में शामिल किया जाता है। इसे उत्पत्ति के साधनों के स्वामी भी कहते हैं। माल तथा सेवा की पूर्ति इनके द्वारा उत्पादकों को की जाती है।
- उत्पादक क्षेत्र: अर्थव्यवस्था में सभी उत्पादक इकाइयां तथा फर्में इस क्षेत्र में शामिल हैं। उत्पत्ति के साधनों या उत्पादन हेतु यह गृहस्थ क्षेत्र पर निर्भर है।
- सरकारी क्षेत्र: कल्याणकारी एजेंसी के रूप में तथा उत्पादक के रूप में भी सरकार शामिल होती है तथा कर तथा गैर-कर आगम के लिए सरकारी क्षेत्र उत्पादकों और गृहस्थों पर निर्भर करता है।
- शेष विश्व क्षेत्र: इस क्षेत्र में वस्तुओं तथा सेवाओं के निर्यात-आयात पर घरेलू क्षेत्र एवं शेष विश्व के बीच पूंजी के प्रवाह से संबंधित गतिविधियों को शामिल किया जाता है।
प्र.21 स्टॉक चर एवं प्रवाह चर में अंतर बताइए।
उत्तर:
| स्टॉक चर | प्रवाह चर |
|---|---|
| स्टॉक का अर्थ किसी एक विशेष समय बिंदु पर मापी जाने वाली आर्थिक चर की मात्रा है। | प्रवाह का अर्थ एक आर्थिक चर की वह मात्रा है जिसे किसी समय अवधि के दौरान मापा जाता है। |
| स्टॉक का कोई समय परिमाप नहीं होता। | प्रवाह का समय परिमाप होता है जैसे प्रति घंटा, प्रतिदिन, प्रति माह, प्रति वर्ष आदि। |
| स्टॉक एक स्थैतिक अवधारणा है। | प्रवाह एक गत्यात्मक अवधारणा है। |
| अर्थशास्त्र की कुछ अवधारणाओं का स्टॉक से संबंधित पहलू नहीं होता जैसे- आयात निर्यात। | आयात निर्यात को केवल प्रवाह अवधारणाओं के रूप में ही प्रयोग किया जाता है। |

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