NCERT Solutions: कक्षा 12 व्यष्टि अर्थशास्त्र | इकाई 5: बाजार संतुलन (प्रश्न-उत्तर हिंदी में)
इकाई – 5: बाजार संतुलन | School Economics
प्र.1 अधिपूर्ति किसे कहते हैं?
उत्तर: अधिपूर्ति से तात्पर्य यदि किसी कीमत विशेष पर बाजार पूर्ति उसकी बाजार मांग से अधिक है, तो उसे उस कीमत पर बाजार में अधिपूर्ति कहा जाता है।
प्र.2 अधिमांग से क्या आशय है?
उत्तर: अधिमांग से तात्पर्य वस्तु की मांग का उसकी पूर्ति से अधिक होना ही अधिमांग कहलाता है। यदि वस्तु की विशेष कीमत पर बाजार मांग उसकी बाजार पूर्ति से अधिक है तो उसे कीमत या बाजार में अधिमांग कहते हैं।
प्र.3 ब्याज क्या है? ब्याज दर क्या है?
उत्तर: उत्पादन के साधन के रूप में पूंजी को प्राप्त पारितोषिक आय ब्याज कहलाती है। अर्थात बाजार में पूंजी के लिए मांग एवं पूर्ति संतुलित द्वारा निर्धारित कीमत ब्याज कहलाती है।
प्र.4 लगान क्या है?
उत्तर: उत्पादन के साधन के रूप में भूमि को भी शामिल किया जाता है। और भूमि को उसके पारितोषिक के रूप में जो आय प्राप्त होती है उसे लगान कहा जाता है।
आधुनिक अर्थशास्त्रियों ने लगान के सिद्धांतों में लगान उत्पन्न होने का कारण साधन की विशिष्टता अथवा साधन की पूर्ति लोच को बताया है। आधुनिक अर्थशास्त्र के अनुसार साधन की पूर्ति लोच लगान निर्धारित करती हैं।
प्र.5 लाभ दर का निर्धारण कैसे होता है?
उत्तर: लाभ दर का निर्धारण साहसियों की मांग एवं पूर्ति द्वारा निर्धारित होता है। अर्थात साधन बाजार में साहसियों की मांग और पूर्ति के साम्य या संतुलन द्वारा लाभ दर का निर्धारण होता है।
प्र.6 ब्याज दर कैसे निर्धारित होती है?
उत्तर: ब्याज दर का निर्धारण पूंजी की मांग एवं पूर्ति द्वारा संतुलित बिंदु पर होता है। अर्थात बाजार में पूंजी के ब्याज का निर्धारण पूंजी की मांग एवं पूर्ति की शक्तियों के साम्य बिंदु पर निर्धारित होता है।
प्र.7 व्युत्पन्न मांग किसे कहते हैं?
उत्तर: एक साधन की मांग व्युत्पन्न मांग होती है। अर्थात साधन विशेष की मांग उसके द्वारा उत्पादित वस्तु की मांग पर निर्भर करती है। अर्थात वस्तु की मांग अधिक होने पर साधन की मांग भी अधिक होगी।
प्र.8 वस्तु की पूर्ति किसके द्वारा की जाती है?
उत्तर: वस्तु की पूर्ति उत्पादक या विक्रेता द्वारा की जाती है। विक्रेता वस्तु विशेष की प्रकृति एवं मूल्य तथा मांग के अनुसार वस्तु की पूर्ति करता है।
प्र.9 श्रम बाजार में मजदूरी का निर्धारण कहां होता है?
उत्तर: श्रम बाजार में मजदूरी का निर्धारण श्रम की मांग एवं पूर्ति की शक्तियों द्वारा संतुलन बिंदु पर किया जाता है। अर्थात जहां मांग एवं पूर्ति बराबर होती है वहीं पर मजदूरी दर का निर्धारण होता है।
प्र.10 बाजार संतुलन से क्या आशय है?
उत्तर: बाजार संतुलन से तात्पर्य वस्तु की मांग एवं पूर्ति की शक्तियों द्वारा वस्तु का मूल्य निर्धारण बाजार संतुलन कहलाता है क्योंकि वस्तु की मांग और पूर्ति वस्तु के मूल्य से प्रभावित होती है।
प्र.11 वस्तुओं की मांग किसके द्वारा की जाती है?
उत्तर: वस्तुओं की मांग आवश्यकता अनुसार उपभोक्ताओं द्वारा की जाती है। वस्तुओं में उपयोगिता का गुण होने से उपभोक्ता को वस्तु के प्रयोग से संतुष्टि प्राप्त होती है। अतः उपभोक्ता इन वस्तुओं को प्राप्त करने के लिए इन वस्तुओं से प्राप्त उपयोगिता एवं इनकी कीमतों की तुलना करके उनकी मांग करता है।
प्र.12 उच्चतम निर्धारित कीमत किसे कहते हैं? या कीमत उच्चतम सीमा (Price Ceiling Limit)
उत्तर: किसी वस्तु या सेवा की सरकार द्वारा निर्धारित कीमत की ऊपरी सीमा को उच्चतम निर्धारित कीमत कहते हैं। अर्थात कीमत की उच्चतम सीमा उस कीमत को बताती है जिसे विक्रेता सरकारी हस्तक्षेप होने पर अधिकतम कीमत के रूप में प्राप्त कर सकता है।
प्र.13 कीमत सीमा में मांग आधिक्य की समस्या क्यों उत्पन्न होती है?
उत्तर: सरकार द्वारा विभिन्न आवश्यक वस्तुओं का ऊपरी मूल्य तय कर दिया जाता है। जिससे इन वस्तुओं की कीमत उस तय सीमा से अधिक नहीं होती, जिसके कारण बाजार में इन वस्तुओं की मांग आधिक्य बना रहता है।
प्र.14 खाद्यान्न उपलब्धता गिरावट सिद्धांत क्या है? Food Availability Decline Theory (FAD Theory) क्या है? खाद्यान्न उपलब्धता गिरावट सिद्धांत का प्रतिपादन किसने किया है?
उत्तर: नोबेल प्राप्त भारतीय अर्थशास्त्री प्रोफेसर अमर्त्य सेन ने खाद्यान्न उपलब्धता गिरावट सिद्धांत का प्रतिपादन किया है। इस सिद्धांत के अनुसार प्राकृतिक विपदा जैसे - बाढ़, सूखा आदि आवश्यक खाद्यान्न के उत्पादन में कमी लाती है। जिसके कारण खाद्यान्न की पूर्ति मांग की तुलना में गिरती है। पूर्ति के सापेक्ष खाद्यान्न की आंतरिक मांग खाद्यान्न की कीमतों को बढ़ाती है, जिसके परिणामस्वरूप गरीब व्यक्ति खाद्यान्न उपलब्धता से वंचित हो जाता है, और भुखमरी की समस्या उत्पन्न होती है।
प्र.15 साम्य कीमत से आप क्या समझते हैं? बाजार कीमत क्या है? संतुलित कीमत क्या है? पूर्ण प्रतियोगिता में संतुलित कीमत का निर्धारण
उत्तर: संतुलन कीमत वह कीमत है जो मांग एवं पूर्ति की शक्तियों द्वारा उस बिंदु पर निर्धारित होती है जहां वस्तु की मांग और पूर्ति आपस में बराबर हो जाते हैं। साम्य कीमत मांग की ऐसी स्थिति को दर्शाती है जहां कीमत को निर्धारित करने वाली शक्तियों में किसी बदलाव की कोई प्रवृत्ति नहीं होती अर्थात बदलाव की अनुपस्थिति होती है।
मांग एवं पूर्ति द्वारा साम्य कीमत:
मार्शल के अनुसार - किसी वस्तु की कीमत निर्धारण मांग वक्र एवं पूर्ति वक्र द्वारा होती है। मांग वक्र उपभोक्ता से संबंधित है जो बाएं से दाएं नीचे गिरता हुआ होता है। जिसका अभिप्राय है कि उपभोक्ता के लिए किसी वस्तु की मांग उस वस्तु की कीमत में विपरीत संबंध है। उपभोक्ता का प्रयास होता है कि वह कम कीमत देकर वस्तु की अधिक मात्रा खरीद ले। इसके विपरीत पूर्ति वक्र उत्पादक से संबंधित है जो बाएं से दाएं ऊपर चढ़ता है। जिसका अर्थ है कि उत्पादक के लिए वस्तु की पूर्ति तथा वस्तु की कीमत में सीधा संबंध है। ऊंची कीमत पर उत्पादक वस्तु की अधिक आपूर्ति करेगा तथा कम कीमत पर उत्पादक वस्तु की कम पूर्ति को तत्पर होगा।
प्र.16 समय के आधार पर बाजार का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर: समय के आधार पर बाजार को चार भागों में बांटा जा सकता है:
- अति अल्पकालीन बाजार: यह बाजार उन वस्तुओं का होता है जिनकी पूर्ति को उनकी मांग के अनुरूप परिवर्तित नहीं किया जा सकता जैसे दूध, फल, सब्जियां आदि।
- अल्पकालीन बाजार: यह बाजार वस्तु की पूर्ति को उपलब्ध संसाधनों की सहायता से उसके मांग के अनुरूप एक सीमा तक ही बढ़ा सकता है।
- दीर्घकालीन बाजार: इस बाजार में इतना समय होता है कि किसी वस्तु की पूर्ति को उसकी मांग के अनुरूप बढ़ाया जा सके। वह दीर्घकालीन बाजार के अंतर्गत आता है।
- अति दीर्घकालीन बाजार: इस बाजार में मांग एवं पूर्ति में निरंतर परिवर्तन एवं समायोजन की प्रक्रिया चलती रहती है। उपभोक्ता की आय, आदतें, रुचि, फैशन आदि में परिवर्तन के परिणामस्वरूप मांग में हुए परिवर्तन के अनुसार पूर्ति में भी परिवर्तन होता रहता है।
प्र.17 बाजार मांग वक्र किसे कहते हैं?
उत्तर: बाजार मांग बाजार की वह स्थिति है जिसमें किसी वस्तु की निश्चित समय निश्चित कीमत पर मांगी जाने वाली मात्रा बाजार मांग कहलाती है। बाजार मांग को जब रेखीय रूप में प्रदर्शित किया जाता है तो इसे बाजार मांग वक्र कहते हैं।
प्र.18 द्विअधिकार किसे कहते हैं?
उत्तर: द्वैधाधिकार बाजार की वह स्थिति है जिस पर किसी वस्तु की पूर्ति पर दो ही विक्रेताओं का अधिकार रहता है तथा दोनों विक्रेता बाजार में बड़ी हिस्सेदारी रखते हैं।

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